माफी के रूप में सबके अन्दर छुपी है महान बनने की क्षमता:जयंतसेनसूरीजी


दीपक आर जैन/मुंबई
 महान बनना कोई मुश्किल कार्य नहीं है। महान बनने की क्षमता हर व्यक्ति में छुपी होती है, लेकिन इसके लिए सिर्फ सर्वोत्तम सूत्र अपनाना पड़ेगा और वह है माफ करना। संसार में अनेक मनुष्य दोषों के साथ रहते है और माफी का गुण नहीं अपनाते। माफी मांगने से सारे पाप धुल जाते है और माफ करने वाला महान बन जाता है। 
यह बात राष्ट्रसन्त त्रिस्तुतिक संघ नायक वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य श्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. जयन्तसेन धाम में ‘‘माफ करे वो महान’’ विषय पर आयोजित विशेष प्रवचन में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही.उन्होंने राणापुर के साला-बहनोई का संस्मरण सुनाते हुए कहा कि भगवान महावीर वाणी जीवनभर सुनने के बाद भी माफ करने का गुण नहीं आवे तो वाणी सुनना निरर्थक है। राणापुर में प्रवचनों से प्रेरित होकर ऐसे ही एक बहनोई ने अपने साले से जीवनभर की लड़ाई खत्म कर प्रेम स्थापित किया, जो आज भी अनवरत चला आ रहा है। राष्ट्रसन्तश्री ने कहा माफ करना जैन धर्म का आदर्श है। जिनवाणी का भी यही संदेश है। मुझे माफ करो और मैं माफ करता हॅंू । ‘‘मैं’’ का अहम पालने वाला व्यक्ति अपने आपको कभी महान नहीं बना सकता। माफ करने से ही सिद्ध परमात्मा को केवलज्ञान प्राप्त हुआ, इसलिए दिल को थोड़ा मजबूत कर निर्मल व साफ कीजिए। थोड़ा-सा झुकना सीखिए और माफ करने का गुण ग्रहण कर जीवन को महान बना लें। 
विशेष प्रवचन में मुनिराज श्री नीपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि माफी मांगने वाला महान होता है तो माफ करने वाला उससे भी ज्यादा महान होता है। सड़क पर चल रही गाड़ियों की दोनों तरफ से लाईट जल रही हो तो दुर्घटना हो जाती है, इसलिए एक तरफ लाईट कम कर देना चाहिए। यही हाल जिन्दगी का है। व्यवहार में दोनों तरफ गर्मी हो तो एक को ठंडा हो जाना चाहिए। दूध और पानी कितने ही गर्म किए जाए आखिर में ठंडे होते ही है। इसलिए ठंडा होना सीखो और महान बन जाओ। दुनिया में रामायण, महाभारत और सारे युद्ध वचनों के कारण हुए है। श्रीमन्त परिवार कभी सुखी नहीं कहलाता। ज्ञानियों ने कहा है जहां स्नेह होता है वहीं परिवार सुखी रहता है। मुनिराजश्री ने प्रेम, परोपकार, प्रसन्नता, पराक्रम से जीवन व्यतीत करने का संदेश भी दिया। विशेष प्रवचन में हजारों गुरूभक्त उपस्थित रहे। अन्त में दादा गुरूदेव की आरती का लाभ अनिल सालेचा एवं दिलीप बाफना (मुम्बई) ने लिया। संचालन राजकमल जैन ने किया। 
पर्वाधिराज पर्व की आराधना -
राष्ट्रसन्तश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में 29 अगस्त से पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आराधना शुरू हुई जिसमें वृहद् स्तर पर गुरूभक्त अट्ठाई की तप आराधना करेंगे। जयन्तसेन धाम में 5 सितम्बर तक प्रतिदिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रतिदिन सुबह 9 से 11.30 बजे तक प्रवचन हांेगे। जिन मंदिर एवं गुरू मंदिर मंे भव्य अंगरचना की जाएगी। सुबह 6 बजे भक्ताम्बर पाठ व शाम 7 बजे प्रतिक्रमण होंगे। 2 सितम्बर से प्रभु का जन्मोत्सव प्रारंभ होगा व 3 सितम्बर से धार्मिक तम्बोला का आयोजन किया जाएगा। चातुर्मास आयोजक एवं विधायक चेतन्य काश्यप परिवार ने समस्त गुरूभक्तों से कार्यक्रमों में उपस्थित रहने की अपील की है। 
दर्शन वंदन करने वालों का तांता लगा हैं. ज्ञात हो राष्ट्रसंत के चातुर्मास में नित नए इतिहास बन रहे हैं और निश्चित ही रतलाम का यह चातुर्मास जिनशासन के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित होगा.यह जानकारी ब्रिजेश बोहरा ने दी.   

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