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नवंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पानी कटौती पर राजनीति

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                                                  भायंदर- मीरा-भायंदर महानगरपालिका द्वारा दिवाली से शुरू की गयी 30 प्रतिशत पानी कटौती को लेकर सभ राजनैतिक पार्टियों मैं राजनीति शुरू हो गयी हैं.आश्चर्य तो इस बात का हैं की कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस अतिरिक्त 75 दशलक्ष लीटर पानी के पाइपलाइन का भूमिपूजन करके गए थे. लोगों मैं चर्चा इस बात की हैं की मुख्यमंत्री पानी बढ़ाने आये थे या घटाने?वाही रांकपा के सक्रिय होने के बाद भाजपा शिवसेना के स्थानीय नेताओं ने अपने शीर्ष नेताओं से मिलकर इसे तत्काल रद्द करने की मांग की हैं. स्थानीय विधायक नरेंद्र मेहता ने इस संबंध मैं मुख्यमंत्री से मुलाकात की लेकिन उन्हें इस बारें मैं कोई ठोश आश्वाशन नहीं मिला हैं. सभी पार्टियां अब यह बताने का प्रयास कर रही हैं की वे इसे रद्द करने के लिए पूरी तरह प्रयासरत है वाही रांकपा ने कहा था की 48 घंटों मैं कटौती वापस नहीं ली गयी तो वे विधायक और महापौर का घेराव करेंगे लेकिन यह बात तो टांय टांय फीस हो गयी हैं. तो दूसरी और शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन व उद्योग मंत्री सुभा

गणी राजेन्द्रविजयजी म. सा. आदिवासी समाज का सूरज

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आदिवासी समाज को मुख्या धरा से जोड़ने मैं लगे गणी राजेन्द्रविजयजी म. सा.  दीपक आर जैन गणी राजेन्द्रविजयजी के मार्गदर्शन में अहिंसा,शांति और आदिवासी उत्थान एवं स्वस्थ समाज का अभियान चल रहा हैं. गुजरात के छोटा उदैपुर एवं बड़ोदा के आदिवासी अंचल में उन्होंने व्यक्ति सुधार के माध्यम से समाज सुधार का अभिनव उपक्रम चल रहा हैं. उनका अहिंसा विषयक विचार लोगों को प्रभावित कर रहा हैं. अहिंसा के प्रति लोगों में आस्था पैदा हो रही हैं. लोग यह महसूस कर रहे हैं कि रास्त्र में व्याप्त हिंसा का समाधान अहिंसा,शांति,सदभावना और अनेकान्त दृष्टि से ही संभव हैं. उनका सुखी परिवार अभियान अध्यात्म के स्पर्श से क्रांति के बीजों को स्थापित करने में अहम भूमिका निभा रहा हैं. आज हिंसा,उन्माद,युद्ध,आतंक और भ्रष्टाचार विश्व में बड़े पैमाने पर सर उठा रहा हैं. आज सभी राष्ट्र एक नाजुक मोड़ पर बारूद के ढेर पर खड़े हैं. आज भिन्न-भिन्न राष्ट्रों के द्वारा अपने प्रभुत्व का परिचय देने की आकांक्षा के कारण हिंसात्मक प्रवृत्तियाँ  एवं आतंकवादी प्रयासों से प्रसार हुआ हैं. आदिवासी लोगों को भी हिंसा के लिए उकसाया जाता रहा हैं.

