जैन जगत की विरल विभूति थे अशोक मुनि जी !

98 मासक्षमण के घोर आराधक

~ डॉ अमित राय जैन, 

बड़ौत :- आगमकालीन तप के आराधक तपस्वी श्री अशोक मुनि जी महाराज का आकस्मिक देवलोकगमन मंदसौर मध्य प्रदेश में हो गया है। जैन समाज के इतिहास में पहली बार अपने जीवन काल में 98 मासक्षमण  की महान तप आराधना करने वाले  स्थानकवासी जैन जगत की महान विभूति बेजोड़ तपस्वी रत्न श्री अशोकमुनिजी म. पूज्य आचार्य गुरुदेव श्री नानालाल जी महाराज के द्वारा दीक्षित एवं साधुमार्गी धर्मसंघ के श्रद्धेय आचार्य पूज्य प्रवर श्री राम लाल जी म. की आज्ञा मे जिनशासन की अद्भुत प्रभावना कर रहे थे।

8 -10 दिन के अंतराल मे मासक्षमण के पारणे के पश्चात मासक्षमण की तपस्या के संकल्प की कोई साधारण व्यक्ति कल्पना भी नही कर सकता! इस तरह के तपस्वी केवल आगमो में ही वर्णित थे, कभी इस धरा पर देखने सुनने में नहीं आए ! आगम कालीन तपपूर्ण जीवन चर्या के धारक श्री अशोक मुनि जी का यह घोर तप, उनकी स्मृतियों को स्थानकवासी जैन परंपरा के इतिहास में युगों युगों तक याद रखेगा! 

अभी पिछले वर्षों में साधुमार्गी धर्म संघ के पूज्य आचार्य प्रवर श्री रामलाल जी महाराज के दर्शन एवं  आगमो के विशुद्ध प्रकाशन एवं प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण आदि विषयों  पर चर्चा हेतु कर्नाटक बेंगलुरु में वर्षावास स्थल पर जाना हुआ था उस समय भी मेरी अत्यंत इच्छा रही कि पूज्य श्री अशोक मुनि जी के दर्शन प्राप्त हो! तब से कई बार मनोमानस में उनकी पावन देह के दर्शन करने की भावना रही! परंतु मेरा व्यक्तिगत दुर्भाग्य रहा कि आपके दर्शन प्राप्त ना हुए, परंतु आपकी यश कीर्ति एवं तपस्या के प्रति मेरी सकारात्मक भावना हमेशा वर्द्धमान रही!

आपके देवलोकगमन से संपूर्ण जैन जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। आपकी आत्मा शाश्वत सुख को प्राप्त करे यही मंगल कामना एवं श्रद्धांजलि.

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