सफलता के लिए समय के साथ चले -राधेश्याम मौर्य

कंपनी सेक्रेटरीज का कार्यक्रम 
दीपक आर.जैन 
भायंदर - जीवन में अगर सफलता को पाना है तो समय के साथ बदलाव लाना बहुत जरूरी हैं. इसे पाने के लिए किये गए प्रयास कभी विफल नहीं होते और प्रयास करने के बाद मिली सफलता का आनंद का अनुभव अलग ही होता हैं. हार माननेवाला कभी जीत नहीं सकता. हमेशा सीखते रहने का गुण सफल व्यक्ति की सफलता का बड़ा राज हैं और इसे आपने जीवन में अपना लिया तो आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता. ऐसे कई उदहारण  मिलेंगे जिन्होंने सफलता का मुकाम पाने के लिए असफलता से कभी हार नहीं मानी.

उपरोक्त विचार इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंपनी सेक्रेटरीज,भायंदर ब्रांच द्वारा भायंदर (पूर्व) स्थित एस. एम. मोरे हाईस्कूल में आयोजित एग्जीक्यूटिव डेवलपमेंट प्रोग्राम में लायन राधेश्याम मौर्य ने व्यक्त किये.मौर्य ने कहा की आये दिन बदलाव हो रहे हैं इसके लिए काम के प्रति हमारी जिम्मेदारी और निष्ठा बढ़ जाती हैं. उन्होंने कहा की काम  ही नहीं बल्कि जीवन में नकारात्मकता को अपने पास ना आने दे. समस्या का समाधान निकले न की उसके बारे में सोचे या चर्चा करे क्योंकि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही होता हैं. अपनी असफलता का दोष दूसरों को ना दें. मौर्या ने कहा ज़िन्दगी में कामयाबी हासिल करने के लिए नीचे लिखे 5 steps से होकर गुजरना पड़ता है – 
जरूरत और सपने,उद्देश्य,योजना,विशवास और कर्म.हर कामयाब व्यक्ति में कुछ न कुछ विशेष गुण व योग्यता होती है.आपका जैसा उदेश्य होगा, आपके दिमाग में उसी तरह का खाका होगा, उसी तरह की तस्वीर होगी (“क्यों’’) अपने ‘लक्ष्य’ को पाने के लिए जरुरी है कि व्यक्ति के इरादे मजबूत हो और उसके मन में कुछ स्पष्ट सपने हो तथा उन्हें पाने की एक निश्चित तरीख हो.हर कामयाब व्यक्ति हमेशा लक्ष्य निर्धारित करके लक्ष्यों के आधार पर जिंदगी में आगे बढता है.एसे व्यक्ति मुस्तैदी के साथ अपने लम्बे तथा कम समय में प्राप्त किये जाने वाले लक्ष्यों का निर्धारण एव पुनःनिर्धारण करते हैl उनके पास काम करने का अपना एक समयकर्म होता है.वे अपने लक्ष्यों को लिख लेते है और उन्हें हर वक्त अपने सामने रखते है. जैसे तस्वीर की शक्ल में, शीशे के ऊपर अथवा फ्रिज पर चिपका देते है ताकि हर वक्त उनका उदेश्य उनकी आँखों के सामने हो और उनके दिमाग में हर वक्त बना रहे.
उन्होंने बाकी तथ्यों पर भी विस्तार से चर्चा की.सफलता के लिए सिर्फ अंग्रेजी ज्ञान जरूरी नहीं होता हैं. अपने आप  विश्वास होना बहुत जरूरी होता हैं. छोटी छोटी सफलताओं  मनाये  स्मार्ट वर्क करे. डिजिटल इंडिया  और कदम बढ़ाये. विद्द्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर भी उन्होंने दिए.संस्था के सी. एस.माणकचंद डागा व मनीष भिमानी ने मौर्य को स्मृति चिन्ह प्रदान किया.  




  

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