लक्ष्य बदलने से कर्तव्य बदल जाता है- जैनाचार्य धर्मधुरंधरसूरीस्वरजी

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                                             दीपक आर जैन        भायंदर- भायंदर में चातुर्मास कर रहे  पंजाब केसरी परम पूज्य विजय वल्लभसुरिस्वरजी म. सा. समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति परम पूज्य  आचार्य धर्मधुरंधर सुरिस्वरजी ने कहा है की जिस तरह से एक जला हुआ दीपक कई बुझे हुए दीपको को जला सकता है वैसे ही हम सब कर्तव्यनिष्ठ बन गए तो बहुतो को बना सकते है . भायंदर(पश्चिम) स्थित 90 फ़ीट रोड पर वल्लभ नगरी मैं युथ फोरम के अध्यक्ष दीपक आर जैन व कमलेश शाह के सयोंजन मैं रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स(आरपीएफ)  जवानों के लिए  के लिए रखे गए'अपना कर्तव्य समझे व करे' पर विशेष प्रवचन के दौरान व्यक्त किये.  उन्होंने रेलवे सुरक्षा बल के 600 से ज्यादा जवानों  तथा अधिकारियो को संबोधित करते हुए कहा की हमें अपना कर्तव्य  समझना होंगा . लक्ष्य बदलने से कर्तव्य बदल जाता है अतः हमारा लक्ष्य एक ही होना चाहिए. उन्होंने कर्त्तव्य को परिभाषित करते हुए कहा की करते रहना ही कर्त्तव्य है अतः हर स्वरुप में व्यक्ति को सत्यनिष्ठ बनना चाइये क्योकि कर्त्तव्य के अभाव में अनुशाशनहींनता पनपती है दबाव पक्षपात

लायंस क्लब ऑफ़ भायंदर

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लायंस क्लब ऑफ़ भायंदर ने दिवाली स्नेह सम्मलेन का आयोजन किया जिसमे क्लब के अध्यक्ष लायन अशोक अग्रवाल,लायन जे पी.शर्मा,राजेंद्र डाखवे,रमेश भंडारी,अमिताभ दत्ता,लायनेस रेखा गुप्ता के अलावा बड़ी संख्या में लायन सदस्य उपस्थित थे.    

जिनसाशन का गौरव पंजाब केसरी आचार्य श्री विजय वल्लभसूरीस्वरजी म.सा.

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 समाज विकास में गुरुदेव का अतुलनीय योगदान                                                                                              दीपक आर जैन /मुंबई  आचार्य मानवता का भव्य प्रतिक हैं. जान जीवन का उच्चतम रूप आचार्य मैं ही प्रस्तावित होता हैं. जैन लोक चेतना के विकास के संरक्षण और प्रसारण मैं आचार्य का प्राधान्य स्पष्ट हैं.वह जान जीवन,सभ्यता और संस्कारों की विचारधारा का सफल प्रतिनिधि हैं,उसका उदार ह्रदय अखण्ड विश्वमैत्री का परिचायक हैं पंजाब केसरी परम पूज्य आचार्य श्री विजय वल्ल्लभसूरीस्वरजी म. सा.वे ऐसे ही प्रतापपूर्ण प्रतिभा संपन्न  थे. गुरुदेव त्याग और वैराग्य के,क्षमा और प्रेम के,स्नेह और सरलता के,विनय और वैयावृत के साक्षात प्रतीक एवं शांति व सौम्यता की साक्षात मंगलमूर्ति थे. उनकी संयम एवं साधनामय जीवन यात्रा सतत लक्ष्य बिंदु की और ही अग्रसर रही थी. जिस तरह कल कल करती सरित्ता की निर्मल अजस्त्र धरा लहरों से अठखेलियां करती मार्ग की विघ्न बाधाओं को चीरकर अपनी विजय ध्वजा लहराती हुई,सतत प्रवहमान रहती हैं. उसी प्रकार आचार्य  गुरुदेव की संयंधारा भी उछलती कूदती विचार उर्मियों से

भगवान महावीर का जीवन और दर्शन बहुआयामी हैं -सागरचन्द्र सागरससूरिस्वरजी

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       दीपक आर जैन  भायंदर- भगवान महावीर का जीवन और दर्शन बहुआयामी  हैं. महावीर ने जहां अहिंसा,अनेकान्त,अपरिग्रह का दृश्टिकोण दिया वहां उन्होंने स्वस्थ समाज सरंचना के सूत्र भी दिए. महावीर क्रांतदृस्टा ही नहीं,उत्क्रान्तेचा महापुरुष थे. उनके पास ऐसी क्षमता थी कि जिसमे वे पाखण्ड को सेमल की रुई की तरह रेशे रेशे कर उड़ा देते थे. जातिवाद,दासप्रथा,नारी उत्पीडन,कथनी,करनी मैं विसंगति आदि युगीन अंधेरों को दूर करने के लिए उन्होंने समता,सामंजस्य और सदाचार की ज्योति प्रज्वलित कि.us ज्योति में इतनी प्रखरता थी कि सघन अंधेरें भी एक साथ दरक हो गये. उपरोक्त विचार भायंदर(पश्चिम)स्थित बावन जिनालय जैन मंदिर में चातुर्मास हेतु बिराजमान परम पूज्य आचार्य श्री सागरचन्द्र सागरसूरिस्वरजी म. सा. ने व्यक्त किये. उन्होंने कहाँ की भगवान महावीर की ज्योति से जिसने भी अपनी आखों को आजा उसका प्रातः प्रशस्त हो गया. आचार्यश्री ने कहा की भगवान महावीर अंदर और बहार का युद्ध समाप्त कर जिस उचाई तक पहुंचे वहां तक जाने में हमे भी कुत्च पड़ाव अवश्य तय करने होंगे जैसे हम सही अर्थों में जीना सीखें औरों को समझना और सहन सीखे. उ

