मीरा-भायंदर मनपा स्कूलों के छात्र किताबों से वंचित
स्कूल शुरू होकर छह महीने हुए
दीपक आर.जैन
भायंदर- मीरा-भायंदर महानगरपालिका वैसे अक्सर भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में रहती हैं. लेकिन अबकी बार तो मनपा प्रशासन ने हद कर दी. मनपा स्कूलों को खुले छह का समय हो गया लेकिन साढ़े सात हजार विद्द्यार्थी अब भी अपनी शैक्षणिक किताबों से वंचित हैं,क्यूंकि पुस्तकें खरीदने के लिए राशि जमा ही नहीं की गयी हैं. इससे उनके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया हैं.
मनपा स्कूलों में हिंदी,गुजराती,मराठी व उर्दु माध्यम में सात हजार से ज्यादा विद्द्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. इन विद्द्यार्थियों को मनपा की और से कॉपी,किताबें,बूट,यूनिफार्म,बेग आदि साहित्य निशुल्क दिया जाता हैं. इसके लिए बजट में हर साल डेढ़ करोड रुपये का प्रावधान हैं. स्कूल शुरू होते ही यह सामग्री देना अत्यंत जरूरी हैं. परंतु जून माह में स्कूल शुरू होने के बाद भी अब तक सामग्री छात्र छात्रों को नहीं मिली हैं. अथवा इसके लिए लगनेवाली राशि बैंक में जुमा नहीं की गयी हैं. ज्ञात हो पहले ही मनपा स्कूलों में विद्द्यार्थियों की संख्या दिनोंदिन काम होते जा रही हैं. कुछ समय पहले यह संख्या 9 हजार थी जो अब घटकर सात हजार पांच सो रह गयी हैं. ऐसे में अगर पुस्तके व अन्य शैक्षणिक सामग्री समय पर उपलब्ध नहीं हुई तो विद्द्यार्थियों की गुणवत्ता और उनकी संख्या कैसे बढ़ेगी.
विद्द्यार्थियों को सामग्री उपलब्ध हो इसके लिए जून माह के पहले सप्ताह में हुई मनपा की सभा में प्रस्ताव मंजूर हुआ था. जिसमे कहा गया था की या तो विद्द्यार्थियों के बैंक खाते में राशि जुमा की जाएं अथवा टेंडर के माध्यम से साहित्य खरीद कर इन्हे दिया जाएं. टेंडर प्रक्रिया में देरी के चलते राशि विद्द्यार्थियों के खातों में जमा करने का निर्णय प्रशासन ने लिया था,लेकिन आधा साल बीत जाने के बाद भी विद्द्यार्थियों को यह पैसा नहीं मिला हैं. विद्द्यार्थियों को पैसा देने की योजना इसके पहले भी मनपा ने की हैं इसलिए विद्द्यार्थियों की सारी जानकारी मनपा के पास उपलब्ध हैं और ऐसा होने के बाद भी यह राशि जमा नहीं होना कई सवाल खड़े करता हैं.
विद्द्यार्थियों को शैक्षणिक सामग्री समय पर मिलना जरूरी हैं. इस प्रस्ताव में क्यूं देरी हुई इसकी जांच की जाएगी.
डॉ सुनील लहाने,
अतिरिक्त आयुक्त
यह तो अत्यंत गंभीर विषय हैं और इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारीयों पर कार्यवाई की जानी चाहिए. सामाजिक सांस्कृतिक संगठन युथ फोरम ने राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी को शीघ्र कार्यवाई करने की मांग की हैं. पिछले साल भी महानगपालिका ने ऐसा ही किया था.स्कूलों के साथ साथ हॉस्पिटल का भी यही हाल हैं. आश्चर्य तो इस बात का हैं की संस्थाएं हर तरह से सहयोग करने को तैयार हैं लेकिन मीरा-भायंदर महानगरपालिका प्रशासन लेने को तैयार नहीं. शायद उन्हें भ्रष्टाचार करने नहीं मिलेगा इसलिए संस्थाओं को काम करने में सहयोग नहीं किया जा रहा हैं.
