शांतिलालजी मुत्था सयम पथ की और अग्रसर  
                                                                     (दीपक आर जैन) 
                                                




मुंबई:-  श्री सुधर्म जैन संघ के वरिष्ठ सुश्रावक और धर्म के प्रति पूरी तरह से समर्पित  शांतिलालजी मुथा जीवन के सर्वश्रेष्ठ पथ पर चलने की और अग्रसर हो चुके है और संयम अंगीकार कर रहे है इसके लिए उनकी परम अनुमोदना और अभिवादन।आपका पूरा जीवन जैन धर्म के प्रति तन-मन-धन से सदा समर्पित रहा है।जैन धर्म के कई सिद्धान्त आपकी दैनिक दिनचर्या के अभिन्न अंग है और पूरी श्रद्धा के साथ आप उनका पूरा पालन कर रहे है।आपने अपने अथक प्रयासों से ही ज्ञानगच्छ के शाहजी का चौक स्थानक के विस्तार और विकास में अमूल्य योगदान दिया है।आपके ही प्रयासों से वडेरा भवन स्थानक और टैगोर नगर में जैन स्थानक का निर्माण संभव हो पाया है. यद्यपि समाज के अन्य श्रावकों ने भी यथासंभव अपना योगदान दिया है परंतू आपके अध्यक्षीय कार्यकाल में आपकी ही प्रेरणा से ही ये कठिन कार्य आसान और संभव हो पाये है जिसके लिए पूरा जैन समाज आपके अकल्पनीय और अदभुत योगदान को सदियों तक याद करेगा।
 हर व्यक्ति के प्रति आत्मीय व्यवहार और हर दम मात्र धर्म करने की प्रेरणा देना और हर जैन व्यक्ति को प्रतिदिन सामायिक और साधू-संतो और महासतियोंजी के दर्शन करने की प्रेरणा देने व्यवहार करना वास्तविक अर्थों में सच्चा धर्म है और धर्म के प्रति आपकी निष्ठा और समर्पण को प्रदर्शित करता है।आपका पूरा जीवन साधू संतो और महासतियोंजी की सेवा करने और धार्मिक गतिविधियों में ही व्यतीत हुआ है ।पाली में ज्ञान गच्छ के स्थानकों का निर्माण  विस्तार और रखरखाव हो या चौके की व्यवस्था हो या जैन पाठशालाओ का संचालन हो या नवयुवक मंडल का गठन और दिशा निर्देशन हो या महिला मंडल की प्रेरणा हो या जैन शिविर का आयोजन या संत-सतियों के विहार में साथ जाने की तत्परता ऐसे अनेकों कार्य है जिनके लिए आपने सदैव सहयोग किया है और अपना सर्वाधिक समय भी दिया है जिसके लिए आपका साधुवाद और अभिनंदन । पाली वासी आपके इस अमूल्य योगदान को सदैव याद रखेंगे और आपकी कमी को हर पल हर समय महसूस करेंगे।
आज आप जैन धर्म के सच्चे पथ और वास्तविक मनोरथ संयम को धारण करने जा रहे है इसके लिए आपको ह्रदय की गहराइयों से शुभकामनायें ।भगवान् महावीर के बताये मार्ग पर चलते हुए आप चरम ऊंचाई पर पहुंचे और ज्ञानगच्छाधिपति आचार्य श्री की प्रेरणा और उनकी आज्ञा के अनुसार आगे का साधू -संयमित जीवन धर्म के प्रचार प्रसार में व्यतीत करें ।आपके जीवन का ये भाग सोने जैसा स्वर्णिम और हीरे जैसा चमकदार हो और सयंम के इस पथ पर अग्रसर होते हुए जैन धर्म ,आचार्य गुरु भगवंत और परिवार का नाम रौशन करें।आपकी दीक्षा शीघ्र ही महाराष्ट्र के बीड मैं होनेवाली हैं. एक बार फिर से बारम्बार अनुमोदना और खमत खमणा।
माणक डागा,
कोषाध्यक्ष-श्री सुधर्म जैन संघ,
महाराष्ट्र राज्य,भायंदर,
मुम्बई.
  

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