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बेहोशी के कारोबार: उधारी का साम्राज्य

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उधारी के जाल से बाहर निकलना जरूरी भरतकुमार सोलंकी आ ज के व्यापार जगत में ऐसे कई महारथी मिल जाएंगे जो दिन-रात जागते हुए भी असल में बेहोशी में जी रहे हैं। वे आपको बड़े गर्व से बताएंगे कि उनका कारोबार फल-फूल रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि उनकी दुकान, मुनाफे से नहीं, बल्कि उधारी की बैसाखियों पर खड़ी है। इन बेहोश व्यापारी बंधुओं की दुनिया में, मुनाफे का कोई अस्तित्व नहीं, सिर्फ उधार का खेल चलता है। कई वर्षों से यह 'महानुभाव' एक-दूसरे से पैसे मांगकर अपने कारोबार की गाड़ी खींच रहे हैं। दिन में बड़ी-बड़ी बातें, रात को उधारी की गिनती—यही उनकी दिनचर्या है। एक हाथ से उधार लेते हैं, दूसरे हाथ से किसी और को उधार दे देते हैं। अब आप इसे व्यापार कहें या उधारी का साम्राज्य, फर्क कौन समझे! दरअसल, यह उस चूहेदानी जैसा खेल है जिसमें खुद भी फंसे हैं और दूसरों को भी फंसा रहे हैं।  इनसे पूछो कि आपके व्यापार में असली मुनाफा कहां है, तो जवाब में बड़ी-बड़ी बातें सुनने को मिलेंगी। "देखिए, बिजनेस ग्रोथ के लिए इन्वेस्टमेंट जरूरी है," और यह इन्वेस्टमेंट?—वह भी दूसरों के पैसे से! असल में, ये व्यापारी

धर्मधुरंधर सूरीश्वरजी की निश्रा में धर्म आराधना की धूम

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लुधियाना में पर्व पर्युषण संपन्न लुधियाना : - श्री आत्मानंद जैन सभा (रजि.) के तत्वावधान में संघ में पर्व पर्युषण की आराधना हर्षोल्लास के साथ हुई।इस संघ में श्री आत्म वल्लभ समुद्र इंद्रदिन्न रत्नाकर सूरीश्वरजी के क्रमिक पट्टधर पंजाब केसरी, गुरु वल्लभ समुदाय के वर्तमान  गच्छाधिपति श्रुतभास्कर, आचार्य श्री विजय धर्मधुरंधर सूरीश्वरजी म.सा. आदि साधु साध्वीजी की पावन निश्रा में सर्वाधिक तपस्या हुई। मिली जानकारी के अनुसार गुरुदेव की निश्रा में 5 मासक्षमण, 178 अठाई के अलावा 6 मासक्षमण (32 उपवास) 5 पासक्षमण (15 उपवास),178 अठाई  (8/9 उपवास),150/ छ्ट अठ्ठम (तेला) एवं 44 अक्षयनिधी के तपस्वी थे।गुरुदेव ने तप की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला व कहा कि पर्वों का पर्व मतलब पर्वाधिराज पर्युषण।अत्यंत भाग्यशाली हैं वो जिन इन दिनों में तप कर अपने कर्मो को खपाते हैं। पारणा के लाभार्थी बाबू राम चमनलाल किशोर कुमार राजिंद्र  कुमार राकेश कुमार राजेश कुमार  (थड़े वाले परिवार) जैन होजरी लुधियाना ने  संघ की आज्ञा से तपस्वियों के पारणा का लाभ लिया।इस अवसर पर संघ अध्यक्ष राकेश जैन नारोवाल, आदि गणमान्य व्यक्ति व सं

