पूर्व संघचालक सेवाभावी गंगाधर गाडोदिया का निधन

 दीपक आर जैन 
भायंदर 
मीरा भायंदर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले  पूर्व संघचालक व ग्राम पंचायत सदस्य गंगाधर गाडोदिया का शुक्रवार  12 मई को निधन हो गया. वे 86 वर्ष के थे.श्री गाड़ोदिया  समय से बीमार थे. वे अपने पीछे भूरा परा परिवार छोड़ गए हैं. उनके पुत्र ओमप्रकाश गाड़ोदिया मनपा के नगरसेवक थे. शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने गहरा दुःख व्यक्त किया हैं.उनकी अंतिम यात्रा में शहर के अनेक राजनीतिज्ञ,व्यापारी व समाज के लोग उपस्थित थे. 
21 अप्रेल 1931 को नागौर जिला तहसील लाडनु के लेडी गांव में लादुराम सुजानमल गाडोदिया के घर पर गंगाधर गाडोदिया का जन्म हुआ इनका जीवन सामान्य बच्चों की तरह बीता.इनके पिता सेवाभावी थे.इनकी शिक्षा डी.जे.सी.एम. विद्यालय में हुई.लेडीगांव में पीपल के पेड के नीचे बैठकर पढाई करते थे. माता पिता व गुरुजन के संस्कारों से शिक्षा का क्रम युही चलता रहा उसी दौरान वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा से जुडे व प्रतिदिन शाखा में जाने लगे.आपके पूर्वज भाईंदर शहर में नमक का व्यवसाय करते थे. इन्होंने भी भाईंदर की तरफ अपना रुख किया और इस नगर में आकर बस गये. यह अग्रवाल समाज के है परंतु इनके पूर्वज गाडोदा गांव के थे अंत: इनको गाडोदिया कहा जाने लगा.गंगाधर गाडोदिया आरएसएस की शाखा में नियमित रुप से जाते थे उस वक्त यहां दिगंबर कुलकर्णी संघ चालक थे उनके स्वर्गवास के बाद यह जिम्मेदारी गंगाधर गाडोदिया को मिली.जिसका इन्होंने इमानदारी से पालन करते हुए यहां पर संघ की शाखाओं का विस्तार किया।पिछले 150 सालों से रह रहे गड़ोदिया परिवार के अलावा मीरा-भाईंदर के लोग आपको बापुजी के नाम से ज्यादा जानते है. उम्र के ८५ वर्ष पूर्ण करने के बावजुद इनका वहीं जोश कायम था जो एक स्वयंसेवक में रहता है उनसे मिलने पर शहर के विकास की बातें करना नहीं भूलते.
अपने व्यवसाय के अलावा यह भाईंदर के विकास हेतू  हमेशा प्रयासरत रहे.गावं से शहर बने भायंदर के प्रगति मैं गंगाधर गाडोदिया का भी विशेष योगदान रहा है. इन्होंने ग्राम पंचायत में ७ वर्ष तक सदस्य के रुप में अपनी सेवा दी है.इसके अलावा भाईंदर सेकंडरी स्कूल के सभासद, विशेष कार्यकारी दंडाधिकारी रहे है.श्री म्हात्रे जी के साथ यहां की शिक्षा को लेकर योजना बनाई गई उसके बाद यहां पर भाईंदर सेकंडरी स्कूल की स्थापना हुई इसमें श्री गाडोदिया का काफी योगदान था.इनके द्वारा यहां पर कई रोड का नामकरण,भी करवाया गया है.यह सेवा सहकारी सोसायटी के उपाध्यक्ष,वसई जनता सहकारी बैंक के ३ साल तक डायरेक्टर रहे.इसके अलावा मारवाडी सम्मेलन, अग्रवाल सेवा समिती, विश्‍व हिंदु परिषद, विश्‍व हिंदु सेवा संघ जैसी कई संस्थाओं से जुडे हुए थे.भाईंदर (प.) में ६० फीट रोड पर एक व्यक्ती द्वारा दान की गई जगह पर आज माधव संस्कार केंद्र खडा है.उसमें भी गंगाधर गाडोदिया का काफी योगदान था.उत्तन रोड स्थित विश्‍व प्रसिद्ध केशव सृष्टी कभी भुत बंगला के नाम से जानी जाती थी.यह जगह एक दानदाता द्वारा संघ को दान की गई थी। यह उस वक्त यहां पर संघचालक थे इनके द्वारा यहां पर अथक मेहनत की गयी थी आज केशव सृष्टी स्वर्ग के समान जगह है.यहां पर स्कूल, छात्रावास, गौशाला व कई योजनाएं चल रही है. 
भाईंदर (प.) स्थीत सुदामा नगर में बनी पानी की टंकी का नामकरण भी गंगाधार लादुराम गाडोदिया के नाम पर  किया गया है.यहां पर ग्राम पंचायत की जगह पर बने हनुमान मंदिर और विनायक मंदिर में आपका काफी सहयोग रहा है.इस समाजसेवा में इनकी पत्नी भवरीदेवी गाडोदिया का पूर्ण सहयोग रहा है.श्री गाडोदिया के ४ पुत्र व पुत्रीयां का बडा परिवार है.इनकी पत्नी परिवार के अलावा घर आये मेहमानों का यह आदर सत्कार अच्छी तरह करती थी.इनके पुत्र शिवकुमार,ओमप्रकाश व भवानीशंकर भी इनके साथ पूर्ण सहयोग करते है.इनके पुत्र ओमप्रकाश अग्रवाल यहां के नगरसेवक रह चुके है.छोटे पुत्र भवानी भी मेडिकल व्यापारियों की समस्याएं हल करवाने में हमेशा आगे रहते हैं.उनका पौत्र भाविक भी भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा हुआ हैं.मीरा भायंदर के पूर्व विधायक का राजनैतिक जीवन शुरू करने में भी उनकी अहम भूमिका रही थी.लोगों की सेवा के प्रति गंगाधर गाडोदिया व उनका परिवार पूर्ण रुप से जुडा है। श्री गाडोदिया वृद्धावस्था के कारण चलने फिरने में दिक्कत महसुस करते है.परंतु इनका परिवार इनकी समाजकार्य की बागडोर युही संभाले रखी है.अपने स्वास्थ को देखते हुए उन्होंने संघचालक पद से अपना इस्तीफा दे दिया हैं. भायंदर को कर्मभूमि बनाने के बाद भी वे अपनी जन्मभूमि लेडी को नहीं भूले हैं.यहां पर आपने छात्रावास व गोशाला का निर्माण किया हैं.उम्र के इस पड़ाव पर होने के बाद भी भायंदर गाव से शहर कैसे बना बड़ी लगन और रूचि के साथ लोगों को बताते थे 

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