व्यक्तित्व का अद्भुत गुण हैं क्षमापना

क्षमापना दिन के रूप में मनेगा आज परीक्षण का अंतिम दिन 
 दीपक आर.जैन 
भायंदर-पर्युषण पर्व में अहिंसा का नाश करो. अपने युग में यज्ञों में होनेवाली हिंसा से भगवान महावीर के मन को गहरी चोट  इसलिए उन्होंने अहिंसा का सिद्धांत प्रस्तुत किया. इसके प्रचार के लिए उन्होंने श्रमणों का संघ तैयार किया,जिन्होंने मनुष्य जीवन में लोगों को अहिंसा का महत्त्व समझाया. सामान्यत अहिंसा का अर्थ किसी प्राणी की मन,वचन व कर्म से हिंसा न करना होता हैं. आदमी में अनेक बुराई पाई जाती है,जिनकी गिनती करना बहुत मुश्किल कार्य हैं. इन बुराईयों की जड़ में मुख्य पांच दोष मिलेंगे. बाकी सभी दोष इन्ही से पैदा होते है. ये दोष है चोरी,झूठ,व्यभिचार,नशाखोरी व परिग्रह यानि धन इकट्ठा करना.
उपरोक्त विचार राष्ट्र संत आचार्य श्री अशोकसागर सूरीश्वरजी म.सा. म.सा. के शिष्य रत्न पन्यास प्रवर श्री दिव्येशचंद्र सागरजी म. ने व्यक्त किये उन्होंने कहा की क्षमा का जीवन में बहुत महत्व हैं. यदि इंसान कोई गलती करे और माफी मांग ले तो सामनेवाले का गुस्सा काफी हद तक कम हो जाता हैं. पन्यास प्रवर ने कहा की क्षमा तो वीर की पहचान हैं और इसीलिए शास्त्रकार भी कहते हैं 'क्षमा वीरस्य भूषणम'. कवियों ने इसे अपने अपने ढंग से परिभाषित किया हैं. उन्होंने कहा की क्षमा बड़न को चाहिए,चोटें को उत्पात,कहां रहीम हरि को घट्यों जो भृगु मारी लात जैसी पंक्तिया यही संदेश देती हैं कि क्षमा करना बड़ों का दायित्व हैं. यदि छोटे गलती कर देते हैं तो इसका मतलब यह नहीं की उन्हें माफ़ न  जाये. हर किसी ने कहा हैं की क्षमा वीरों को सुहाती हैं.
मुनि ततवेश चंद्र सागर ने कहा की क्षमा इंसान के जीवन का महत्वपूर्ण पहलू हैं. मनोवैज्ञानिक भी इसे मानव व्यव्हार का अहम् हिस्सा मानते हैं. उन्होंने कहा की हम कितने भाग्यशाली हैं की हमे क्षमा मांगने का अवसर अनादिकाल से देव गुरु की असीम कृपा से मिला हैं. संवत्सरी के दिन पुरानी बातों को भूलाकर.मन से वैर भाव मिटाकर सभी को क्षमा दें. गुरुदेव की निश्रा में परीक्षण पर्व की आराधना भव्य रूप से सम्पन्न हुई. उनका चातुर्मास भायंदर के चातुर्मास में नए इतिहास बनाएगा.     

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