राष्ट्रभाषा हिंदी और मातृभाषा में शिक्षा समय की मांग :- मुनि श्री अक्षयसागर

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14 सितंबर, हिन्दी दिवस पर विशेष हिन्दी जन -जन की भाषा  रा ष्ट्रीय हिंदी दिवस का इतिहास 14 सितंबर, 1949 से शुरू होता है। इस दिन, भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। हिंदी दिवस को मनाने के पीछे एक कारण यह है कि देश में अंग्रेजी भाषा के बढ़ते चलन और हिंदी की उपेक्षा को रोकना है। आपको बता दें कि महात्मा गांधी ने हिंदी को जन-जन की भाषा भी कहा था। जॉर्ज ऑखेरू, प्रसिद्ध ब्रिटिश लेखक ने लिखा है- किसी राष्ट्र की संस्कृति और पहचान को नष्ट करने का सुनिश्चित तरीका है , उसकी भाषा को हीन बना देना। जयप्रकाश नारायण ने लिखा था कि- मेरा सुनिश्चित मत है कि विदेशी भाषा अनिवार्य रहते हमारे शिक्षार्थियों में स्वाभिमान का विकास नहीं हो सकता। स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी को अनिवार्य रखना राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतिकूल है। सुप्रसिद्ध पत्रकार और लेखक डॉ वेदप्रताप वैदिक ने अपने एक लेख में लिखा कि- स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी के एकाधिकार शाही को छोड़कर अन्य विदेशी भाषाओं का सम्मान किया होता तो हमारा व्यापार कम से कम दस गुना अधिक होता, देशी

220 वर्षों से भी ज्यादा समय से भायंदर का नाईक परिवार निभा रहा अनोखी परंपरा

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नई गणेश मूर्ति का होता हैं अगले साल विसर्जन भायंदर :- शहर के प्रतिष्ठित नाईक परिवार के घर में गणपति का आगमन तो हर साल होता है, लेकिन पूजा एक साल बाद होती है। भायंदर पश्चिम में स्टेशन रोड पर स्थित चंद्रकांत निवास में नाईक परिवार पिछले 220 साल से यह अनोखी परंपरा निभाता आ रहा है। परिवार के छोटे बेटे एंड सचिन नाईक ने बताया कि हर साल गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की नई मूर्ति लाई जाती है और इसी दिन घर में रखी पुरानी मूर्ति की पूजा शुरू होती है, जो पूरे 10 दिन चलती है और उसका विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन कर दिया जाता है। इसके बाद नई मूर्ति साल भर उसी जगह पर रखी रहती है लेकिन उसकी पूजा नहीं की जाती है। उसकी बगल में दाहिने सूंड वाली सिद्धिविनायक की छोटी सी मूर्ति है, जिसका हर महीने की संकष्टी चतुर्थी को जलाभिषेक किया जाता है। सचिन बताते हैं कि शुरू से ही उनके यहां इको फ्रेंडली (सांडू मिट्टी) की मूर्ति ही आती है और सज्जा लकड़ी की होती है। औरंगाबाद से मुंबई आया था नाईक परिवार दरअसल इस घर के गणेश उत्सव की कहानी ऐतिहासिक व अनूठी है। परिवार के बड़े बेटे योगेश नाईक बताते हैं कि उनके पूर्वज रणछोड़ न

महाकाल की नगरी उज्जैन में पहलीबार 80 सिद्धितप

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23 अगस्त से 9 सितम्बर  तक महोत्सव का आयोजन संदेश - पूजा तलेरा को सिद्धितप उज्जैन :- श्री अवंती पार्श्वनाथ भगवान,   श्री श्रेयांशनाथाय भगवान के सानिध्य में व परम पूज्य आचार्य श्री विजय राजेन्द-धनचन्द्र भूपेन्द्र यतीन्द-विद्याचन्द्र-जयन्तसेनसूरि सदगुरुभ्यो के दिव्य आशीष से अवंतिका नगरी की पुण्य भूमि उज्जैन नगर के इतिहास में पहली बार 88 सिद्धितप तपस्वी अमृतमय पारणा के अवसर पर सप्तान्हिका महोत्सव का आयोजन किया गया है।ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उज्जैन नगर धर्ममय हो गया है। श्री सौधर्मवृहत तपोगच्छीय त्रिस्तुतिक जैन श्री संघ शुध्धोऽहं साध्य वर्षावास समिति नयापुरा, के तत्वावधान में इस अवसर पर 23 अगस्त  से 9 सितम्बर  तक विविध कार्यक्रमों का आयोजन परम पूज्य प्रातः स्मरणीय कलिकाल कल्पतरु दादा गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी म. सा. के पट्टधर परम पूज्य राष्ट्र संत आचार्य देवेश पूण्यसम्राट श्री विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी म. सा. के पट्टधर परम पूज्य गच्छाधिपति वर्तमान आचार्य श्री विजय नित्यसेन सूरीश्वर जी म. सा.एवं आचार्य देवेश श्री विजय जयरत्न सूरीश्वरजी म. सा. की आज्ञानुवर्ती  गुरुवर्या साध्वी श

