आचार्य जयंतसेनसूरीस्वरजी को लोकसंत की उपाधि


                                            -                                                                                                                     आचार्य जयंतसेनसूरीस्वरजी को लोकसंत की उपाधि  
दीपक आर.जैन/रतलाम                                                                                                                                आचार्य जयंतसेन सूरीस्वरजी म.सा ने कहा कि *भगवान महावीर* ने जनकल्याण की बात कही हैं.भगवान महावीर की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करें क्योंकि महावीर ने प्राणीमात्र के कल्याण की कामना की है। जियो और जीने दो का संदेश दिया है। महावीर के संदेश को जीवन में उतारे तो हमारा चातुर्मास सार्थक होगा। आपने कहा कि सुखमय जीवन चाहते हैं तो क्षमा देते चलो। *क्षमा सिर्फ मांगने से काम नहीं चलेगा क्षमा देनी भी पड़ती है तभी समाज में शांति स्थापित होगी। आपने कहा कि जब तक क्रोध रहेगा क्षमा मांगना निरर्थक रहेगा। क्रोध हमें पथ से विचलित कर देता है, इसलिए अहंकार हमें क्षमा मांगने नहीं देता। मोह, माया लाभ छोडक़र हमें बैरभाव खत्म करना है। *महावीर की वाणी प्रत्येक प्राणी के हित में है।* सभी से प्रेम से मिलो। आज क्षमापना पर सभी से क्षमा याचना करें।उपरोक्त विचार त्रिस्तुतिक संघ नायक,परम पूज्य राष्ट्र संत गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय जयंतसेनसूरीस्वरजी म.सा. ने व्यक्त किये. 

गच्छाधिपति रतलाम स्थित जयंतसेन धाम में क्षमापना समारोह में विशाल धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में सामूहिक क्षमा पर्व के दौरान मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा की क्षमा वही कर सकता है जो अपनी मर्यादा को समझता है.हम सभी यहां क्षमा का विचार करके आचार्यश्री से आशीर्वाद लेने उपस्थित हैं। हम भारतवासियों की दुनिया में सभी देशों में पहचान एक धार्मिक देश के रूप में है। हमारे देश में सुख साधनों से वंचित होने वाला वर्ग हो सकता है लेकिन सभी वर्गों में चाहे वो अमीर हो या गरीब सभी में धार्मिकता होती है। हमारे यहां आचरण की बातें धार्मिक ग्रंथों के द्वारा की गई है। भारतीय जैसा व्यक्ति दुनिया में कहीं नहीं मिलने वाला है। उसका यदि कोई आधार है तो वह है धार्मिकता। इस दौरान उन्होंने विधायक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप को चातुर्मास व क्षमा पर्व के सफल आयोजन हेतु धन्यवाद दिया। 
आर.एस.एस. के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि आज क्षमा का पर्व है। जो गलती करता है वही मनुष्य है। लेकिन मनुष्य जानता है वह गलती कर रहा है लेकिन वह स्वीकार नहीं करता है। जानना और मानना दोनों में बहुत अंतर है। क्षमा मांगना व गलती स्वीकार करना दोनों अलग बात है। भगवान महावीर ने क्षमा की बात कही वैसे ही अहिंसा की भी बात कही है। अहिंसा के रक्षा करने की लिए व समाज में फैली नकारात्मक शक्तियों से बचाव के लिए कभी कभी हिंसा भी करनी पड़ती है।.                                                            क्षमा पर्व आत्म परीक्षण का पर्व है: विनय सहस्त्रबुद्धे 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे *सांसदव भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि क्षमा पर्व की अपनी अलग विशेषता है। सभ्य समाज की व्याख्या में भी क्षमा है। आध्यात्म एक बहुत बड़ी चीज होती है। हम सभी अपनी प्रार्थनाओं में प्रतिदिन धरती माता, भगवान गणेश आदि की वन्दना में होने वाली गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं। क्षमापना पर्व आत्म परीक्षण का पर्व है। *आपने कहा कि राष्ट्रसंत को ‘लोकसंत’ की उपाधि से सम्मानित करने का मौका मिला है। लोक का मतलब है जिन्होंने लोगों के दिलों में जगह बनाई है।* आज तीन बातों के बारे में संकल्प करना चाहिए। राष्ट्र की क्षमा, समाज की क्षमा, लोगों के साथ ईमानदारी। कभी ऐसी स्थिति ना हो कि हमें अपने आप से क्षमा मांगना पड़े।                                                   
