एक जीवंत परम्परा को झुठलाने की साजिश -ललित गर्ग-
प्रस्तुति - दीपक आर जैन/मुंबई जैन मुनि तरूणसागरजी पर कांग्रेस के तहसीन पूनावाला एवं आम आदमी पार्टी के प्रचारक एवं डायरेक्टर और गायक विशाल डडलानी की अशोभनीय एवं निन्दनीय टिप्पणियों ने न केवल जैन समाज को बल्कि सम्पूर्ण धार्मिक जगत को आहत किया है। अहिंसा को जीने वाले जैन मुनि के प्रति ट्विटर पर की गयी टिप्पणी ने जन-आस्था को झकझोर दिया है। इस प्रकार की उद्देश्यहीन, उच्छृंखल, विध्वंसात्मक टिप्पणियों के द्वारा किसी का भी हित सधता हो, ऐसा प्रतीत नहीं होता। बल्कि इस तरह की टिप्पणियों में एक जीवंत परम्परा को झुठलाने की साजिश की बू आती है। राजनीति से जुड़े लोगों के इस तरह के बयान एवं टिप्पणियां हमें किस दिशा में ले जा रहे हैं? आखिर क्या आवश्यकता थी इस तरह की टिप्पणी करने की? क्यों बार-बार जैन समाज के साधु-संतों को इस तरह के अपमान के घूंट पीने पर मजबूर होना पड़ता है? क्या उनका अहिंसक होना ही इसका कारण है? जैन मुनि तरूणसागरजी ने हरियाणा विधानसभा में विधायकों को प्रवचन दिया। अक्सर वे ऐसे स्थानों पर प्रवचन करते हैं। अपने प्रवचन के दौरान उन्होंने राजनीतिज्ञों को अपने आचरण में सुधार लान