जन्म नक्षत्र के अनुसार रत्न और रुद्राक्ष
पारसमुनि म.सा.
[1] अश्विनी नक्षत्र
* 👉🏿यदि आपका जन्म अश्विनी नक्षत्र में हुआ है तो आप मूंगा माणिक्य तथा लहसुनिया रत्न और एकमुखी तीनमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है ।*
इनकी सहायता से स्वास्थ लाभ आत्मविश्वास में वृद्घि कार्यक्षेत्र में उन्नति जैसे फल प्राप्त होते है ।
[2] भरणी नक्षत्र
* 👉🏿जिनका जन्म भरणी नक्षत्र में हुआ है तो आपको हीरा या ओपल एवं मूंगा रत्न धारण करना चाहिए ।*
और तीनमुखी और छमुखी रुद्राक्ष धारण करना भी उत्तम होगा ।
इससे आत्मविश्वास और आर्थिक समृद्घि होती है ।
[3] कृत्तिका नक्षत्र
* 👉🏿जिस जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म हो तो वह माणिक्य तथा मूंगा रत्न धारण कर सकता है ।*
और एकमुखी एवं तीनमुखी रुद्राक्ष भी धारण करना उत्तम होगा ।
यदि जिसका जन्म वृषभ राशि और कृत्तिका के अंतिम चरण में हो तो वह माणिक्य के साथ हीरा या ओपल रत्न एवं एकमुखी रुद्राक्ष के साथ छमुखी रुद्राक्ष भी धारण करना चाहिए ।
इससे व्यक्ति की हर दिशा में उन्नति होती है ।
[4] रोहिणी नक्षत्र
* 👉🏿रोहणी नक्षत्र में जन्म होने पर हीरा अथवा ओपल एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और छमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी प्रकार के सुखो की प्राप्ति होती है।*
[5] मृगशिरा नक्षत्र
* 👉🏿मृगशिरा नक्षत्र में पहले दो चरणों में जन्म होने पर मूंगा तथा हीरा अथवा ओपल रत्न एवं तीनमुखी छमुखी रुद्राक्ष धारण करना उत्तम होता है ।*
मिथुन राशि अर्थात मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों में जन्म होने पर सफेद मूंगा एवं पन्ना रत्न तथा तीनमुखी एवं चारमुखी रुद्राक्ष उन्नति देंने वाले होते है ।
[6] आर्द्रा नक्षत्र
* 👉🏿इस नक्षत्र में जन्मे जातक को*
जीवन में उन्नति प्राप्त हेतु पन्ना एवं गोमेदक रत्न तथा चारमुखी और आठमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
[7] पुनर्वसु नक्षत्र
* 👉🏿पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम तीन चरण अर्थात मिथुन राशि में जन्म होने पर पन्ना एवं पुखराज रत्न तथा चारमुखी और पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।*
इससे जातक को अपार सफलता मिलती है ।
पुनर्वसु नक्षत्र के अंतिम चरण में जन्म होने पर पुखराज एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
इससे जातक को उत्तम स्वास्थ और श्रेष्ठ बुद्घि की प्राप्ति होती है।
[8] पुष्य नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर जातक को नीलम एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
स्वास्थ लाभ एव आर्थिम लाभ की प्राप्ति होता है।
😷✋🏻लेखक गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य हैं.
[1] अश्विनी नक्षत्र
* 👉🏿यदि आपका जन्म अश्विनी नक्षत्र में हुआ है तो आप मूंगा माणिक्य तथा लहसुनिया रत्न और एकमुखी तीनमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है ।*
इनकी सहायता से स्वास्थ लाभ आत्मविश्वास में वृद्घि कार्यक्षेत्र में उन्नति जैसे फल प्राप्त होते है ।
[2] भरणी नक्षत्र
* 👉🏿जिनका जन्म भरणी नक्षत्र में हुआ है तो आपको हीरा या ओपल एवं मूंगा रत्न धारण करना चाहिए ।*
और तीनमुखी और छमुखी रुद्राक्ष धारण करना भी उत्तम होगा ।
इससे आत्मविश्वास और आर्थिक समृद्घि होती है ।
[3] कृत्तिका नक्षत्र
* 👉🏿जिस जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म हो तो वह माणिक्य तथा मूंगा रत्न धारण कर सकता है ।*
और एकमुखी एवं तीनमुखी रुद्राक्ष भी धारण करना उत्तम होगा ।
यदि जिसका जन्म वृषभ राशि और कृत्तिका के अंतिम चरण में हो तो वह माणिक्य के साथ हीरा या ओपल रत्न एवं एकमुखी रुद्राक्ष के साथ छमुखी रुद्राक्ष भी धारण करना चाहिए ।
इससे व्यक्ति की हर दिशा में उन्नति होती है ।
[4] रोहिणी नक्षत्र
* 👉🏿रोहणी नक्षत्र में जन्म होने पर हीरा अथवा ओपल एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और छमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी प्रकार के सुखो की प्राप्ति होती है।*
[5] मृगशिरा नक्षत्र
* 👉🏿मृगशिरा नक्षत्र में पहले दो चरणों में जन्म होने पर मूंगा तथा हीरा अथवा ओपल रत्न एवं तीनमुखी छमुखी रुद्राक्ष धारण करना उत्तम होता है ।*
मिथुन राशि अर्थात मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों में जन्म होने पर सफेद मूंगा एवं पन्ना रत्न तथा तीनमुखी एवं चारमुखी रुद्राक्ष उन्नति देंने वाले होते है ।
[6] आर्द्रा नक्षत्र
* 👉🏿इस नक्षत्र में जन्मे जातक को*
जीवन में उन्नति प्राप्त हेतु पन्ना एवं गोमेदक रत्न तथा चारमुखी और आठमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
[7] पुनर्वसु नक्षत्र
* 👉🏿पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम तीन चरण अर्थात मिथुन राशि में जन्म होने पर पन्ना एवं पुखराज रत्न तथा चारमुखी और पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।*
इससे जातक को अपार सफलता मिलती है ।
पुनर्वसु नक्षत्र के अंतिम चरण में जन्म होने पर पुखराज एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
इससे जातक को उत्तम स्वास्थ और श्रेष्ठ बुद्घि की प्राप्ति होती है।
[8] पुष्य नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर जातक को नीलम एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
स्वास्थ लाभ एव आर्थिम लाभ की प्राप्ति होता है।
😷✋🏻लेखक गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीशमुनि म.सा. के सुशिष्य हैं.
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