Opinion


नए साल का स्वागत सभी को अपने-अपने तरीके से करने का हक़ और अधिकार है
साल 2016 के आगमन के साथ ही कुछ धार्मिक व् सामाजिक संस्थाएं नव वर्ष मनाये जाने के विरोध में हल्ला मचाने में व्यस्त दिखाई दे रहे हैं! एक मित्र ने बताया कि हिन्दू जागरण मंच की तरफ से भी नव वर्ष मनाये जाने का विरोध हो रहा है! सवाल यह उठता है कि इस प्रकार का विरोध दर्ज करवा कर ये संस्थाएं आखिर क्या साबित करना चाहती हैं और इससे किसका भला होने वाला है! हमारा देश लोकतांत्रिक प्रणाली से चलता है! यहां सभी को अपने विचार प्रकट करने की छूट है! हमारे देश में सर्व धर्म सद्भाव के विचारों को वरीयता दी जाती है जो मानव धर्म के लिए हितकर है! कौन नया साल मनाये, कौन नहीं मनाये ! कैसे मनाये, कैसे नहीं मनाये ! यह स्वयं की मानसिकता या सोच पर निर्भर होना चाहिए है! इसमें किसी की दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए! हमारा देश अनेकताओं में एकता का देश है! यहां जितनी भाषा, धर्म और जाति के लोग रहते हैं, दुनिया के किसी भी अन्य देश में नहीं रहते, इसके बावजूद इस देश के लोगों का आपसी भाईचारा और एकता पूरे विश्व के लिए एक मिशाल है! कुछ स्वार्थी किस्म के लोग सदैव अपना उल्लू सीधा करने के लिए प्रयासरत रहते हैं और नित नए-नए शगूफे छोड़कर लोगों को भ्रमित करने और मुफ्त की पब्लिसिटी बटोरने में लगे रहते हैं! उन्हें तो इस बात का भी अहसास नहीं होता कि बेवजह खड़े किए उनके बेफिजूल विरोधाभाष से आपसी रंजिस बढ़ती है और कानून व्यवस्था में अड़चने पैदा होती है जिसका नुक्सान अंततः देश को उठाना पड़ता है! मेरी नज़र में नए साल का स्वागत सभी को अपने-अपने तरीके से करने का हक़ और अधिकार है परन्तु नए साल के आगमन में जिस तेजी से शराब बहाने की प्रवृति बढ़ी है वह समाज को गर्त के अँधेरे की तरफ ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, इससे बचने और अंकुश लगाने की शख्त आवश्यकता है!
पत्रकार श्रवण शर्मा 
निर्भय भारत   


विरोध उचित है 
हिन्दू जागरण  मंच द्वारा नये वर्ष के स्वागत का विरोध बिलकुल उचित हैं. नये साल के स्वागत का व्यवसायीकरण हो गया हैं और इसका फायदा हर किसी को नहीं हो रहा हैं इसका अंदाजा आपको होटलों में खाने पीने के भाव से पता चल जायेगा. नये वर्ष का स्वागत हम परिवार के साथ अच्छे से घर पर भी कर सकते हैं.
उमेश भोगले,
जनसंपर्क अधिकारी 

व्यवसायीकरण व फूहड़ता पर रोक लगे 
विरोध बिलकुल उचित हैं. नए साल के स्वागत के नाम पर लोग देर रात तक घर के बहार रहते हैं. स्वागत के नाम पर अय्याशी  ज्यादा देखने को मिलती हैं जो चिंता का विषय हैं. यह हमारा स्टेटस सिंबल भी बन गया हैं. ताना मारकर लोग ऐसे कहते हैं की अरे नया साल नहीं मना रहे हो?मानो कोई हमे पीट रहा हैं और हम कुछ नहीं कर रहे हैं.स्वागत होना ही चाहिए पर उसके लिये व्यवसायीकरण की जरुरत नहीं हैं. स्वागत से ज्यादा इसके नाम ओर होते व्यवसाय व फूहड़ता पर रोक जरूरी हैं.
विष्णु पारीक,
फोटोग्राफर  

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