धर्म संस्कृति देती है मानव को सही जीवन दृस्टि


                                    धर्म संस्कृति देती है मानव को सही जीवन दृस्टि

भायंदर-धर्म,दर्शन,संस्कृति इन सबका एक ही उद्देश्य हें की मानव को सही जीवन दृष्टी मिले. वर्त्तमान सन्दर्भ में यह निष्चय करने के लिए कि कैसी जीवन दृस्टि सही होती हैं और कोनसी गलत. इसके लिए ज्ञान व विवेक की आवश्यकता हैं तथा उससे भी ऊपर गुणशीलता की. आज ज्ञान का विपुल मात्र में विस्तार हुआ हैं. वैज्ञानिक अनुसंधानों ने अकल्पनीय अविष्कारों को भी हकीकत बना दिया हैं. ज्ञान विज्ञानं की विभिन्न शाखाओं तथा प्रशाखाओं में भी अपने अपने विचार के विशेषज्ञों की भरमार हैं. सम्प्रेषण के माध्यमों का आशचर्यजनक विकास हुआ हैं की दुनिया मनो हमारी मुट्ठी में हैं. आज हम व्यक्ति का विश्व के किसी भी कोने में आसानी से संपर्क कर सकते हैं,यह मनुष्य की बौद्धिक और तार्किक शक्ति का कमाल हैं.
उपरोक्त विचार पंजाब केसरी प. पू. आचार्य श्री वल्लभ सूरिस्वरजी म. सा. समुदाय के गच्छाधिपति प.पू. आचर्य श्री धर्मधुरन्धर सुरिस्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा. ने व्यक्त किये.ज्ञात हो गच्छाधिपति का चातुर्मास भायंदर के श्री पार्श्व-प्रेम जैन संघ मैं चल रहा हैं. ऋषभचन्द्रजी कहा की अधिक धन कमाने की लालसा के लिए अनैतिकता चिंता का विषय हैं. उन्होंने कहा की जीवन दृस्टि स्वार्थ,अहंकार और दमन के दायरों में बिगड़कर अभावग्रस्त वर्गों में भी कोई आकर नहीं ले पा रही हैं. मुनिराज ने कहा की आज मनुष्य के मन को परिवर्तित करने की प्रबल जरुरत हैँ.और इसके लिए जरुरी हैं की वह भौतिकता को छोड़कर आध्यात्मिकता के क्षेत्र में प्रवेश करें. जब उसे सम्यग ज्ञान मिलेगा तब उसका सदविवेक भी जागृत होगा तथा वह गुणग्राही भी बनेगा. यह माने की प्रकृति से जो सौम्य बनता हैं वह सौभाग्यशाली हैं और सौभाग्यशाली पुरुष सर्वत्र अपनी सौम्यता बिखेरते हुए सबके व्यापक हिट की दृष्टी बनाता हैं जिससे सभी का विकास होता हैं.
गच्छाधिपति के नियमित प्रवचन सुबह 09 से 10 बजे तक होते हैं व गच्छाधिपति बनने के बाद पहला चातुर्मास होने से लोगो में अपूर्व उत्साह हैं. गुरुदेव की निश्रा मैं अनेक सामाजिक धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे. यह जानकारी शांति वल्लभ टाइम्स के दीपक आर जैन ने दी.

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