होशपूर्वक जीवन: जैन धर्म की शुद्धता और अहिंसा का मार्ग

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साधना जैन धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा मुनि महात्मानंद जै न धर्म की परंपराएं और सिद्धांत मानव जीवन को शुद्ध और संयमित बनाने पर केंद्रित हैं। भगवान महावीर ने अहिंसा और शुद्धता के साथ जीवन जीने का मार्ग दिखाया हैं, जिसे जैन धर्मावलंबी प्रतिदिन के जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं। सामायिक-प्रतिक्रमण, जैन साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसमें व्यक्ति अपने विचारों, वचनों और कर्मों की समीक्षा करता हैं और आत्मा की शुद्धि का प्रयास करता हैं। इस साधना के दौरान, व्यक्ति को हर गतिविधि को होशपूर्वक करने की सलाह दी जाती हैं, यहां तक कि छींकने जैसी स्वाभाविक क्रियाओं को भी नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता हैं। जैन परंपरा में छींक को बेहोशी की निशानी माना जाता हैं, विशेष रूप से प्रतिक्रमण के समय। छींकने के पीछे की प्रक्रिया अनियंत्रित होती हैं, जो ध्यान और जागरूकता की कमी को दर्शाती हैं। जैन साधना में व्यक्ति को हर क्षण होशपूर्वक जीने की प्रेरणा दी जाती हैं ताकि वह अपने कर्मों और विचारों पर पूर्ण नियंत्रण रख सके। इसलिए, प्रतिक्रमण के दौरान छींकने से बचने का उद्देश्य यह हैं कि साधक पूरी तरह से अप

गुरु राजेंद्र की क्रियोद्धार भूमि तप शूराओ की नगरी जावरा में 240 सिद्धितप

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धर्ममय हुई जावरा नगरी तपस्वियों का विजय तिलक,वरघोडा एवं पारणा का भव्य आयोजन ओनिष दिलीप पगारिया भी सिद्धितप के तपस्वी जावरा (मध्यप्रदेश) :-  श्री आदिनाथ भगवान, श्री शांतिनाथ भगवान, आचार्य श्री राजेंद्र सूरीश्वरजी म.सा.के सानिध्य में शासन आराधक, शासन प्रेमी, शासन रक्षक 25वें तीर्थंकर तुल्य सकल श्री संघ की परम पावन पुनित सेवा में श्री सौ.वृ.त. त्रिस्तुतिक जैन श्री संघ एवं आत्मशुद्धि चातुर्मास समिति 2024-जावरा, मध्यप्रदेश के तत्वावधान में पहलीबार 240 सिद्धितप की अद्भुत तपस्या हर्षोल्लास के साथ चल रही हैं। ज्ञात होभारत की चैतन्यमय दिव्यवसुंधरा पर मध्यप्रदेश में गुरुदेव राजेंद्र सूरीश्वरजी म.सा.की क्रियोद्धार भूमि जावरा नगर एक व्यापारिक सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहर से सुशोभित है। धन वैभव के साथ ही धर्म वैभव से परिपूर्ण संप आस्थावान एवं सुज्ञ श्रावकों का भण्डार स्थल है। किन्तु जैसा कि प्रत्येक नगर में गाया जाता है कि युवाओं में धर्म के प्रति बढ़ रही सुषुप्ता को जागृति में परिवर्तीत करने के लिए संघ किसी चेतना पुरुष की दीर्घ नाह देख रहा था। संघ के अनुसार यह किसी अभिनव युग के स्वर्णिम इतिहास के

