गांधी को साकार किया सिरामिक्स पर
मुंबई-बिहार सरकार द्वारा चंपारण की शताब्दी के उपलक्ष में विशाल बापू सभागार का निर्माण किया गया हैं. इस सभाघर में मुंबई के जाने माने कलाकार पद्मश्री ब्रह्मदेव ने पंडित गांधीजी के जीवन को सेरेमिक्स पर उतारा हैं. इस सभागार व कलाकृति का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नितीशकुमार ने किया. उन्होंने पंडित के कामों की सरहाना की व मुलाकात के दौरान पंडितजी को बिहार के लिए समय देने को कहा.
पद्मश्री ब्रह्मदेव पंडित द्वारा बापू सभागार में निर्मित इस सिरेमिक आर्ट पर महात्मा गांधी के विभिन्न छवियों की रचना उन उपकरणो के साथ है जिसका उपयोग वे अपने रोजमर्रा के जीवन मे करते थे. जैसे चरखा,घड़ी,पेन,भागवत गीता, चश्मा,ट्रैन आदि.इन चित्रों में उन व्यक्तियों को भी दिखाया गया है जिनका गांधीजी के जीवन पर बहुत प्रभाव था. इनमे विनोबा भावे,गोपाल कृष्ण गोखले,रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि है.
वर्ष 1917 में बिहार के जमीदार राजकुमार शुक्ला ने गांधीजी को स्थानीय किसानों की मदद के लिए बिहार के चंपारण बुलाया.यहां किसान इंडिगो फार्मिंग करने के लिए मजबूर थे.यहां आकर गांधीजी ने किसानों की समस्याओं को सुना और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बहुत बड़ा असहयोग व अहिंसात्मक आंदोलन शुरू किया जिसमें बिहार के हर वर्ग ने हिस्सा लिया.कहा जाता हैं कि यह आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारत की स्वतंत्रता के लिये अंतिम आंदोलन का नेतृत्व करता था.
गांधीजी को वैसे भी बिहार से विशेष लगाव था.डॉ राजेन्द्र प्रसाद व राजकुमार शुक्ला से उनकी मित्रता जग जाहिर है.लोकनेता जयप्रकाश नारायण भी गांधीजी से बहुत प्रभावित थे.उन्होंने कवा कोल नावडा में सोखो देवरा आश्रम बनाया.इस आश्रम में उन्होंने पूरी तरह से गांधीजी की जीवन शैली को अपनाया.बापू सभागार में बना यह चित्रण बताता है कि वह चंपारण ही था जिसने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा बनाया.
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