सही विकास के लिए परंपराअों से जुड़ना जरूरी - जयंतसेन सूरीश्वरजी

गुरुदेव का भायंदर में लिया साक्षात्कार  
 दीपक आर जैन 
भायंदर- हां भई दीपक यह शब्द गुरुदेव के मुख से सुनने यह कान हमेशा तरसेंगे. त्रिस्तुतिक संघ नायक परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय जायनसेन्सुरिस्वरजी म.सा जिनसेशन का वो सूर्य थे जिसकी कमी हमेशा महसूस की जाएगी. उनसे एकबार संपर्क में आनेवाला व्यक्ति हमेशा के लिए उनका हो जाता था.अपने स्वास्थ के प्रति भी जैनत्व को चार चाँद लगाने के लिए अनदेखा किया.चैत्री पूनम के दिन देश विदेश से आये लाखो भक्त नीरस न हो इसके लिए स्वास्थ अनुकूल ना होने के बाद भी उन्होंने अपने तय कार्यक्रम के अनुसार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अस्पताल से चातुर्मास की घोषणा की. ऐसा प्रेम और वात्सल्य भक्तों के प्रतिअतुत प्रेम का उद्धरण हैं. अक्सर साधर्मिक और जरूरतमंद व्यक्ति की मदद के लिए उन्होंने किसी भी राशि के लिए लिसी को कहा हो तो उसने कभी मन नहीं किया. यह गुरु भक्तो का समर्पण मैंने बहुत कम जगह देखा हैं. साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कभी प्रश्नों को टालने का प्रयास नहीं किया बल्कि हर प्रश्न का उत्तर देकर सामनेवाले को संतुस्ट करने का प्रयास किया. हर विषय पर वे बेहिचक बोलते थे. समय न होने के बाद भी पत्रकारों के लिए समय निकालना उनकी विशेस्ता थी. भायंदर की धरा पर अपने व्यस्त समय में उन्होंने दिए साक्षात्कार के अंश. 
   
 देश का हिंदु समाज अपने सही लक्ष्य से भटक गया है इसका मूल कारण है कि समाज को सही मार्गदर्शक अौर सही ज्ञान देनेवाला नहीं मिल रहा है, क्योंकि लोग ज्ञानी लोगों के संपर्क में कम है उपरोक्त विचार राष्ट्रसंत, श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी सोश्यल फाउन्डेशन के आशीर्वाद दाता, त्रिस्तुतिक संघ नायक गच्छाधिपति प.पू. आचार्य श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने व्यक्त किये.
 विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहां की शाकाहारी ही मानव का आहार है। बढ़ती पाशचात्य संस्कृति के प्रति उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की व कहा कि विदेशी हमारी अच्छी चीजों को अपना रहे है अौर हम उनकी बुराइयों को.उन्होंने कहां की विदेशियों ने सिर्फ हमारा वेश नही पहना बल्कि हमें उनका वेश पहना दिया। वे हमारे धर्म अौर संस्कृति के कायल होते जा रहे हैं अौर हमारा कुछ वर्ग उससे दूर हो रहा है . हमें वैसे भी नकल करना ज्यादा पसंद है इसलिए नकल अच्छे काम की होनी चाहिए बुरे की नहीं. 
उन्होंने गौहत्या पाबंदी का सर्मथन किया व कहां की हर गलत मार्ग को सुधारने में थोड़ी तकलीफ तो पड़ती है लेकिन फिर सब सामान्य हो जाता है। जयंतसेन सूरी ने कहां की देश की 75 प्रतिशत गौशाला जैन चला रहे है इसलिए गायों के रख-रखाव की चिंता नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहां हमे कंकर से ज्यादा गेहू पर ध्यान देना चाहिए। गुरुदेव ने कहां कि हमारे सबसे बड़े पतन का कारण परंपराअों को छोड़ना है अौर हम इसकी विशेषताअों से भटक गये है तथा इसकी रही सही कसर अखबारों में छपते समाचारों अौर टीवी ने पूरी कर दी है. हम बूरी चीजें देखने के आदी हो गये है, धर्मसाधना के पथ पर बढ़ने के लिए है। अल्पसंख्यक की हमें कोई आवश्यकता नहीं है, उन्होंने कहां की भटके लोगों को सही राह पर लाने हेतु हमें उन्हें अच्छा साहित्य पढ़ाना होगा अौर अच्छे लोगों के संपर्क में रखना होगा।
उन्होंने गाड़ी से यात्रा (विहार) का विरोध किया व कहां की पैदल चलने से हर धर्म, संप्रदाय के लोंग संपर्क में रहते  है व पथ-पथ, डगर-डगर लोंगो से मिलने पर उनकी समस्याअों का निराकरण कर उन्हें सही मार्ग दिखा सकते है। उन्होंने कहां की जैन समाज एक है एक रहेगा इसमें एकता का कोई अभाव नहीं है, यह कुछ लोंगो का खड़ा किया हौवा मात्र है। गुरुदेव ने बाल दीक्षा को उचित बताया व कहां की दीक्षा की भावना हर व्यक्ति में नहीं होती यह तो पूर्व जन्म के संस्कार व पूण्योदय के बाद ही संभव होता है उन्होंने कहां की आडंबर में अनूचित पैसो का खर्च गलत है। बड़े कार्य करने से अनेक लोंग लाभांवित होते है। इस अवसर पर मुनि चारित्ररत्न विजयजी, मुनि नीपुणरत्न विजयजी म.सा. आदि उपस्थित थे. जयंतसेनसूरिस्वरजी म.सा,सोशल फाउंडेशन बनाने की अनुमति प्रदान कर आपने जो कृपा की उसे हम कभी भुला नहीं पाएंगे और आपके कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए हर प्रयास करेंगे.कोटि कोटि वंदन.आपकी कृपा हमेशा बानी रहे.  

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