पेशवाओं के 9 वंशज डॉ. उदय सिंह पेशवा को श्रद्धांजलि

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सफाई अभियान का आयोजन भायंदर :-  उत्तन स्थित जंजीरे धारावी किले में नरवीर चिमाजी अप्पा मेमोरियल के पास, पेशवाओं के 9 वंशज डॉ. उदय सिंह पेशवा को श्रद्धांजलि दी गई।रविवार को आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित मेहमानों ने उनके कार्यों को याद किया।साथ ही उनकी याद में किले पर सफाई अभियान भी चलाया गया।इस अभियान में गढ़प्रेमियों के अलावा, कातकरी समाज के महिला-पुरुष, विधायक गीता जैन और मीरा भायंदर महानगर पालिका के उपायुक्त संजय दोंदे उपस्थित थे।

"विश्व शांति और अहिंसा पर परिसंवाद" का महत्वपूर्ण आयोजन राजभवन कोलकाता में आज

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राज्यपाल और केंद्रीयमंत्री कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। कोलकाता :- जन आरोग्य फ़ाउंडेशन के संस्थापक भारत गौरव देवेन्द्र ब्रह्मचारीजी के दिशा निर्देशन में तीर्थंकर भगवान महावीर के 2550 निर्वाण के वर्ष के अवसर पर"विश्व शांति और अहिंसा पर परिसंवाद" का महत्वपूर्ण आयोजन राजभवन कोलकाता में आज शाम को किया गया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ सी वी आनंदा बोस और भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले विशिष्ट अतिथि  होंगे। स्वागताध्यक्ष अशोक जैन सेठी और विशेष अतिथि महेंद्र तुरखिया, समाजसेवी एवं उद्योगपति भी उपस्थित रहेंगे। इसके अलावा, सम्मानित अतिथि घेवरचंद बोहरा, मुंबई, दीपक कुमार सेठी, वीरेंद्र कुमार पाटनी, निर्मल बिनायका आदि शामिल होंगे। कार्यक्रम के समन्वयक मनोज जैन (इशिका) ने बताया कि देश विदेश के अतिविशिष्ट साहित्यकार, सिने कलाकार एवम उद्दोगपति तथा भारत के अलग अलग राज्यों के सभी समाजों के शीर्षस्थ महानुभावों के साथ ही सिने कलाकार की भी महत्वपूर्ण और गरिमामय उपस्थिति होगी। कार्यक्रम में सत्य- अहिंसा का उपदेश देने वाले, प्राणी मात्र पर दया, करुणा रखने और स

आत्मा की शुद्धि के लिए करेंगे तप व जप :- डॉ पुष्पेंद्र

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  पर्युषण महापर्व  1  सितम्बर से प्रारम्भ 8  सितंबर को  “ मिच्छामि दुक्कड़म् ”  के साथ होंगी पूर्णिहूति जै न धर्म के पर्युषण पर्व मनुष्य को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा हैं। इन दिनों जैन धर्मावलंबी व्रत ,  तप ,  साधना कर आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं और स्वयं    के पापों की आलोचन करते हुए भविष्य में उनसे बचने की प्रतिज्ञा करते हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होता है। जैन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है   पर्युषण महापर्व।   श्वेतांबर व दिगंबर समुदाय के धर्मावलंबी भाद्रपद मास में  “ पर्युषण महापर्व ”  की साधना - आराधना करते है। श्वेतांबर समुदाय के आठ दिवस को  “ पर्युषण ”  के नाम से जाना जाता है जो कि   दिनांक  1  सितम्बर से प्रारम्भ होंगें तथा  8  सितम्बर को  “ संवत्सरी महापर्व ” ( क्षमापर्व) के दिवस के साथ पूर्ण होगें । वहीं दिगम्बर समुदाय के दस दिवसों को  “ दस लक्षण पर्व ”  के नाम से जाना गया हो जो कि  8  सितंबर से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी  17  सितंबर को समाप्त होंगे। श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने बताया कि चा