*मंदसौर के सांसद सुधीर गुप्ता* ने क्षमा पर्व पर कहा कि ग्लोबलाईजेशन के दौर में सभी आगे बढऩे की होड़ में लगे हैं ऐसे समय में क्षमा पर्व मनाना बड़ी बात है क्षमा मन के भावों में ला सके तो इस पर्व का मनाना सार्थक होगा। इस तरह से हम देश को नई दिशा की ओर ले जा सकते हैं जहां पर अमन शांति होगी। उन्होंने क्षमा पर्व को पर्वों में सबसे बड़ा पर्व बताते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं से मिच्छामी दुक्कड़म कहते हुए क्षमा मांगी।चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष विधायक चेतन्य काश्यप* ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि चातुर्मास में गुरू का आशीर्वाद मिला। भौतिक सुख जुटाना अलग बात है परन्तु है गुरूभक्तों की भावना से जुडऩा यह बड़ी बात है। जयन्तसेन धाम में दूर-दूर से लोग आचार्यश्री के दर्शन वंदन को प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। जैन दर्शन में क्षमा का महत्व बहुत बड़ा है। क्षमा पर्व पर जीवन में कम से कम एक व्यक्ति से बैर खत्म करें। क्षमा पर्व का महत्व आचार्यों ने बताकर सामूहिक समरसता का भाव पैदा किया है। इसी के साथ चेतन्य काश्यप ने अतिथियों का स्वागत कर उपस्थित श्रद्धालुओं से सालभर जाने-अनजाने में हुए गलतियों के लिए क्षमायाचना की।                                                                 
त्रिस्तुतिक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वाघजी भाई वोरा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि चातुर्मास आयोजक, विधायक चेतन्य काश्यप के प्रयास से आज हम सब यहां एकत्र हुए हैं । क्षमा पर्व के आयोजन में हम सबको यहां बोलने का एवं मिलने का अवसर मिला है। हर धर्म का मूल मंत्र है जियो और जीने दो और इसे हमें जीवन में उतारना होगा। आचार्यश्री के सान्निध्य में यहां चल रहे चातुर्मास के दौरान देशभर से गुरुभक्त आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। यह आयोजन की बड़ी सफलता है ।*                                                             
कार्यक्रम के आरम्भ में चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप, सिद्धार्थ काश्यप, श्रवण काश्यप ने काश्यप परिवार ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया। त्रिस्तुतिक जैन श्रीसंघ अध्यक्ष वाघजी भाई वोरा, रतलाम संघ अध्यक्ष डा. ओ.सी. जैन आदि ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया।वहीं संयुक्त जैन समाज के प्रतिनिधियों ने राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष व चातुर्मास आयोजक चेतन्य काश्यप का शॉल श्रीफल भेंट कर चातुर्मास के सफल आयोजन हेतु क्षमा पर्व पर आयोजित समारोह में बहुमान किया। 
इस अवसर पर त्रिस्तुतिक त्रिस्तुतिक जैन श्रीसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वाघजी भाई व्होरा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग संचालक माधव काकानी, जिला प्रमुख विरेन्द्र वाफगांवकर, भाजपा जिलाध्यक्ष बजरंग पुरोहित, महापौर डा. सुनीता यार्दे, जिला पंचायत अध्यक्ष परमेश मईड़ा, ग्रामीण विधायक मथुरालाल डामर, त्रिस्तुतिक जैन समाज के अध्यक्ष ओ.सी. जैन, रतलाम जैनश्री संघों के अध्यक्षगण भी मंचासीन थे। संचालन अब्दुल सलाम खोकर ने किया। कार्यक्रम के पश्चात सकल जैन श्रीसंघ व आमंत्रितजनों के स्वामीवात्सल्य का आयोजन चातुर्मास आयोजक परिवार की और से  किया गया।                                                        
