बच्चो में व्यवहारिक शिक्षा के साथ धार्मिक ज्ञान भी जरूरी -नित्यसेनसूरी
पिपलौदा मे दो दिवसीय ज्ञानोत्सव शिविर का शुभारंभ
पिपलौदा -वर्तमान समय में बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा के साथ साथ धार्मिक शिक्षा भी उतनी ही जरूरी हैं. धार्मिक शिक्षा उनमे संस्कारों का सिंचन करेगा व अच्छे बुरे की पहचान कराएगा. आज के समय में संस्कारों व संस्कृति को बचाने के लिए धार्मिक ज्ञान जरूरी हैं. उपरोक्त विचार त्रिस्तुतिक संघनायक वर्तमान गच्छाधिपति श्री नित्यसेन सूरीश्वरजी म.सा.की निश्रा में चल रहे चातुर्मास अंतर्गत नगर के श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ धाम पर आयोजित दो दिवसीय ज्ञानोत्सव शिविर में व्यक्त किये.
श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ धाम के प्रचार सचिव प्रफुल जैन ने बताया कि ज्ञानोत्सव शिविर में अ.भा.श्री राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद द्वारा श्री यतीन्द्र जयंत ज्ञानपीठ के सहयोग से सम्यक ज्ञान अभिवृद्धि योजना के तहत सूत्र स्मरण (कंठस्थ) अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सेकड़ो बच्चों ने कंठस्थ सूत्र,स्तवन,धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.उन्होंने कहा की वर्तमान में संस्कृति व संस्कारों में कमी आयी हैं.इसका मुख्य कारण व्यसन ओर फैसन है. गुरुदेव ने कहा की इस गंभीर समस्या से छुटकारा पाने के लिए माता पिता व पालक अपने बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा के साथ ही धार्मिक शिक्षण हेतु धार्मिक पाठशाला में भेजकर परिषद के उद्देश्यो को पूर्ण करने में सहभागी बने व आने वाली भविष्य की धरोहर को धर्म के प्रति जाग्रत करने का कार्य करे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनिराज विद्वदरत्न विजय जी म.सा.ने कहा कि परिषद के चार उद्देश्यो की पूर्ति करते हुए सबसे महत्वपूर्ण उपदेश धार्मिक शिक्षण को कार्य रूप देने के लिए वर्तमान परिषद अध्यक्ष व पूरी टीम ने सराहनीय प्रयास किया जो जग जाहिर है व अनुमोदनीय भी है.धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने में कोई उम्र का बंधन नही होता है श्रद्धा और लगन से जो पढ़ाई करता है उसे सफलता मिलती है. ऐसा ही उदाहरण इस चातुर्मास के दौरान उपधान तप आराधकों ने यहां करके दिखाया है.
संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश धरु ने कहा कि परिषद ओर उसके उद्देश्यों को पूर्ण करने हेतू पूण्य सम्राट जयंत सेन सूरीश्वरजी ने शिक्षा का एक लक्ष्य दिया था जिसे मेरे परिवार के साथ ही परिषद की पूरी टीम ने लगन के साथ पूर्ण करने का प्रयास किया जिसमे उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है.उन्होंने बताया की अबकीबार करीब बारह सौ बच्चो ने इस योजना में भाग लिया था जिसमे से करीब दोसो से अधिक बच्चो ने उत्कृष्ठ प्रदर्शन किया है जो सराहनीय है. संघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुरेंद्र लोढ़ा ने कहा की परिषद के उद्देश्यों को पूरा करने में कोई कसर नही छोड़ी व निरंतर आगे बढ़ते रहे व अपने परिवार का निर्वाह करने के साथ साथ परिषद व ज्ञान पीठ की परीक्षा केंद्र स्थापित कर समाज का गौरव बढ़ाया साथ ही बच्चो से कहा कि जिन्होंने शिक्षा ग्रहण की है वे विनयवान बनकर अपने माता पिता व पालक का सम्मान करें.
कार्यक्रम में परिषद के महामंत्री अशोक श्रीश्रीमाल,शिक्षा मंत्री भरत भाई वोरा,जनकल्याणक मंत्री सुशील छाजेड़,श्री संघ अध्यक्ष बाबूलाल धींग,श्री वर्धमान स्थानक श्री संघ के अध्यक्ष महेश नांदेचा,चातुर्मास समिति अध्यक्ष राकेश जैन इंदौर, नवयुवक परिषद अध्यक्ष अशोक बोहरा व महिला परिषद प्रदेश अध्यक्ष पुष्पा भंडारी व शिक्षा मंत्री संगीता पोरवाल,रंजना धरुसहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.दो दिवसीय ज्ञानोत्सव का शुभारंभ दादा गुरुदेव के समक्ष दीप प्रज्वलन कर हुआ. महोत्सव के लाभार्थी परिवार राजेश जैन व मुकेश रॉयल ने सभी अतिथियों का सम्मान किया. उपस्थित मेहमानों का स्वागत चातुर्मास प्रभारी राकेश जैन ने किया. नवयुवक परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीश्रीमाल ने श्री यतीन्द्र जयंत ज्ञानपीठ के बच्चों से गुरुवंदन,चैत्य वंदन,सामायिक विधि,देव वंदन विधि,राई देवसिय प्रतिक्रमण,पंच प्रतिक्रमण के सूत्रों को समस्त पदाधिकारियो के सामने प्रस्तुतिकरण करवाया व श्रेष्ठ बच्चो की प्रसंसा करते हुए उन्हें बाकी शेष बच्चो को भी प्रेरणा देने की बात कही.आयोजन में महिला परिषद प्रांतीय शिक्षा मंत्री संगीता विनोद पोरवाल ने राष्ट्रीय अध्यक्ष व अभियान लाभार्थी रमेश भाई धरु को स्मृति चिन्ह भेंट किया.परिषद की गौरव गाथा पुस्तक का सभी साधु साध्वी भगवंत ने अवलोकन किया गया. संचालन राजेश बागरेचा एवं तरुण अध्यक्ष हर्ष कटारिया ने किया.
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