एलआइसी में श्रेष्ठतम सेवा के लिए अरूणा लोढ़ा को बीमा रक्षक 2024 अवॉर्ड

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15 वर्षों से है सक्रिय मुंबई। एलआइसी के नाम से मशहूर भारतीय वित्तिय क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कंपनी लाइफ इन्श्योरेंस कंपनी लिमिटेड में बेहतरीन सेवा प्रदाता के रुप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अरुणा अखिल लोढ़ा को बीमा रक्षक अवॉर्ड 2024 से सम्मानित किया गया। एलआइसी के मुंबई डिविजन 1 की 4759 युनिट में श्रीमती लोढ़ा का सर्वश्रेष्ठ कार्य रहा है एवं एलआइसी एजेन्ट के रुप में उन्होंने हर कदम पर संस्थान के हर कार्य में प्रभाव शाली सहयोग दिया है। विशाल चुनौतियां एवं विशालतम अवसर के महत्वपूर्ण उद्देश्य को केन्द्र में रखकर एलआइसी ने अरुणा लोढ़ा को यह पुरस्कार प्रदान किया है। एलआईसी ऑफ इंडिया मुंबई डिवीजन 1 के मार्केटिंग मैनेजर ककर जवारेकर, चीफ मैनेजर कृष्णन, ब्रांच मैनेजर उर्वशी व विकास अधिकारी रमेश बोहरा ने बीमा रक्षक की ट्रॉफी अरुणा अखिल लोढ़ा को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान की। एक सामान्य पारिवारिक गृहिणी की भूमिका निभाने के साथ-साथ वे एलआइसी में भी अपनी विशिष्ट सेवायें प्रदान कर रही है। करीब 15 साल से ज्यादा समय से वह एलआइसी सेवा प्रदाता के रुप में सक्रिय है। घरेलू कार्य में सलग

झूठा डालना परमात्मा का अपमान करना है :- कमलमुनि

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अक्षत मुनि का 21 दिवसीय तप संपन्न भायंदर :- अन्न के बिना हीरे पन्ने भी हमारी भूख नहीं मिटा सकते।झूठा डालना साक्षात परमात्मा और ब्रह्म का अपमान करने के समान है।विश्व में भूख से मरने वालों की संख्या  कम है और  खाकर मरने वालों की संख्या ज्यादा है। भोजन का अपमान करने वाला शैतान से काम नहीं होता हैं।  उपरोक्त विचार ओस्तवाल बगीची, समता भवन,भायंदर (पूर्व) में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने अक्षत मुनि के 21 दिवसीय तप अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।उन्होंने कहा की कुपोषण के शिकार होकर कितने ही दम तोड़ रहे हैं उनके साथ क्रूर मजाक कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि भूख से ज्यादा करना अमृत जैसा भोजन भी जहर के रूप में परिवर्तित हो जाता है भूख से कम खाना सबसे महान तपस्या है राष्ट्रसंत ने कहा कि स्वाद के लिए किया गया आहार रोगों को निमंत्रण देता है स्वाद को जीतने वाला सबसे महान तपस्वी है।जैन संत ने कहां की परमात्मा की तरह भोजन का सम्मान प्रसाद के रूप में स्वीकार करना चाहिए भोजन में कमी निकालने वाले से बड़ा और कोई पापी नहीं है।सकल जैन संघ के  अध्यक्ष उमराव सिंह ओस्तवाल, महामं

मीरा भाईंदर में गोविंदा 2024 सार्वजनिक दहीहांडी उत्सव उत्साह के साथ संपन्न

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फिल्म स्टार्स की मौजूदगी में संपन्न हुआ गोविंदा उत्सव भायंदर :- दही हांडी उत्सव पूरे देश और यहां तक ​​कि महाराष्ट्र में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन के लिए गोविंदा की टीमें कई महीनों से प्रैक्टिस करते हैं। गोविंदा की हर टीम ज्यादा से ज्यादा इंसानी पिरॅमिड बनाकर हांडी फोड़ने का सम्मान चाहती है।इस त्योहार की अलग ही रौनक है। पारंपरिक तरीके से मनाए जाने वाले इस त्योहार को आज एक भव्य कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है।मीरा भाईंदर में भी ऐसा ही भव्य दही हांडी उत्सव का आयोजन अलग अलग जगहों पर किया गया।  मंगलवार को मीरा-भाईंदर में दर्जनों फिल्मी सितारे, कलाकार, गायक और हास्य कलाकार ने विभिन्न दही हंडी उत्सव में पहुंचे। मीरा रोड में प्रताप फाउंडेशन की तरफ से आयोजित दही हंडी में हास्य कलाकार सुनील पाल, दीपिका सिंह सहित आधा दर्जन गायक और सिने कलाकार पहुंचे थे। 15 लाख की दही हंडी में आए लोगों के लिए विभिन्न उपहार आकर्षण का केंद्र रहे। आयोजक विक्रमप्रताप सिंह ने वताया कि सैकड़ों महिलाओं को साड़ियां और अन्य प्रमुख विजेताओं को दोपहिया वाहन व अन्य इनाम दिए गए।  पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता

