भगवान महावीर का जीवन और दर्शन बहुआयामी हैं -सागरचन्द्र सागरससूरिस्वरजी
दीपक आर जैन
भायंदर-भगवान महावीर का जीवन और दर्शन बहुआयामी हैं. महावीर ने जहां अहिंसा,अनेकान्त,अपरिग्रह का दृश्टिकोण दिया वहां उन्होंने स्वस्थ समाज सरंचना के सूत्र भी दिए. महावीर क्रांतदृस्टा ही नहीं,उत्क्रान्तेचा महापुरुष थे. उनके पास ऐसी क्षमता थी कि जिसमे वे पाखण्ड को सेमल की रुई की तरह रेशे रेशे कर उड़ा देते थे. जातिवाद,दासप्रथा,नारी उत्पीडन,कथनी,करनी मैं विसंगति आदि युगीन अंधेरों को दूर करने के लिए उन्होंने समता,सामंजस्य और सदाचार की ज्योति प्रज्वलित कि.us ज्योति में इतनी प्रखरता थी कि सघन अंधेरें भी एक साथ दरक हो गये.
उपरोक्त विचार भायंदर(पश्चिम)स्थित बावन जिनालय जैन मंदिर में चातुर्मास हेतु बिराजमान परम पूज्य आचार्य श्री सागरचन्द्र सागरसूरिस्वरजी म. सा. ने व्यक्त किये. उन्होंने कहाँ की भगवान महावीर की ज्योति से जिसने भी अपनी आखों को आजा उसका प्रातः प्रशस्त हो गया. आचार्यश्री ने कहा की भगवान महावीर अंदर और बहार का युद्ध समाप्त कर जिस उचाई तक पहुंचे वहां तक जाने में हमे भी कुत्च पड़ाव अवश्य तय करने होंगे जैसे हम सही अर्थों में जीना सीखें औरों को समझना और सहन सीखे. उन्होंने कहा की ऐसे सभी कर्मों को अशुभ माने जो जीवनमूल्यों का अंत कर दे. सागरचन्द्र सागर ने कहा की अपने अच्छे बुरे परिणामों का विवेक जागृत रखे.
उन्होंने कहा की स्वयं का निर्माता होना जरूरी होगा,और ऐसा करके ही अहिंसक समाज का निर्माण कर सकेंगे. वर्त्तमान में मानवतावादी शक्तियां इस दिशा मैं ध्यान देकर राष्ट्रीय जीवन को नया मोड़ देने का प्रयास करें. उन्होंने लोगों से अपील की कि अहिंसा की सकारात्मक ऊर्जा बढाकर हम निशित रूप से समृद्धि,सुख,शांति के साथ अहिंसा,करुणा,मैत्री,सौहार्द,सदभावना सहजीवन को प्राप्त कर सकते हैं. परिस्थितियों का अवलोकन करें तो स्पस्ट रूप से नजर आता हैं की वर्तमान को वर्धमान की आवश्यकता हैं.
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