आदिवासी समाज को मुख्य धारा से जोड़ने मे लगे गणि राजेन्द्रविजयजी म. सा.

19 मई जन्मदिन पर विशेष 
दीपक आर जैन
गणि राजेन्द्रविजयजी के मार्गदर्शन में अहिंसा,शांति और आदिवासी उत्थान एवं स्वस्थ समाज का अभियान चल रहा हैं. गुजरात के छोटा उदैपुर एवं बड़ोदा के आदिवासी अंचल में उन्होंने व्यक्ति सुधार के माध्यम से समाज सुधार का अभिनव उपक्रम चल रहा हैं. उनका अहिंसा विषयक विचार लोगों को प्रभावित कर रहा हैं. अहिंसा के प्रति लोगों में आस्था पैदा हो रही हैं. लोग यह महसूस कर रहे हैं कि रास्त्र में व्याप्त हिंसा का समाधान अहिंसा,शांति,सदभावना और अनेकान्त दृष्टि से ही संभव हैं. उनका सुखी परिवार अभियान अध्यात्म के स्पर्श से क्रांति के बीजों को स्थापित करने में अहम भूमिका निभा रहा हैं.
आज हिंसा,उन्माद,युद्ध,आतंक और भ्रष्टाचार विश्व में बड़े पैमाने पर सर उठा रहा हैं. आज सभी राष्ट्र एक नाजुक मोड़ पर बारूद के ढेर पर खड़े हैं. आज भिन्न-भिन्न राष्ट्रों के द्वारा अपने प्रभुत्व का परिचय देने की आकांक्षा के कारण हिंसात्मक प्रवृत्तियाँ  एवं आतंकवादी प्रयासों से प्रसार हुआ हैं. आदिवासी लोगों को भी हिंसा के लिए उकसाया जाता रहा हैं. अपने अधिकारों के लिए भी वे हिंसा पर उतारू हो जाते हैं. जबकि वातावरण को सौहाद्पूर्ण बनाने एवं शांति सदभावना की स्थापना करने की आवश्यकता हैं. हिंसा की डगर पर अहिंसा का असर हो,इसके लिए राष्ट्रीय स्टार पर राजेन्द्रविजयजी म.सा. का मिशन समसामयिक व उद्देश्यकारक हैं.
हिंसा कल भी थी और आज भी हैं. भिन्न-भिन्न स्वरूपों मैं प्रगट होती हैं. विषम परिस्थितियों मैं समाज का मार्गदर्शन करने के लिए धरती पर महापुरुष अवतरित होते हैं. एक महान  धर्म नेता,अध्यात्म - वेता,सुखी परिवार प्रणेता,आदिवासी समाज के प्रेरणापुरुष एवं महान चिंतक के रूप मैं राजेन्द्रविजयजी म. सा. का अवतरण एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हैं. मानवता के कल्याण के लिये आपका चिंतन व मार्गदार्शन पुरे राष्ट्र                                                              को उपलब्ध हैं.
कुछ लोग ऐसे हैं जो घोर स्वार्थ  के वशीभूत होकर सवेंदनशून्य होते जा रहे हैं. वहां प्रेम तथा करुणा की धरा बहती थी,वहां मनोविकारों का शोर सुनाई पद रहा हैं. मानवता कहीं घायल पडी हैं और शांति धुल चाट रही हैं. यह वे निशान हैं जो आतंकवाद,नक्सलवाद,माओवाद आदि के फलने फूलने से बने हैं. आवश्यकता हैं मानवीय मूल्यों के प्रतिष्ठा की,आवश्यकता हैं हिंसा के प्रतिकार की,जरुरत हैं समाज मैं अहिंसा के प्रति जागरूकता  लाने की. इन समस्त प्रयासों को लेकर गुरुदेव निरंतर पदयात्रा  हैं व कर रहे हैं. जनता  समझा रहे हैं और राष्ट्र के प्रति सौहार्द कायम करने का प्रयास कर रहे हैं. विगत कई वर्षो से वे आदिवासी जनजीवन के बीच अपने समाज निर्माण के प्रयत्नों को लेकर सक्रिय हैं.  विशेषःत जातिवाद,सांप्रदायिक कट्टरता,धार्मिक विद्वेष एवं पारिवारिक टूटन की स्थितियोंको समाप्त करने के लिए उन्होंने व्यापक प्रयत्न किये हैं व निरंतर कर रहे हैं. उनके प्रयत्नों से आदिवासी समाज की तस्वीर बदली हैं,उनमे विश्वास जगा हैं और वे समाज को उन्नत व स्वस्थ बनाने के प्रयासों में जुटे हैं. आदिवासी अंचल में एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल के सपने को  उन्होंने साकार कर दिखाया हैं और इस निमित्त पांच सो आयम्बिल का संकल्प लिया था. उन्होंने इसके लिए वर्षीतप की उग्र तपस्या भी की. अब आदिवासी अंचल के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों में प्राथमिक स्कूल भी बनाने का संकल्प बड़ा हैं और उनकी    साधना और तप अपने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए है. राजेन्द्रविजयजी का व्यक्तित्व आदिवासी उत्थान का पर्याय कहा जा सकता हैं. वे न केवल अनेक गुणों के समवाय हैं अपितु  अनेकानेक गुणों का समन्वित रूप भी हैं. एक बार दर्शन की गहराइयों में बैठने की पूर्व क्षमता हैं तो दुसरी और अंकिचन भाव का  हैं. एक तरफ प्रज्ञा की प्रखरता हैं तो दुसरी तरफ गुणों का अनुसाशन हैं. एक तरफ ध्यानयोगी और मंत्र साधक हैं तो एक तरफ अद्भुत तर्क शक्ति हैं.अर्हत वाणी के महान समर्थक राजेन्द्रविजयजी मैं कहीं गांधी नजर आते हैं तो कहीं निदर्शन हैं.उनकी वैचारिक दक्षता राष्ट्र की समस्या के समाधान में व आतंकवाद एवं हिंसा के खिलाफ जूझने में महत्वपूर्ण  भूमिका निभा रही हैं.राजेन्द्रविजयजी ने आधुनिक युग को सम्यक दिशा देने का बहुमुखि प्रयास किया हैं. उन्होंने महावीर का समाजशास्त्र प्रस्तुत कर समाज व्यवस्था के असंतुलन की व्याख्या की हैं. समाज के लोकमंगल का मार्ग प्रशस्त किया हैं और समानता की स्थापना की कामना करते हुए राष्ट्र में शांति एवं सदभाव के अवतरण की परिकल्पना की हैं. भौतिक जगत अनेक समस्याओं में उलझा हुआ हैं. अशांति और अराजकता की चपेट में हैं. वे अहिंसात्मक भारत का संखनाद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सही अर्थो मैं गुरु वल्लभ ने शिक्षा और समाज के लिए जो परिकल्पना की उसके लिए जी जान से काम कर रहे हैं. उनके द्वारा किये जा रहे कामो की आज सख्त जरुरत हैं. देश की हर सरकार अगर उनके कार्यों को क्रियान्वित करें तो भारत को महाशक्ति और मेक इन इंडिया को हम पूर्ण रूप से साकार कर सकते हैं. वे कहते है कि गावों का विकास देश का विकास हैं. मेरे पर उन्होंने किये उपकारों को शब्दों में बयां नहीं कर सकता. आप सदा दीर्धायु रहे यही मंगल कामना. 

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