गुरु वल्लभ के सपनों को साकार करना हैं-नित्यानंदसूरीश्वरजी



  
श्री आत्मानंद जैन महासभा का 75 वें साल में प्रवेश 
( दीपक आर जैन )
मुंबई-- मिनी शत्रुंजय सम तथा पंजाब केसरी *गुरु वल्लभ की समाधि स्थली भायखला* स्थित सेठ मोतीशाह जैन मंदिर परिसर में पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभसूरीस्वरजी म.सा.समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय नित्यानंदसूरीश्वरजी म.सा.,तप चक्रवर्ती आचार्य श्री विजय वसंतसूरीश्वरजी म.सा. की पुण्य प्रभावक निश्रा में संक्रांति व गुरु वल्लभ द्वारा स्थापित श्री आत्मानंद जैन महासभा के 75 वे साल में प्रवेश के उपलक्ष में समारोह संपन्न हुआ.
मुंबई के उपनगर भायकला में भारतभर से पधारे भक्तों की विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए गुरुदेव नित्यानंदसूरीस्वरजी म.सा. ने कहा की आज गुरु वल्लभ के अधूरे सपनो को पूरा करने का समय आ गया हैं. समाज को स्वावलंबी और शिक्षित करने हेतु बहुत व्यापकता से काम करना होगा. उन्होंने कहा की बहुत काम संस्थाएं  श्री आत्मानंद जैन महासभा की तरह अमृत महोत्सव मनाती हैं. उन्होंने कहा की पहले सच्चा मानव बनना जरूरी है। किसी गरीब, निर्धन,असहाय को देख कर साधर्मिक के दुःख दर्द को सुन कर तत्काल उसके दुःख को दूर करने के लिए अगर तैयार नही होते तो समझ लेना चाहिए कि हम जैनत्व से बहुत दूर हैं.उसके सम्यग् दर्शन में भी सन्देह है! गुरु वल्लभ जैसे महायोगी ने शासन की सेवा, प्रभावना और समाजोद्धार हेतु जो कार्य किये आज भी गतिमान हैं और सारे समाज को प्रेरणा का प्रकाश प्रदान कर रहे हैं।मुनि श्री मोक्षानंद विजयजी म. सा ने अपने प्रवचन में कहा कि *जो लोग ये सोचते हैं कि खुद का पेट भरो और पेटी भरो वो संसार में भार रूप हैं । प्रकृति ने देना सिखाया है । दान से ही धन की शुद्धि और वृद्धि होती है । दीन-हीन,दुःखी,दरिद्र की सेवा करने में मानव जीवन की सार्थकता है । अकेले खाने वाला दानव है और दूसरों को खिला कर खाने वाला देव है। संसार में दान देने वाले की महिमा है। संयम स्वीकार करने से पूर्व स्वयं तीर्थंकर प्रभु भी एक वर्ष तक दान का दरिया प्रवाहित करते हैं.
इस अवसर पर ज्ञान प्रभाकर भोले बाबा *आ.भ.श्रीमद् विजय जयानंद सूरि जी .सा.एवं माताजी म.सा.साध्वी अमितगुणाश्रीजी आदि के चातुर्मास प्रवेश की पत्रिका का भी विमोचन* हुआ व मुनिराज *श्री धर्मानंद विजय जी म.के घोडपदेव जैन संघ में चातुर्मास की जय* बुलाई गयी तथा श्री राजस्थान जैन श्वेताम्बर संघ के बाबुलालजी सोलंकी व प्रकाश बाफना आदि पदाधिकारियों ने गच्छाधिपति जी के पुना में 15 जुलाई को ऐतिहासिक प्रवेश पर पधारने की विनंती की.श्री आत्मानंद जैन महासभा,मुम्बई के द्वारा साधर्मिक उत्कर्ष हेतु एक स्थायी फण्ड बनाने की शुरुआत की गयी जिसमें अच्छी राशि एकत्रित हुई।सभा के अध्यक्ष खुबीललजी राठोड ने कहा की अमृत महोत्सव का समापन गच्छाधिपति की उपस्थिति में ही होगा. उन्होंने संस्था के आयोजन को यादगार बनने के लिए लोगो से सुझाव भी मंगवायें हैं.संक्रांति महोत्सव का लाभ विमलचंद धोका परिवार ने लिया था. 

फोटो-गुरु विजय वल्लभ की समाधिस्थल पर दर्शन करते नित्यानंदसूरीस्वरजी म.सा.,मुनि मोक्षानंदजी,मुनि धर्मानंदजी म.सा. आदि.         

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