जैन धर्म और व्रत- आचार्य श्री धर्मधुरंधर सूरीस्वरजी म. सा.

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                                                                  जैन धर्म और व्रत  आचार्य श्री धर्मधुरंधर सूरीस्वरजी म. सा . दोनों प्रकार के धर्मों का उद्देश्य  हां,दोनों प्रकार के धर्मों का उद्देश्य एक ही हैं-सर्वथा कर्मों का क्षय,आत्मशुद्धि,वीतरागता,स्वस्वरूप में रमणता. किसी भी प्रकार की एंद्रेविक विश्वेच्छा,सांसारिक लिप्सा,स्वार्थमूर्ति,प्रलोभन यह धर्म का उद्देश्य नहीं हैं. हां,यह सही हैं कि दोनों प्रकार के धर्मों के पालन की रीति,नीति भिन्न-भिन्न हैं.  अनगारधर्म महाव्रत प्राचीन हैं तो सागराधर्म अणुव्रतप्रधान हैं. सातों प्रकार के व्यसनों का त्याग और मारगाणुसारिता के 35 गुणों का पालन तो गृहस्थधर्म-सागारधर्म की भूमिका है,नींव हैं.  महाव्रत और अणुव्रत  परमात्मा दृविचि धर्म मैं से प्रथम महाव्रत धर्म का उपदेश देतें हैं. तत्पश्चात अणुव्रतधर्म का. अणु यानि बाद में अथवा छोटे; महाव्रतों के बाद उपदिष्ट होने के कारण श्रावकधर्म के व्रत अणुव्रत कहलाते हैं;अथवा महाव्रत यानि बड़े बड़े व्रत और अणु यानि छोटे छोटे व्रत. महाव्रतों की अपेक्षा से छोटे होने के कारण श्रावकधर्म के व्रत  कहलाते हैं औ

इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स पर सेमिनार पर सम्पन्न

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                                                इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स पर सेमिनार पर सम्पन्न   भायंदर- सामाजिक सांस्कृतिक संगठन युथ फोरम व प्रेरणा फाउंडेशन की और से इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स पर सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमे राष्ट्रीय आरोग्य एवं सुरक्षा परिषद ने मार्गदर्शन किया.  भायंदर(पश्चिम)स्थित अवर लेडी ऑफ़ वैलंकनी हाईस्कूल एंड जूनियर कॉलेज में परिषद की भाषातज्ञ जयश्री केशव ने इंग्लिश सीखने के आसान तरीकों के बारे में जानकारी दी व कहा की हिंदी की तरह अंग्रेजी रोजमर्रा की जिंदगी में व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जरुरी भाषा होते जा रही हैं इसलिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान अब जरुरी हो गया हैं.  उन्होंने कहा की इंग्लिश बिलकुल सरल भाषा हैं,और हम इसे सीखने का प्रयास नहीं करते जिससे हमे यह कठिन लगती हैं. अपनी सोच बदलिये फिर देखिये कैसै आसान हो जाता हैं अंग्रेजी बोलना और सीखना. उन्होंने बताया की अंग्रेजी ऐसी भाषा हैं जिसे दुनियाभर में बोला जाता हैं.  आज हर तरह के बील की जानकारी,मोबाइल पर जानकारी आदि ज्यादातर इंग्लिश मैं ही होते हैं. पढाई में भी इसका प्रचलन बढ़ता जा रहा हैं. उन्होंने कहा की हम
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मध्यप्रदेश के शिक्षामंत्री पारस जैन   त्रिस्तुतिक संघ नायक परम पूज्य गच्छाधिपति  आचार्य श्री जयंतसेनससू रिश्वरजी म. सा. के  शिष्यरत्न मुनिराज श्री चरित्ररत्नविजयजी म. सा. से आशीर्वाद लेते हुए. इस अवसर पर उन्होंने उनके साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की व अपने सुझाव दिए. 

