धर्म के प्रति निष्ठा का अभाव बहुत ही चिंताजनक


धर्म के प्रति निष्ठा का अभाव बहुत ही चिंताजनक 
दीपक आर.जैन 
वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा स्पष्ट प्रतीत हो रहा हैं की हम जैन धर्म के प्रति बहुत ही असवेदनसिल होते जा रहे हैं. जिस तरह राजनैतिक पार्टियों में नेता पद पाने के लिए एक दूसरे की टांग खींचते हैं वैसे ही आजकल गुरु भगवंतों में भी ऐसा चल रहा होने को देखने मिल रहा हैं और इसमें हमारा प्रबुद्ध श्रावक बहुत ज्यादा रूचि दिखा रहा हैं.
आजकल सोशल मीडिया बहुत हो प्रभावी हो गया हैं. हो सकता हैं कुछ गलतियों के कारण गुरु भगवंत गलत राह पर चले जाते हैं और जो नहीं होना चाहिये वह उनसे हो जाता हैं. प्रकर्ति है इस पर पूरी तरह किसी का नियंत्रण नहीं रहा हैं तो हम तो इंसान हैं. मैंने देखा हैं की गुरु भगवन्तो का कुछ भी सामने आने पर हम उसका प्रचार करने में लग जाते है और बड़े ही मजे लेकर उसकी चर्चा करते हैं और आगे भेजने हेतु तैयार रहते हैं और न वो बाते गलती करनेवाले  के बारे में तो करते ही हैं लेकिन गुरु और संप्रदाय के बारे में भी  ऐसे बात करते हैं मानो सबकुछ हमारे सामने हुआ हो. बात उठाने और फैलाने से पहले जरूर देख ले की क्या हम  हम दूध के धुले हैं.
मेरा आपसे विनम्र निवेदन हैं की एक की गलती के चलते धर्म और गुरु को बदनाम करना बिलकुल अनुचित हैं. ज्ञात हो महाराजा श्रेणिक ने एकबार एक साधु भगवंत को वैश्या का नृत्य देखते हुए देखा था लेकिन उन्होंने गुरु भगवंत को बहुत ही विनम्रता पूर्वक वंदन किया तब सभी ने उनको पूछा की हे राजन आप ऐसे व्यक्ति को क्या वंदन कर रहे तब श्रेणिक राजा ने कहा की  में व्यक्ति को नहीं बल्कि साधुवेश को वंदन कर रहा हूँ,भगवान महावीर के ओघे को नमन कर रहा हूँ. ऐसे तो कई गुरु भगवंतों और श्रावकों के उदहारण मिलेंगे जिन्होंने जिंनशासन की गरिमा को कभी ठेश नहीं पहुंचने दी. आज हमारे घर में कुछ हो जाये तो हम उसे दबाने और छुपाने की वो हर कोशिश करते हैं जो हमसे संभव हैं. फिर यह तो शाशन के अणगार हैं जिनपर उड़े छींटे मात्र व्यक्ति विशेष पर नहीं बल्कि धर्म और समाज पर पड़ते हैं. मैं यह नहीं कहता की गलतियों पर पर्दा डाला जाये परंतु पूरी सच्चाई की जांच कर फिर आगे बड़ा जाये. धर्म के खिलाफ प्रचार को हम अपना बड़प्पन न समझे. साधु के साथ साथ श्रावक-श्राविका दुगने दोषी हैं.
दुनिया बहुत छोटी हो गयी हैं इसलिए कुछ भी डालने से पहले हजार बार सोचे और धर्म के प्रति अपनी निष्ठां को दिल में रखे. इस जिनशाशन की गरिमा के लिए जिन्होंने कुर्बानिया दी हैं उसे औछे प्रचार से व्यर्थ न जाने दे. हम सुधर गए तो बाकी सब अपनेआप सुधर जायेगा.



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