चिदानंदसूरी का चातुर्मास ठाणे में

आचार्य श्री चिदानंद सुरिश्र्वरजी महाराजा का ठाणे में भव्य चातुर्मास प्रवेश
दीपक आर.जैन 
ठाणे- पंजाब केसरी आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभसूरीस्वरजी म.सा.समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति शांतिदूत जैनाचार्य श्रीमद् विजय नित्यानन्द सूरीश्वरजी म.सा. के प्रथम  शिष्य तत्व चिंतक प्रवचनकार आचार्य श्री विजय चिदानंद सुरिश्वरजी म.सा.आदि ठाणा का आज भव्य प्रवेश मिनी शत्रुंजय स्वरुप व वल्लभ नगरी के रूप में प्रख्यात ठाणे नगरी में हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ.
श्री राजस्थान श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ व श्री ऋषभदेवजी महाराज जैन धर्म टेंपल एंड ज्ञाति ट्रस्ट के तत्वावधान में गुरुदेव के साथ मुनिराज लक्ष्मीचंद्र विजयजी म.सा.,मुनि श्री श्रुतानंदविजयजी म.सा. आदि ठाणा के अलावा नित्यानंदसूरीस्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी शासनरत्न साध्वी श्री अमितगुणाश्रीजी म.सा. (माताजी म.सा.),रत्नशीलाश्रीजी म.सा.,साध्वी कल्पदर्शिताश्रीजी म.सा.,साध्वी सिद्धिदर्शिताश्रीजी म.सा.,साध्वी विरागदर्शिताश्रीजी म.सा.,आदि ठाणा के साथ साथ गच्छाधिपति आचार्य श्री धर्मधुरन्धरसूरीस्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी श्री अमीनगुणाश्रीजी म.सा ,श्री पीयूषपूर्णाश्रीजी (अंजु म.सा.),तत्वदर्शिताश्रीजी म.सा,प्रशांतपूर्णाश्रीजी म.सा.,भव्यदर्शिताश्रीजी म.सा. आदि ठाणा का भी चातुर्मास होगा.प्रवेश के बाद विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि चातुर्मास आत्मा कल्याण का एक पथ है‌.हमें चातुर्मास दोरान पानी,और वाणी दोनों को प्राप्त करना चाहिए.उन्होंने कहा बड़े नसीब से लोगों को गुरु का सानिध्य प्राप्त होता हैं इसलिए चातुर्मास में जितना गुरु से सद्ज्ञान प्राप्त कर सके वह कर लेना चाहिए.अपने ओजस्वी प्रवचन में वल्लभ नगरी - ठाणा संघ के सेवा वैयावच्च का उल्लेख कर इस चातुर्मास में अनुशासन बनाये रखने व गतानुगतिक बाह्य आडंबर को छोड़ धर्म आराधना करने पर बल दिया.
 सुधर्मा स्वामी पाट के चढ़ावें का लाभ अशोक कुमार/ सरदारमलजी परमार (खुडाला),गुरू पूजन एवं कांबली  का श्री आत्म वल्लभ साधर्मिक उत्कर्ष संघ ने लिया. गुरुदेव की निश्रा में प्रवचन प्रतिदिन सुबह 9 से 10 ,सामुहिक 34 दिवसीय शांति सत्व तप,सांकली अट्ठाई तप,अट्ठम तप (8 व 3 उपवास ), 15 अगस्त को श्री मुनिसुव्रत स्वामी च्यवन कल्याणक,२५ सितंबर को पंजाब केसरी परम पूज्य आचार्य श्री विजय वल्लभसूरीस्वरजी म.सा की 65 वीं स्वर्गारोहण तिथि व 29 नवंबर को 150 वां जन्म महोत्सव प्रारंभ के आलावा अनेक सामाजिक धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे.
चातुर्मास दौरान होनेवाली 16 जुलाई की संक्रांति अनुकंपा दिवस,द्रितीय संक्रांति आध्यात्मिक विकास,भव्य क्षमापना तथा चतुर्थ सम्यक परिवर्तन के रूप में मनाई जाएगी. संक्रांति के लाभार्थी  रूपचंदजी हजारीमलजी परमार (बाली),स्व.मातुश्री अनसीबाई उमेदमलजी सोलंकी (वणदार-रानी स्टेशन),मातुश्री सुखीबाई जीवराजजी (दोशी)मेहता (सांडेराव), मोतीलालजी रायगांधी (जालोर)परिवार ने लिया हैं. जय जिनेन्द्र का लाभ मातुश्री संघवी श्रीमती सायरबाई केशरीमलजी ढेलारियावोरा (खिंवाड़ा)परिवार ने लिया.श्रीसंघ के मन्त्री ने गुरु वल्लभ के उपकारों एवं उनकी अतिशयकारी प्रतिमा के इतिहास को याद भक्ति की धूम प्रतिक गेमावत ने मचाई.  संघ ट्रस्ट मंडल में अध्यक्ष उत्तमचंद सोलंकी उदयकुमार परमार,रमेशकुमार पुनमिया,उत्तमचंद ढेलारियावोरा,संपतराजजी कंकुचोपड़ा, शांतिलालजी पारेख,नेमीचंदजी जीवावत,महावीरचंद पुनमिया,सुकनराज परमार,प्रकाशकुमार पुनमिया,वसंतकुमार राठौड़,सुरेशकुमार एफ छाजेड़ चातुर्मास को ऐतिहासिक व यादगार बनाने हेतू तैयार हैं.इस अवसर पर समाजसेवी इंदरमलजी राणावत,वरकाणा पेढ़ी के प्रविण लुणिया,प्रविणभाई मुण्डारा, समाजसेवी लाभचंदजी महेता, बाबुलालजी,महावीर मानव सेवा ग्रुप मुम्बई के संस्थापक विक्रम कुशलराज सुराणा आदि मान्यवर उपस्थित थे.

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