सोच रुक गयी तो सब रुक जायेगा-कविता विजय सिंह /प्रिंसिपल राम रत्ना विद्धा मंदिर


सोच रुक गयी तो सब रुक जायेगा-कविता विजय सिंह /प्रिंसिपल राम रत्ना विद्धा मंदिर 
दीपक आर जैन 
मुंबई की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थाओं में से एक राम रत्ना विद्धा मंदिर का प्रिंसिपल होना बड़े गौरव की बात हैं और इसी पद पर अपना दायित्व बड़ी ही सफलता से निभा रही कविता विजय सिंह कहती हैं आज शिक्षित व्यक्ति दुनिया में सफलता की बुलंदियों को चु सकता हैं. शिक्षा तो हर जगह अच्छी मिलती हैं औए शिक्षस्क शिक्षिकायें अपने दायित्व का बहुत ही अच्छे से निर्वाह करते हैं. सामनेवाले पर हैं की वो किस तरह ग्रहण करता हैं.
उत्तरप्रदेश के मिर्ज़ापुर की रहनेवाली कविताजी मुंबई में पाली बड़ी जो आज अपनी सफलता का श्रेय पितारामधारी सिंह और पति विजय सिंह को देती हैं. वे कहती हैं की उनके पिता की बदौलत आज वे इस मुक्काम पर हैं जिन्होंने लड़को की तरह हमें जीवन जीने दिया और हर वो आजादी दी जिसकी हम हकदार थे. फिर चाहे पढाई हो या जीवन में आगे बड़ने के लिए कोई कार्य. बीएससी,बीएड,एमएससी के बाद भी रुच हमेशा बच्चो को पढ़ाने के प्रति ही थी और शुरुवात हुई डोंबिवली के स्कूल से लेकिन जल्द ही दक्षिण मुंबई  के कब्बुबाई स्कूल में मौका मिला. 14 साल के लम्बे सफर के बाद भायंदर के समीप उत्तन स्थित राम रत्ना विद्यालय में शिक्षिका के रूप में आयी और काम से प्रभावित होकर आज प्रिंसिपल के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रही हूँ.
कविता बताती हैं की आज शिक्षा में बहुत स्पर्धा हैं और आगे बड़ेगी. आज विद्द्यार्थियों का टीचर्स के साथ इन्वोल्व्मेंट बहुत जरूरी हैं. किताबी ज्ञान के साथ साथ प्रैक्टिकल नॉलेज देना बहुत आवशयक हैं. आज बच्चे बहुत स्मार्ट हो गये हैं.
वे कहती हैं एक टीचर को हमेशा सीखने की तैयारी रखनी चाहिये. आपस में संबंध को प्रगाड़ करना बहुत जरूरी हैं तभी हम पलकों और विद्द्यार्थियों को सही तरह से समझ पाएंगे.रेजिडेंशियल स्कूल में काम करने वाले शिक्षक,शिक्षिकाएं दुनिया के किसी भी स्कूल में काम कर सकते हैं. ऐसे स्कूलों में आपकी जवाबदारी दुगनी हो जाती हैं जंहां आपको टीचर के अलावा माता पिता  भूमिका भी निभानी पड़ती हैं. अच्छे इंसान बनाने मैं गुरु का रोले सबसे महत्वपूर्ण होता हैं. देश का भविष्य,विद्द्यार्थियों का भविष्य हमारी दी शिक्षा के रूप में अपनी भूमिका निभाता हैंवे कहती हैं की आधुनिक सुविधाओं को आप किस रूप में लेते हो उसपर निर्भर करता हैं. आज इंटरनेट आदि की वजह से हम किसी भी जानकारी को बड़े आसानी से हासिल कर सकते हैं लेकिन इसका उपयोग उतना ही होना चाहिये जितनी आवश्यकता हैं. आपने अगर सोचना बंद कर दिया तो सबकुछ रुक जायेगा.   
उन्होंने कहा आज शिक्षा में बहुत बदलाव आया हैं. एक समय था जब टीचर सजा देती तो माँ बाप को बताने में डरते थे. लेकिन आज परिस्थिति कईबार उल्टा देखने को मिलती हैं जब पालक टीचर्स की शिकायत करते हैं. वे कहती हैं आप शिकायत अवश्य करे लेकिन साड़ी जानकारी अच्छी तरह से लेने के बाद. बच्चो को शिकायत करते समय हमेशा दूर रखे. माता-पिता अपने बच्चों की क़ाबलियत के अनुसार उनका मार्गदर्शन करे नहीं तो न वे खुश रहेंगे और ना ही उनका बच्चा. आप जितने खुश रहेंगे सफलता उतने आपके कदम चूमेगी. हजारो विद्द्यार्थियों को जीवन के पथ पर मार्गदर्शन करणवाली कविताजी को शिक्षा में उनके दो दशकों के योगदान के लिए अनेक पुरुस्कार मिले हैं जिसमे टाइम्स एन आइ,यंग बज़्ज़ेस आदि प्रतिष्ठित संस्थाओं का समावेश हैं.
 बच्चों के साथ हमेशा मित्रता के जैसा व्यवहार रखे. आज उन्हें संभालना,समझाना बहुत बड़ा चैलेंज हैं. बदलाव हमारी सोच में बहुत जरूरी हैं. स्कूलों को स्टेटस सिंबल मत बनने दीजिये. पढाई के साथ साथ देश की संस्क्रति और खेलों से भी विद्द्यार्थियों को रूबरू होने दीजिये. राम रत्ना में भी हम हर महीने एक राज्य की संस्कृति को अपनाते है और सारा काम उस राज्य के रीती रिवाजों के अनुसार करने का प्रयत्न करते हैं. विपन्ना के माध्यम से बच्चों को हम value of Money सिखाते हैं.स्कूल का वार्षिकउत्सव हमेशा किसी थीम पर मनाते हैं ताकि लोगों को संदेश मिले. इसवर्ष हमने माँ पर इसका आयोजन किया था. इसके अलावा तरह तरह के आयोजन होते रहते हैं. टीचर्स के साथ साथ पलकों की बच्चों के विकास में बहुत अहम भूमिका हैं. सफलता के लिए जीवन में सकारात्मक की ऊर्जा को प्रवाहित होते रहने दीजिये और बच्चों को आजादी दीजिये लेकिन ध्यान रखिये कही इसका उपयोग गलत नहीं हो रहा हो. अपनी सोच को बदल दीजिये और देखने का नजरिया पॉजिटिव कऱ ले समस्याएं दूर और सफलता बहुत करीब आ जायेगी. 

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