राकेश अग्रवाल,
उपाध्यक्ष-युथ फोरम
दीपक आर.जैन
भायंदर- मीरा-भायंदर महानगरपालिका वैसे अक्सर भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में रहती हैं. लेकिन अबकी बार तो मनपा प्रशासन ने हद कर दी. मनपा स्कूलों को खुले छह का समय हो गया लेकिन साढ़े सात हजार विद्द्यार्थी अब भी अपनी शैक्षणिक किताबों से वंचित हैं,क्यूंकि पुस्तकें खरीदने के लिए राशि जमा ही नहीं की गयी हैं. इससे उनके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया हैं.
मनपा स्कूलों में हिंदी,गुजराती,मराठी व उर्दु माध्यम में सात हजार से ज्यादा विद्द्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. इन विद्द्यार्थियों को मनपा की और से कॉपी,किताबें,बूट,यूनिफार्म,बेग आदि साहित्य निशुल्क दिया जाता हैं. इसके लिए बजट में हर साल डेढ़ करोड रुपये का प्रावधान हैं. स्कूल शुरू होते ही यह सामग्री देना अत्यंत जरूरी हैं. परंतु जून माह में स्कूल शुरू होने के बाद भी अब तक सामग्री छात्र छात्रों को नहीं मिली हैं. अथवा इसके लिए लगनेवाली राशि बैंक में जुमा नहीं की गयी हैं. ज्ञात हो पहले ही मनपा स्कूलों में विद्द्यार्थियों की संख्या दिनोंदिन काम होते जा रही हैं. कुछ समय पहले यह संख्या 9 हजार थी जो अब घटकर सात हजार पांच सो रह गयी हैं. ऐसे में अगर पुस्तके व अन्य शैक्षणिक सामग्री समय पर उपलब्ध नहीं हुई तो विद्द्यार्थियों की गुणवत्ता और उनकी संख्या कैसे बढ़ेगी.
विद्द्यार्थियों को सामग्री उपलब्ध हो इसके लिए जून माह के पहले सप्ताह में हुई मनपा की सभा में प्रस्ताव मंजूर हुआ था. जिसमे कहा गया था की या तो विद्द्यार्थियों के बैंक खाते में राशि जुमा की जाएं अथवा टेंडर के माध्यम से साहित्य खरीद कर इन्हे दिया जाएं. टेंडर प्रक्रिया में देरी के चलते राशि विद्द्यार्थियों के खातों में जमा करने का निर्णय प्रशासन ने लिया था,लेकिन आधा साल बीत जाने के बाद भी विद्द्यार्थियों को यह पैसा नहीं मिला हैं. विद्द्यार्थियों को पैसा देने की योजना इसके पहले भी मनपा ने की हैं इसलिए विद्द्यार्थियों की सारी जानकारी मनपा के पास उपलब्ध हैं और ऐसा होने के बाद भी यह राशि जमा नहीं होना कई सवाल खड़े करता हैं.
विद्द्यार्थियों को शैक्षणिक सामग्री समय पर मिलना जरूरी हैं. इस प्रस्ताव में क्यूं देरी हुई इसकी जांच की जाएगी.
डॉ सुनील लहाने,
अतिरिक्त आयुक्त
यह तो अत्यंत गंभीर विषय हैं और इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारीयों पर कार्यवाई की जानी चाहिए. सामाजिक सांस्कृतिक संगठन युथ फोरम ने राज्यपाल भगतसिंह कोशियारी को शीघ्र कार्यवाई करने की मांग की हैं. पिछले साल भी महानगपालिका ने ऐसा ही किया था.स्कूलों के साथ साथ हॉस्पिटल का भी यही हाल हैं. आश्चर्य तो इस बात का हैं की संस्थाएं हर तरह से सहयोग करने को तैयार हैं लेकिन मीरा-भायंदर महानगरपालिका प्रशासन लेने को तैयार नहीं. शायद उन्हें भ्रष्टाचार करने नहीं मिलेगा इसलिए संस्थाओं को काम करने में सहयोग नहीं किया जा रहा हैं.
राकेश अग्रवाल,
उपाध्यक्ष-युथ फोरम
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