महामानव का महाप्रयाण देशभर में शोक की लहर तपागच्छाधिपति आचार्य श्री प्रेमसूरीस्वरजी का निधन


दीपक आर जैन 
आज का सूर्योदय सूर्यास्त के समान लगा जब सुबह समाचार मिला की शंखेश्वर महातीर्थ में श्री 108 पार्श्व भक्ति महाप्रासाद के प्रेरक,जिनसाशन गौरव सर्वोच्च दीक्षा पर्यायी परम पूज्य तापगच्छाधिपति आचार्य श्री विजय प्रेमसूरीस्वरजी म.सा.का मुंबई में निधन हो गया. उनके निधन से देशभर के जैन समाज में शोक की लहर हैं.उनका निधन मात्र जैन समाज नही बल्कि संपूर्ण मानवजाति के लिए अपूर्णीय क्षति हैं.गुरुदेव का पार्थिव शरीर दर्शनार्थ श्री बाबु अमीचंद जैन मंदिर,वालकेश्वर में रखा गया था.पालखी दोपहर 02 बजे शुरू हुई तथा पंचशील प्लाजा,धर्म पेलेस,हुजिस रोड से होती हुई बाणगंगा पहुची जहाँ अंतिम संस्कार सम्पन्न हुआ.अंतिम संस्कार का चढ़ावा 11 करोड से अधिक में गया जिसका लाभ पांच परिवारों ने मिलकर लिया. 87 साल का दीक्षा पर्याय और जिनशासन का विकास जीवन के अंत समय तक सर्वोपरि रहा.   
वर्तमान समय मे उनकी अत्यंत आवश्यकता थी.पालीताणा मे मार्च मे हुआ श्रमण सम्मेलन उनकी वजह से ही संभव हुआ.96 वर्ष होने के बाद भी जब भी उनके दर्शन का मोका मिला उन्हें व्यस्त देखा.अखबारों को पढ़ना उन्होंने अंतिम समय तक नही छोडा.वंदन के बाद हमेशा प्रेम से सिरपर हाथ रखकर आशीर्वाद देते थे.हरपल जिनशासन के कार्यों को गति देने मे व्यस्त रहे.हमेशा मुस्कराते चेहरे से सामनेवाले को जब बुलाते तो मंन को ऐसी शांति की अनुभूति होती जिसे मे शब्दों मे नही लिख सकता.आपका पद भर पाना कठिन कार्य होगा. आशीर्वाद ने जीवन में नयी ऊर्जा का संचार किया.आपकी निश्रा में भायंदर में जाप कराने का अवसर हमारे परिवार को मिला उसे कभी नहीं भुला सकते.समस्त जैन समाज के लिए यह अत्यंत दुखद क्षण है परम पूज्य के.सी.म.सा.,मुनिराज श्री कुलदर्शनविजयजी(के.डी.) म.सा.व सभी को यह दुख सहने की प्रभु शक्ति दे यही प्रार्थना.
गच्छाधिपतियों ने बताया अपूरणीय क्षति 

शंखेश्वर महातीर्थ में श्री 108 पार्श्व भक्ति महाप्रासाद के प्रेरक,जिनसाशन गौरव सर्वोच्च दीक्षा पर्यायी परम पूज्य तापगच्छाधिपति आचार्य श्री विजय प्रेमसूरीस्वरजी म.सा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया.गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय अभयदेवसूरीस्वरजी म.सा. गच्छाधिपति आचार्य श्री जयंतसेनसूरीस्वरजी म.सा.राष्ट्र संत आचार्य श्री पद्मसागरसूरीस्वरजी म.सा.,गच्छाधिपति आचार्य श्री नित्यानंदसुरिस्वरजी म.सा.,गच्छाधिपति महाप्रद्युमनविजयजी(भाई महाराज),सहित आचार्य श्री सागरचंद्रसागर सूरीस्वरजी म.सा.,गणी राजेन्द्रविजयजी म.सा. सहित अनेक आचार्य भगवंतो ने दुःख व्यक्त कियानित्यानदसूरीजी ने अपने शोक सन्देश में कहा की आचार्य विजय प्रेमसूरीश्वर जी म. सा ने अपने सुदीर्घ वर्षों में संयम धर्म की आराधना से जिनशासन की महती प्रभावना की । उनका मधुर व्यवहार , उनका शुद्ध आचरण , उनकी निर्णय क्षमता हमेशा गुरुभक्तों के हृदय में अमिट छाप रखेगी । ज्ञातव्य है कि 97 वर्ष की आयुष्य में भी स्वयं ही संयम धर्म की समस्त क्रियाओं के कर पाने की सक्षमता का श्रेय वे सदा नमस्कार महामंत्र और जिनशासन को देते थे । यथा नाम तथा गुण - उन्होंने प्राणी मात्र के प्रति सदा करुणा और प्रेम की भावना ही रखी. 




तपागच्छ की सर्वोच्च प्रवर समिति में भी पूज्य गुरुदेव का महनीय स्थान रहा । तपागच्छाधिपति के रूप में अनेकों वर्षों तक उन्होंने व्यवस्थित रूप में कार्यभार संभाला जिसमें उनके शिष्य आचार्य विजय कुलचंद्र सूरीश्वर जी ( के.सी. महाराज ) ने अद्वितीय गुरुभक्ति का परिचय देते हुए सदैव सहयोग किया.गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी से सदैव स्नेहपूर्ण सम्बन्ध रहा ।हमारा  अनेकों बार मिलना हुआ एवं पिता पुत्र की भांति धर्मचर्चा एवं स्नेह-वात्सल्य की भावना से सभी सम्बन्ध परिपूरित रहे ।गच्छाधिपति उन्होंने कहा कीआचार्य श्री प्रेमसूरीश्वरजी म.सा. के कालधर्म का समाचार मिला ,तो उन्हें वज्राघात सा अनुभव हुआ.उन्होंने कहा कि ऐसी संयम विभूति ने सदा अपने अनुभव से शिरच्छ्त्र की भांति हमारा मार्गदर्शन किया । यद्यपि उनका कालधर्म हमारे लिए अपूरणीय क्षति है किंतु हमें पूर्ण विश्वास है कि देवगति को प्राप्त गुरुदेव शीघ्र ही मोक्ष गति को प्राप्त करेंगे.
मीरा-भायंदर महानगरपालिका की महापौर गीता भरत जैन,समाजसेवी रमेश बंबोरी,वर्ली संभवनाथ मंदिर के ट्रस्टी राकेश जैन(चोपड़ा,भाजपा के रवि बी.जैन,भायंदर(पश्चिम)भाजपा महिला अध्यक्षा निर्मला माखीजा,राकेश अग्रवाल,वीडीजे ग्रुप के दीपक आर जैन आदि ने उनके कालधर्म पर गहरा दुःख जताया. कुलचंद्रसूरीस्वरजी (के.सी.)म.सा. ने कहा की उनके सर से आज छत्र चला गया.ऐसा लग रहा है मनो मैंने अपना सबकुछ खो दिया. सागरचंद्रसागरजी म.सा. ने कहा की आज जिनशासन का तेजस्वी सूर्य अपनी अंतिम यात्रा पर निकल पड़ा है.   


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