सादड़ी में पर्व पर्युषण की आराधना

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31 अगस्त से 7 सितंबर तक विविध आयोजन सादड़ी :- श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान के सानिध्य में  सादडी (राणकपुर) में आठ दिवसीय महापर्व पर्युषण की आराधना का आयोजन किया गया है। सेठ धर्मचंद दयाचंद जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ व चातुर्मास 2024 के समस्त लाभार्थी परिवार के तत्वावधान में जापप्रेमी , सरल स्वभावी पंन्यास प्रवर श्री प्रशांतशेखर विजयजी म.सा. तथा पूज्य साध्वीजी श्री तत्वदर्शिता श्रीजी म.सा. आदि श्रमण-श्रमणी भगवंत की निश्रा में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व आराधना महाउत्सव भादरवा वद 13, शनिवार 31-08-2024 से भादरवा सुद 4, शनिवार 07-09-2024 तक आयोजित किया गया है।पर्युषण महापर्व की नित्य आराधना में भाईयो का प्रतिक्रमण सुबह 05.30,चैत्यपरिपाटी रोज़ विविध जिनालयो का दर्शन वाजते-गाजते सुबह 06:30 बजे,अष्टाह्निका प्रवचन सुबह 09.00 बजे, बहनों के लिए रोज 3 से 4 बजे विविध प्रतियोगिता, देवसीय प्रतिक्रमण रोज़ शाम 07:00 बजे, संगीतमय नित्य संध्याभक्ति: रात्रि 08.30 बजे होगी।प्रथम दिन  शनिवार 31 अगस्त दोपहर 03.00 बजे 14 स्वप्न पजल गेम रविवार 01 सितंबर दोपहर 03.00 बजे सांसारिक नाते छोडो और प्रभु वीर से नाता

जो जिनवचन श्रवण करता है, वही श्रावक कहलाता है - तत्वलताश्रीजी

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तत्वलता श्रीजी की निश्रा में धर्ममय हुआ मेघनगर जीवनलाल जैन  मेघनगर :- सिर्फ जैन कुल में, संभ्रांत परिवार में जन्म ले लेने मात्र से ही कोई श्रावक नही बन जाता, श्रावक तो वही होता है जो जिनवाणी का श्रवण कर उसे अपने आचरण में उतारे। उक्त विचार मेघनगर  संघ में ज्ञानतत्व तपोमय चातुर्मास हेतु विराजमान पूज्य साध्वी श्री तत्वलता श्रीजी म. सा. ने अपने प्रवचन में कहे। उन्होंने कहा कि मानव को कभी पुण्य के उदय की चाहना भी नही करना चाहिए, वह हमारे सद्कर्मों से स्वयं उदय में आते है, चाहना तो ऐसी होती है जिसका कि कोई अंत ही नही होता है, ये तो सदैव बढ़ती ही रहती है। संघ के रजत कावड़िया ने बताया कि संघ में चल रही सामूहिक सिद्धितप एवं भद्रतप आराधना के सामूहिक बियाशना संपन्न हुए। बियाशना का लाभ जिनेंद्रकुमार बाफना परिवार ने लिया।  पूज्य साध्वीजी के दर्शन वंदन हेतु अलीराजपुर निवासी और नंदूरी (नानपुर) जैन तीर्थ के निर्माता काकड़ीवाला परिवार के कमलेशजी काकड़ीवाला पधारे। काकड़ी वाला का बहुमान, बहुमान के लाभार्थी परिवार, वोहरा, रूनवाल, रांका व  कावड़िया परिवार ने किया।