जयन्तसेन धाम पर आयोजित क्षमा पर्व पर संगीतमय क्षमा भक्ति का आयोजन किया गया, जिसमें चेतन्यजी काश्यप के सुपुत्र *युवा संगीतकार सिद्धार्थ काश्यप* ने प्रभावी ढंग से सस्वर भक्तिगीतों को प्रस्तुत किया। मुम्बई से आए ऋषिकेश तम्बोलकर, शावेरी भट्टाचार्य ने स्वरों में सिद्धार्थ काश्यप का साथ दिया। वहीं वायलिन पर इकबाल, गिटार पर जयंती कौशल, तबले पर आशीष झा, ढोलक पर प्रतीक मेहता आदि सहयोगियों ने संगत दी। *इस अवसर पर 2600 वर्षों में ना कोई तुम सा आया है, तीर बिना तलवार के जो महावीर कहलाया है...., कामनाएं मोक्ष की, भावनाएं भोग की, जिंदगी जंजाल है बस इस संजोग की....., हाथ जोड़ मिच्छामी दुक्कड़म हर प्राणी से कर ले....., सत्य अहिंसा पथ पर चलकर जीवन अपना बनाना है, महावीर की वाणी को जन-जन तक पहुंचाना है....आदि गीतों की प्रस्तुति दी* गई.                                                              
                                              आचार्यश्री को दी ‘लोकसंत’ की उपाधि 
जयन्तसेन धाम में  राष्ट्रसंत श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. को *मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी, कार्यक्रम अध्यक्ष सांसद एवं भाजपा उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे, विधायक एवं राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में राष्ट्रसंत को ‘लोकसंत’ की उपाधि से अलंकृत कर प्रशस्ति पत्र भेंट किया।* प्रशस्ति पत्र का वाचन श्रीसंघ के *राष्ट्रीय महामंत्री सुरेन्द्र लोढ़ा* ने किया।                                             
अपने सम्मान के प्रति उत्तर में गुरुदेव ने कहा कि  संत तो सबके होते हैं। आप रतलामवासियों ने मुझे अपना समझा और मैने आपको अपना समझा। रतलाम में हर वर्ग ने प्रवेश अवसर पर मेरा स्वागत किया। आपकी भावना देखकर प्रसन्नता है।* रतलाम के हर समाज में एकता के साथ भक्ति का भाव हमेशा बना रहे।.                                                                                                       
कार्यक्रम की शुरूआत में *मुनि निपुणरत्न विजयजी म.सा.* ने क्षमा प्रवचन देते हुए कहा कि क्रोध में व्यक्ति क्या बोलता है उसे खुद भी पता नहीं चलता है। अपने क्रोध पर हमेशा काबू रखना चाहिए। सदा अपने अंदर क्षमा का भाव होना चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि क्षमा धर्म का सार है । यह प्रभु महावीर का वचन है । इन वचनों को हमें आत्मसात करना है । आपने कहा कि *सबसे सरल कार्य है दूसरों को सलाह देना और सबसे कठिन कार्य है अपनी गलती को स्वीकार करना,* क्षमा मांगना और क्षमा देना यही क्षमापना का सार है ।                   महासती प्रेक्षाजी म.सा.* ने कहा कि जितना श्वांस लेना जरूरी है उतना ही सुखी रहने के लिए क्षमा को धारण करना भी जरूरी है। जो व्यक्ति क्षमा को धारण नहीं करता वह अपने सुख और शांति के साथ समझौता करता है। छोटी सी जिंदगानी है तकरार किसलिए। *संसार का सबसे बड़ा धर्म क्षमा है।* दो दिलों के बीच यह दीवार किस लिए। आपने कहा कि क्षमा का महत्व, भगवान महावीर, यीशु ने तथा महाभारत, रामायण, कुरान में भी बताया गया है इस क्षमा पर्व आयोजन पर रतलाम सहित देशभर के विभिन्न नगरो से हजारो गुरू भक्त उपस्थित थे.

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