मनुष्य को अपने जीवनकाल में तप करना चाहिए

दीपक आर.जैन 
भायंदर-वाराणसी नगरी में आयोजित विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्र संत आचार्य अशोकसागर सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य रत्न,प्रखर वक्ता पन्यास प्रवर श्री दिव्येशचंद्र सागर ने कहा की अपने जीवनकाल में तपस्या तो करनी ही चाहिए. इससे मनुष्य का शरीर भी स्वस्थ रहता हैं और आध्यत्म के प्रति रूचि बढ़ती हैं और जीवन सकारात्मक की और बढ़ता हैं. तप करना सरल हैं.
श्री पार्श्व प्रेम श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में गुरुदेव की निश्रा में श्री पार्श्वनाथ भगवान के 1008 अट्ठम तप के उपलक्ष में आयोजित विभिन्न महापुजनों के दौरान विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये. आप जीवन में हर काम को कर सकते हो,पूजा करना सरल हैं.परंतु उन्होंने कहा तपस्या करना आसान नहीं होता.उन्होंने कहा की भरे पेट से संसार जगमगाता हुआ दिखता हैं. उन्होंने कहा घर में सबकुछ हो और उसे ना खाना वह तपस्या हैं. तीन दिवसीय संपूर्ण महोत्सव का  लाभ नरेंद्र लालचंद मेहता व महापौर डिंपल मेहता परिवार ने लिया था. मानव को जीवन में जप, तप और जिनवाणी के लिए समय निकालना चाहिए.इसका महत्व समझना चाहिए.संतों व गुरूजनों की कृपा के कारण ही मानव को प्रभु भक्ति के लिए जप व तप करने का अवसर मिलता है.मानव को जिनवाणी का श्रवण करना जरूरी है.जिनवाणी ऐसा ज्ञान है जिसे जितना मिले ग्रहण करना चाहिए.तीर्थंकरों की अमृतवाणी का सार इसमें समाया है.मुनि तत्वेशचंद्र सागर ने कहा की आज की बच्चों और युवा पीढ़ी को धर्म से जोड़ना जरूरी हैं. संस्कारों का सिंचन होना अत्यंत जरूरी हो गया हैं. उन्होंने कहा की हमे हमारे धर्म ग्रंथों से उन्हें अवगत करना होगा. जैन धर्म के 45 आगम में पूरे संसार का सार समाया है.तप और आराधना से मानव की पुण्य कर्मो का संचय होता है.इस अवसर पर यश राठौड़,रिया अशोक जैन व राहुल अशोक जैन ने 45 आगम के नाम बोले.लगभग 1008 आराधक इसमें शामिल हुए. नरेंद्र मेहता ने इस अवसर पर कहा की वे भाग्यशाली हैं की उन्हें श्री पार्श्वनाथ के अट्ठाम तप करने का अनमोल लाभ मिला. उन्होंने कहा की वे समाज के कार्यों के लिए हमेशा तैयार हैं. कार्यक्रम को सफल बनाने में संघ के सभी पदाधिकारियों ने मेहनत की.



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