हम भारतीयता का आग्रह रखे-धर्मधुरन्धरसूरीजी




                                  हम भारतीयता का आग्रह रखे-धर्मधुरन्धरसूरीजी
                                 वैलंकनी स्कूल मैं स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम
भायंदर-आजादी के 68 वर्ष बीत गए पर आज भी हम मानसिक रूप से परतंत्र हैं. दूसरों के देखा देखि की वृत्ति ने हमे आज भी गुलाम बनाकर रखा हुआ हें। हम सोने जैसी भारतीय संस्कृति को छोड़कर पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने में महानता  समझ रहे हें यह केसी स्वतंत्रता हैं जहाँ आज भी आम आदमी न सुखी बना, न समृद्ध। न सुरक्षित बना, न संरक्षित। न शिक्षित बना और न स्वावलम्बी। अर्जन के सारे सूत्र सीमित हाथों में सिमट कर रह गए। स्वार्थ की भूख परमार्थ की भावना को ही लील गई। हिंसा, आतंकवाद, जातिवाद, नक्सलवाद, क्षेत्रीयवाद तथा धर्म, भाषा और दलीय स्वार्थों के राजनीतिक विवादों ने आम नागरिक का जीना दुर्भर कर दिया हैं. 
उपरोक्त विचार गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय धर्मधुरंधर सूरिस्वरजी म. सा. ने भायंदर(पश्चिम)स्थित आवर लेडी ऑफ़ वैलंकनी हाई स्कूल एंड जूनियर कॉलेज तथा सामाजिक सांस्कृतिक संगठन युथ फोरम की और से आयोजित ध्वज वंदन समारोह मैं व्यक्त किये. गच्छाधिपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति,भारतीय भाषा और भारतीयता का आग्रह बनाओ तभी हम सही मायने मैं स्वतंत्र कहलाएंगे. धर्मधुरन्धर ने  आज
हमारी समृद्ध सांस्कृतिक चेतना जैसे बन्दी बनकर रह गई। शाश्वत मूल्यों की मजबूत नीेंवें हिल गईं। राष्ट्रीयता प्रश्नचिन्ह बनकर आदर्शों की दीवारों पर टंग गयी। आपसी सौहार्द, सहअस्तित्व, सहनशीलता और विश्वास के मानक बदल गए। घृणा, स्वार्थ, शोषण, अन्याय और मायावी मनोवृत्ति ने विकास की अनंत संभावनाओं को थाम लिया। 
 उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन हम सात दशक की यात्रा के बाद भी इससे महरूम हैं। ऐसा लगता है जमीन आजाद हुई है, जमीर तो आज भी कहीं, किसी के पास गिरवी रखा हुआ है। हर किसी के मन मैं असुरक्षा का भाव है। लोकतंत्र घायल है। वह आतंक का रूप ले चुका है। मुझे अपनी मलेशिया एवं सिंगापुर की यात्रा से लौटने के बाद महसूस हुआ कि हमारे यहां की फिजां डरी-डरी एवं सहमी-सहमी है। जब एक बार दिल्। हमें समस्या की जड़ को पकडना होगा। केवल पत्तों को सींचने से समाधान नहीं होगा। ऐसा लगता है कि  इन सब स्थितियों में जवाबदेही और कर्तव्यबोध तो दूर की बात है, हमारे सरकारी तंत्र में न्यूनतम मानवीय संवेदना भी बची हुई दिखायी नहीं देती। संसद की कार्रवाही का अवरोध करना, कैसा लोकतांत्रिक आदर्श है? प्रश्न है कि कौन स्थापित करेगा एक आदर्श शासन व्यवस्था? उन्होंने  कहा कि पूर्ण भारतीय बने व भारतीय संस्कृति का पालन करें तभी हम स्वतंत्र कहलाएंगे.
ध्वजवंदन मैं गुरुदेव के अलावा मुनिराज ऋषभचंद्र विजयजी म. सा.,मुनिराज धर्मकीर्तिविजयजी म. सा.कार्यक्रम की अध्यक्षता रमेश एम बम्बोरी ने की। समारोह के मुख्य अतिथि मुरारका फाउंडेशन के दीनदयाल मुरारका थे. इस अवसर  पर एम जे एफ  लायन राधेश्याम मोरया, लायंस क्लब ऑफ़ भायंदर के अध्यक्ष लायन अशोक अग्रवाल,भायंदर भाजपा अध्यक्ष रवि बी.जैन,राकेश अग्रवाल,गजराज मेहता,किरण मरलेचा,मयंक मेहता सहित अनेक मान्यवर उपस्थित थे.उोास्थित मेहमानों का स्वागत स्कूल की संचालिका निर्मला माखीजा ने किया. कार्यक्रम का संचालन फोरम के अध्यक्ष दीपक आर जैन ने किया.

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