सरलता से मिलती हैं सफलता-प्रभाकरसूरीस्वरजी म.सा

भायंदर-जीवन में जितनी सरलता होगी सफलता उतनी जल्दी मिलेगी. दिनचर्या में मन को आनंदित करते हुए अपने कार्य करो. पूर्णता का आनंद प्राप्त करने के लिए जो हैं उसी में संतोष करों. अपने व्यव्हार को सरल बनाओ इससे अध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होगी. तप धर्म की साधना से अशुभ कर्मों का नाश होता हैं. चातुर्मास के दौरान जितना तप किया जाये उतना अच्छा हैं.
उपरोक्त विचार जिनशासन गौरव परम पूज्य आचार्य श्री दक्षसूरीस्वरजी म.सा. के शिष्य सूरिमंत्र पार्श्व पद्मावती के साधक समकित सम्राट आचार्य श्री विजय प्रभाकरसूरीस्वरजी म.सा. ने विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये. पद्मावती नगर में चातुर्मास की सर्वोच्च साधना सिद्धितप की शुरुवात 22 जुलाई से आचार्य श्री की निश्रा में शुरू हुई. 45 दिन की इस साधना में 36 उपवास और 8 दिन के बियासने होते हैं. बियासना में दो टाइम  भोजन सूर्यास्त के पूर्व करना होता हैं और उपवास में केवल गरम पानी सूर्यास्त के पहले तक लेना होता हैं.पुण्य से सुख शांति की प्राप्ति होती हैं. उन्होंने कहा की मनुष्य जीवन को सफल बनाने के लिए धर्म की शरण में जाना जरूरी हैं.यह तभी सफल होगा जब हम जीवन में देव,गुरु और धर्म की साधना करेंगे. देव यानि जिनेश्वर परमात्मा की पूजा,अर्चना,भक्ति से मन की प्रसन्नता बढ़ती हैं. गुरु के पास जाकर उनके उपदेशों से आत्मा को आत्मसात करे. इससे चातुर्मास में मन वचन काया से किया हुए धर्म से परम शांति का अनुभव  अपनी आत्मा के ऊपर लगे हुए अशुभ कर्मों को शुभ कर्मों में परिवर्तित करने के लिए तप को धर्म बताया हैं.रपज सुबह बड़ी संख्या में लोग प्रवचन का श्रवण करने आ रहे हैं. 
विश्व शांति व संघ के विकास हेतू गुरुदेव की निश्रा में भव्य पद्मावती महापूजन का आयोजन किया गया हैं. यह बहुत अद्भुत होता हैं और देश के अनेक प्रांतों से लोग इस पूजन में आते हैं. चातुर्मास दरम्यान अनेक धार्मिक अनुष्ठान होंगे.  

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