जीवन को इंटरनेट तक सीमित ना रखे-डॉ सुदेशकुमार धारसकर / भायंदर


जीवन को इंटरनेट और वीडियो तक सीमित ना रखे-डॉ सुदेशकुमार धारसकर / भायंदर 
दीपक आर जैन 
डॉ सुदेशकुमार धारसकर चिकित्सा के साथ साथ मनोवैज्ञानिक के रूप में भी जाने जाते हैं और यही वजह हे की उन्होंने कई परिवारो को टूटने से बचाया हैं तो अनेक बच्चों के जीवन में बदलाव आया हैं. पिछले 25 वर्षो से सेवारत डॉ. धारास्कर अमरावती जिले के अंजनगांव सुरजी के हैं. पिता होटल व्यवसाय में थे लेकिन शुरू से ही लोगों की सेवा करने के इच्छुक होने के चलते वे डॉक्टर बने जिसमे उनके पिता ने पूरा सहयोग ओर प्रोत्साहन दिया. उनके परिवार में अब कुल 18 डॉक्टर हैं तथा 12 पोस्ट ग्रेजुएट हैं.पिता शिक्षित नहीं थे लेकिन उनकी इच्छा थी की उनके परिवार का हर बच्चा पढ़े.
अकोला में मेडिकल पढाई पूरी करने के बाद 1989 में खर के अस्पताल में नौकरी की लेकिन फिर भायंदर में खुद का अस्पताल शुरू किया. वे बताते है की उन्होंने खेत,होटल आदि कई जगहों पर काम किया. संघर्ष से कभी नहीं डरे और जीवन में आगे बढ़ने के लिये पत्नी डॉ. संध्या का पूरा सहयोग और साथ मिला. उन्होंने बताया की डॉक्टरी के साथ साथ सामाजिक कार्यों में कॉलेज के दिनों से ही रूचि थी और यही वजह थी की वे अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति से जुड़े. उन्होंने होमियोपैथी की प्रैक्टिस करते डॉक्टरों को एलोपैथी प्रैक्टिस करने की अनुमति के लिए राज्य सरकार से लंबी लड़ाई लड़ी और इसमें सफलता हासिल की.
वे बताते हैं कि उन्होंने अंध श्रद्धा के नाम पर लोगों का शोषण होते देखा और इसलिए वे अंधश्रद्धा  निर्मूलन समिति से जुड़े और लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जो आज भी जारी हैं. आज वे हर महिने 04 से 05 सेमिनार अलग अलग विषयों पर लेते हैं जिसमे बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं.वे कहते हैं कि महाराष्ट्र में किसानों को मदद से ज्यादा  मार्गदर्शन की जरुरत हैं. मदद के बाद अगर सही सलाह नहीं मिली तो हम फिर वहीँ के वहीँ. इससे अच्छा उनमे सुधार लाने और आत्महत्या से रोकने के लिये उनसे जुड़ने की जरुरत हैं. विदर्भ को अलग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि महाराष्ट्र को अखंड रखने के लिये ही 106 लोगों ने बलिदान दिया था. आज प्रैक्टिकल शिक्षा की बहुत जरुरत हैं साथ ही साथ हमें बच्चों की रूचि को समझकर उनके साथ मित्रता जैसा व्यव्हार रखना होगा तभी हमें बच्चों में अच्छे रिजल्ट्स दिखेंगे. बच्चो की बुद्धिमतानुसार उन्हें पढ़ाया जाना चाहिए. आज शादी के बंधन को सफल रखने के लिए प्री मैरिज अड़वाईस (शादी के पहले बात) जरूरी हैं. वीडियो और इंटरनेट पर ही जीवन को निर्भर ना रहने दे. सफलता लाइफ में व्यवहारिकता आने से और जल्दी मिलती हैं.
स्वस्थ और सुंदर जीवन के लिए शाकाहार होना जरूरी हैं और वे इसके लिए सबसे ज्यादा प्रयास करते हैं. आज के समय में वे सेक्स शिक्षा को बहुत जरूरी और उपयोगी मानते हैं. उनका मन्ना हैं की इससे लड़की हो या लड़के को सामनेवाले की नीयत का पता चल जायेगा और अपराधों में भी कमी आएगी. व्यसनमुक्त भारत उनका सपना हैं. वे कहते है की अपनेआप को काबिल बनाइये न की किसी और के भरोसे  ना जीये. अपनी तुलना अपनेआप से करे न की दूसरों से तभी सफलता आपके कदम चूमेगी. अपनेआप को हमेशा अपडेट रखे. जीवन में कुछ भी करे दुनिया से हटकर करे तभी दुनिया आपको पहचानेगी. समय समय पर जरुरतमंदो के लिए मेडिकल कैंप का आयोजन भी करते हैं. हजारों लोगों के जीवन में उनकी वजह से लोगो के मुख पर आयी मुस्कान जीवन की सबसे बड़ी पूंजी हैं.   

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