जैन धर्म और व्रत -आचार्य श्री धर्मधुरंधर सूरीस्वरजी म. सा

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धर्म-कर्म  जैन धर्म और व्रत आचार्य श्री धर्मधुरंधर सूरीस्वरजी म. सा. जैन धर्म अहिंसा,त्याग,टप,संयम,औए व्रतप्रधान परंपरा हैं. यहाँ तक कि स्वयं तीर्थंकर परमात्मा भी जब दीक्षा गृहण करते हैं तो उपस्थित देव देवियों,नर,नारियों के समक्ष सर्व सावद्धयोगों के त्याग के रूप में प्रत्याख्यान व्रत को स्वीकार करते हैं. सावद्धयोगों का त्याग यानि मन,वचन और काया से सभी प्राणातिपात   हिंसा,मृषावाद,झूठ,मैथुन,लोभ,क्रोध,मान,माया,मान,राग आदि विकारों को जाने अंजाने न करने का संकल्प. हां,त्याग,टप,सयमादिमय के पश्चात जब वे ज्ञानावर्णीय,दर्शनावरणिय,मोहनिय और अंतरायस्वरुप घाती कर्मों का समूल क्षय कर देते हैं;केवलज्ञान  केवलदर्शन की शक्ति को आत्मा में सर्वाशत;उजागृत कर चुके होते हैं.;जब तीर्थंकर नामकर्म उनके उदय मैं आ चुका होता हैं,चारों निकायों के देवता मिलकर समवसरण की रचना करते हैं और परमात्मा समवसरण मैं बिराजमान होकर प्रथम देशना देते हैं तब वे दो प्रकार के धर्म का उपदेश देते हैं- अनगारधर्म और सागराधर्म।  अनगारधर्म यानि श्रमणधर्म-सर्वविरतिधर्म और सागराधर्म यानि देशविरतिधर्म-श्रावकधर्म. सागराधर्म यानि ग

कमलेश शाह ZRUCC सदस्य मनोनीत

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                                                     कमलेश शाह ZRUCC सदस्य मनोनीत  भायंदर-भारतीय रेल प्रवासी के संस्थापक व अनेक वर्षों से प्रवासियों की समस्याओं को हल करने में अहम भूमिका निभानेवाले कमलेश एन शाह को रेल मंत्रालय,भारत सरकार ने पश्चिम रेलवे के जनरल मैनेजर की सिफारिश पर ZRUCC पश्चिम रेलवे का सदस्य मनोनीत किया हैं. उनकी नियुक्ति पर सांसद चिंतामण वणगा, महापौर गीता भारत जैन,मीरा भायंदर महानगरपालिका के सभाग्रह नेता रोहिदास पाटील,भाजपा मंडल भायंदर अध्यक्ष रवि बी जैन,युथ फोरम के राकेश अग्रवाल,भाजपा गुजरती सेल के जिलाध्यक्ष सुरेश पोपट, भारत मर्चेंट चैम्बर के शिव कानोडिया,गुजरती समाज के अध्यक्ष प्रवीण पटेल, डॉ रमेश जैन,डॉ राजेश चव्हाण सहित अनेक महानोभवों ने बधाई दी हैं. कमलेश शाह 1990 से अपनी संस्था के माध्यम से प्रवासियों की समस्याओं को प्रशाशन तक पंहुचा रहे है. 2001 में बांद्रा से सूरत इंटरसिटी शुरू करवाने में उनकी भूमिका बहुत ही महत्व पूर्ण थी. इसके अलावा मुंबई-पालीताणा ट्रैन शुरू करवाने के लिए अनेक जैन संघो का व देश के कई सांसदों का संपर्क कर समर्थन में पत्र लिया था. भा