जिनशासन गौरव राष्ट्र संत आचार्य जयंतसेनसूरिस्वरजी म.सा. का निधन
भांडवपुर तीर्थ में आज अंतिम संस्कार
दीपक आर.जैन /मुंबई
आज सूरज की चमक बड़ी फीकी फीकी से लग रही थी मनो वह भी उदास है लेकिन फिर समाचार मिला की त्रिस्तुतिक संघ नायक राष्ट्र संत गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी महाराजाका जालोर जिले के भांडवपुर तीर्थ में दुखद निधन हो गया हैं. यह समाचार समस्त जैन समाज के लिए आघातजनक था. अंतिम समय में समस्त मुनि मंडल उनके पास था. 64 वर्ष के दीक्षा पर्याय में गुरुदेव ने अनगिनत कार्य किये जिन्हे कुछ शब्दों में लिखा नहीं जा सकता.आचार्यश्री शांत,सरल व मधुरवाणी के सभी मुरीद थे.
साल 1936 में जन्मे गुरुदेव का सांसारिक नाम पूनमचंद था. आपका जंन्म गुजरात के पेपरल गांव में हुआ था. पिता स्वरूपचंद व माता पार्वतीदेवी की धार्मिक शिक्षा तथा संस्कारों व परम पूज्य आचार्य यतींद्रसूरिस्वरजी म.सा. के संपर्क ने आपको दीक्षा की और प्रेरित किया और 1953 में आपने साधु जीवन के कठिन मार्ग पर चलते हुए जिनशासन के सर्वोच्चा ऐसे गच्छाधिपति पद पर आरूढ़ हुए और अनेक ऐतिहासिक कार्यों को अंजाम दिया. आप कुशल लेखक,वक्त व कवी थे. अनेक पुस्तकों का आपने लिखा हैं.आपके सान्निध्यमें भारत ही नहीं विदेशके *जापान*से भी जपानीझ लोग साल में 3-4 बार आते थे और जैन धर्मका ज्ञान प्राप्त करते थे.आप ज्ञान ध्यानमें अग्रसर थे, अभिधान चिंतामणि, अभिधान राजेन्द्र कोष आपकी अमूल्य देन है. हर प्रकारकी सम विषम परिस्थितिओमें आपने अपनी महानता दिखाई है.सभी तरहके प्रश्नोंको आपने सभी वर्गों को साथमें लेकर सूज बुझसे निराकरण किया है।धानेरा के मंदिर का विवादभी आपने एवं परम पूज्य गच्छाधिपती आचार्य भगवंत *श्री विजय अभयदेव सूरीश्वरजी महाराजा*ने साथ में सुलझाया था और वर्षो के विवाद को शांत करके *जीर्णोद्धार* कार्य शुरू करवाया गया.आप *राष्ट्रसंत* थे, आप *शासन प्रभावक* थे.आपने जैन धर्मका डंका विश्वमें बजाया है,
संतो ने बताया अपूरणीय क्षति
त्रिस्तुतिक संघ नायक राष्ट्र संत गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री विजय जयंतसेन सूरीश्वरजी महाराजा के दुखद निधन को जिनशासन के लिए अपूरणीय क्षति बताया.पालीताणा तीर्थ विकास प्रेरक गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय अभयदेवसूरीस्वरजी म.सा. ने कहा कीआपकी निश्रामें हाल ही में थराद नगरे हुई ऐतिहासिक *एक साथ 24 दीक्षा*के पल को हम भूले नहीं और आपके यह देहत्याग के समाचार ने हर याद को आज जीवंत कर दिया.आपके जाने से जिनशासन को बहुत बड़ी खोट हुई है. आपकी आकस्मिक विदाई से ना सिर्फ आपके समुदाय एवम् भक्तवर्ग किन्तु समस्त जैन समाजको* कभी ना पूरी होने वाली खोट हुई है.आप जल्द से जल्द निकट मोक्षगामी बने यही परमात्मा से प्रार्थना.
गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय नित्यानंदसूरिस्वरजी म.सा.श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरिश्वरजी म.सा. के पट्टप्रभावक, त्रिस्तुतिक परंपरा के दैप्तियमान सूर्य, सुविशाल गच्छाधिपति साहित्य मनीषी लोकसंत शासन प्रभावकआचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेन सूरिश्वरजी म. सा. के देवलोकगमन से त्रिस्तूतिक परंपरा व समस्त जैन समुदाय को बहुत बडी क्षति पहुंची है .परमात्मा एवं दादा गुरु देव इस दुःखद घड़ी में समाज को शक्ति प्रदान करे ।परलोकगामी हमारे अंतरआत्मि आचार्य भगवन्त जयन्तसेन सूरीश्र्वरजी म.सा. के चरणकमलो में कोटि कोटि वंदन तपागच्छाधिपति आचार्य विजय प्रेमसूरीस्वरजी म.सा के कृपापात्र शिष्य आचार्य कुलचंद्रसूरीश्वरजी म.सा.,सुखी परिवार फाउंडेशन के प्रणेता श्री राजेन्द्रविजयजी म.सा.श्री जिनेन्द्रविजयजी म.सा,विधायक नरेंद्र मेहता सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने दुःख व्यक्त किया.
मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने कहा की आप जैसा गच्छ नायक अब हमें नही मिलेगा आप के बगैर त्रिस्तुतिक संघ एवं परिषद परिवार अनाथ हो गया है गुरुदेव आप जैसा जीवन पथ प्रदर्शक,आत्म कल्याण प्रदर्शक , गच्छ विकाश पुरुष , जन मानस के उपकारी , धर्म धुरंधर , जिन शासन के सबसे चमकदार दीपक के बिना अब अंधकार मय लगने लगा है अब हमें आत्म कल्याण की इस पथरीली राह पर कौन हाथ पकड़ कर आगे ले जाएगा I गुरुदेव को अंतःकरण से भावपूर्ण अश्रुपूरित श्रद्धांजलि, भावांजलि आदरांजलि, कुशुमाजंलि, वन्दनाजंलि
जापानी थे उनके कायल
आप जैसा गच्छ नायक अब हमें नही मिलेगा आप के बगैर त्रिस्तुतिक संघ एवं परिषद परिवार अनाथ हो गया है गुरुदेव आप जैसा जीवन पथ प्रदर्शक , आत्म कल्याण प्रदर्शक , गच्छ विकाश पुरुष , जन मानस के उपकारी , धर्म धुरंधर , जिन शासन के सबसे चमकदार दीपक के बिना अब अंधकार मय लगने लगा है अब हमें आत्म कल्याण की इस पथरीली राह पर कौन हाथ पकड़ कर आगे ले जाएगा .
अखिल भारतीय राजेंद्र जैन नवयुवक परिसद के भूतपुरव राष्ट्रिय उपाध्यक्ष वीरेंदर भंडारी की प्रेरणा से जापान के करीब तीन हज़ार से भी जयादा जापानियों लड़के व लड़कियों ने आचार्य श्री जयंतसेनसूरी जी से लगभग अठारह साल पहले से अभी तक लगातार साल में एक दो बार गुरुदेव से आशिर्वाद लेने आये है। और सभी जापानी भक्तों ने गुरुदेव से आशिर्वाद लेकर गुरुदेव की आज्ञा व् वीरेंदर भंडारी की प्रेरणा से सभी भक्तो ने मांसाहार का सम्पुर्णतया त्याग कर दिया।जापानीज़ भक्तों ने अभी गुरुदेव के स्वास्थ्य ख़राब होने के कारण दिन रात जापान में नवकार मंत्र का जाप चालू रखा।और जल्दी से गुरुदेव ठीक होकर सभी भक्तों को आशीर्वाद दे ऐसी उन्होंने वीरेंदर भंडारी को अपनी मन की बात फ़ोन पर बतायी। .गुरुदेव की निश्रा में बहुत जापानी भक्तों ने वीरेन्द्र भंडारी के साथ हर वर्ष नवकार मंत्र का जाप व् तपस्या भी की.और कल आधी रात को जब (वीरेंदर भण्डारी)ने जब बहुत से जापान के भक्तों को श्री गुरुदेव के बारे में बताया की गुरुदेव अब हमारे बीच में नहीं रहे तब सभी जापान के भक्तों को विश्वास नहीं हुआ। और बार बार मुझे पूछ रहे थे। की रियलअब हमारे गुरुदेव हमको छोड़कर चले गए है। और बहुत सारे जापानी भक्तों के आँखों में आसूं आ गए। और बहुत रोने लग गए थे। उनमे से कुछ जापानी आज टिकट बुक कर कल सुबह तक गुरुदेव के अंतिम दर्शन के लिए पहुँच रहे है।
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