उपाध्याय साधु समुदाय को स्वाध्याय रूपी पानी से हरा-भरा रखते हैं : जयंतसेनससूरिस्वरजी
भीनमाल -
72 जिनालय में गच्छाधिपति जयंतसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में आयोजित नवपद ओली आराधना के चौथे दिन रविवार को प्रवचन का आयोजन हुआ। गच्छाधिपति जयंतसेन सूरीश्वर म सा ने श्रीपाल राजा की कहानी को उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया, जब श्रीपाल राजा मदन मंजूषा से विवाह कर रत्न द्वीप पहुंचे। इस बीच उन्होंने अपने पुण्य बल से धवल सेठ जैसी सिद्धि प्राप्त की, जिससे धवल सेठ के मन में उसके प्रति ईष्र्या भाव पैदा हो गए। आचार्य ने उपाध्याय के गुणों का वर्णन करते हुए बताया कि जिस प्रकार माली वृक्षों को पानी पिलाकर हरा-भरा रखता है, उसी प्रकार उपाध्याय साधु समुदाय में स्वाध्याय रूपी पानी डालकर उसे हरा-भरा रखते हैं।
प्रवचन में उपाध्याय विनय विजय मसा तथा यशोविजय मसा के जीवन चरित्र पर भी प्रकाश डाला गया। उनकी प्रखर मेघा एवं रचनात्मक शक्ति के उदाहरण सुन श्रोता नत मस्तक हो गए। उपाध्याय को माता की उपमा दी गई है, जो मां बनकर नवदीक्षित को चलने बैठने जैसी छोटी से छोटी क्रिया करना सिखाते हैं। मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि इस दौरान उपाध्याय पद की आराधना के तहत उपाध्याय के जाप किए गए तथा उपाध्याय के गुणों को याद कर विभिन्न धार्मिक आयोजन हुए। कार्यक्रम में रोजाना की तरह उपाध्याय पद का जाप कर एक ही धान मूंग का प्रयोग करते हुए आयंबिल किए दोपहर में आदिनाथ पंच कल्याणक पूजन विभिन्न कलाकारों की ओर से श्रीपाल रास का मंचन किया गया। शाम को संध्या भक्ति के तहत प्रभु के गुण गान करते हुए गुरू महिमा के गीत गाए गए।
उबलाधान गर्म पानी पीते हैं साधक : नवपदओली आराधना में नौ दिन तक आराधक एक समय बिना नमक, मिर्च तथा घी-तेल का भोजन गर्म किए हुए पानी का उपयोग करते हैं। ओली आराधना में प्रतिदिन आराधक दो वक्त प्रतिक्रमण, तीन समय देव वंदन, पूजा, प्रवचन श्रवण संध्या भक्ति सहित विभिन्न विधियां करते है।
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