ज्ञान के आगे सामर्थ्य कुछ भी नहीं

                                         




                                             ज्ञान के आगे सामर्थ्य कुछ भी नहीं 
 दीपक आर जैन 
भायंदर-ज्ञान का सम्मान होना चाहिए क्योंकि इसके आगे सामर्थ्य कुछ भी नहीं हैं.जीवन मैं सफलता हमारे नजरिये पर हैं की हम किसी भी काम को किस तरह से लेकर कर रहे. सफल होने के लिए खुद से सीखने और लड़कर जीतने की आदत डालनी होगी तभी सफलता आपके कदम चुमेगी. उपरोक्त विचार श्री राजस्थान नामदेव छीपा(शिल्पी)समाज,मुंबई द्वारा आयोजित लाइफ चेंजिंग सेमिनार मैं एम.जे.एफ. लायन राधेश्याम मोरया ने व्यक्त किये. 
भायंदर (पूर्व) स्थित इन्द्रलोक 03 मैं आयोजित सम्मलेन मैं विशाल जनसमूह को सम्बोधित करते हुए मोरया ने कहा की जो भी काम करे उसे दिल से करे तभी सफलता अपनेआप आप की तरफ बढ़ेगी। आप काम को किस तरह कर रहे हैं उसी पर आपकी सफलता भी निर्भर करती हैं.किसी भी कार्य को करने ओर ही आप

अपनी क्षमता को पहचान सकते हैं. अपने आप को कभी काम न समझे क्यूंकि जिस दिन इस बात को आप समझ लेंगे सफलता आपके कदम चुमेगी. 
मोरया ने कहा की काम को पूरा करने के लिए लक्ष्य तय करे तब असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. जीवन का लक्ष्य होने के कारण ही उत्तरप्रदेश की फुटबॉल खिलाडी दोनों पैर काटने के बाद भी एवरेस्ट की छोटी पर पहुंची और दृढ़ विस्वास और मनोबल ने इस वर्ष उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान मैं से एक ऐसा पद्मश्री पुरस्कार मिला. मोरया ने कहा की जीवन मैं सकारात्मकता आपको हर पल नए जोश का एहसास कराती हैं.सफल होने के लिए अपने जज्बे को कभी मरने न दे और ना ही सपने देखना बंद करे क्यूंकि जिस आपने यह बंद कर दिया आप खत्म हो जाएंगे।उपस्थित मेहमानो का आभार युथ फोरम के अध्यक्ष दीपक रमेश जैन ने व्यक्त किया. अगला सेमिनार 07 जनवरी को कांदिवली मैं होग.        

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम