स्वामी विवेकानंद को आदर्श मानता है भारत विकास परिषद

  




 भारत विकास परिषद का उद्देश्य हैं स्वस्थ-समर्थ-संस्कारित-भारत 
                                                             
 (दीपक आर.जैन)

भारत  परिषद समाज मैं विभिन्न व्यवसायों व कार्यो में लगे श्रेष्ठतम लोगो का  एक राष्ट्रीय ,गैर राजनैतिक,समाजसेवी व सांस्कृतिक संग़ठन हैं। परिषद का मुख्या उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के विचारो का प्रचार प्रसार,अखंड भारत के अलावा समस्त भारतीय  सर्वांगीण विकास करना है.इस हेतु परिषद सम्पन्न वर्ग को समाज के कार्य के लिए प्रेरित कर सेवा एवं संस्कार द्वारा निर्धन लोगो के उत्थान के कार्य कर रहा है।

परिषद के  प्रान्त  अध्यक्ष एस एस.गुप्ता व प्रांतीय संयोजक माणक डागा ने बताया की 1963 मैं दिल्ली मैं प्रारम्भ हुई एक शाखा से अब समस्त देश मैं देश मैं अब इसकी 1200 से अधिक शाखाए तथा एक लाख से 
अधिक सदस्य हैं. उन्होंने कहा की देश का कोई भी राज्य परिषद की शाखाओ से अछूता नहीं है। डागा ने बताया की परिषद की संपूर्ण गतिविधिया पांच सूत्रों के आधार पर चलती है.ये हैं संपर्क-सहयोग-संस्कार-सेवा व समर्पण।संस्कार के तहत राष्ट्रीय समूह  प्रतियोगिता,लोकगीत स्पर्धा के माध्यम से अपनी देव भाषा संस्कृत का प्रचार व  विभिन्न प्रांतो की भाषा व लोक संस्कृति  जानकारी मिलती है ,भारत  को जानो प्रतियोगिता,गुरु वंदन छात्र अभिनंदन के माध्यम से गुरु के महत्व को लाखो विद्दार्थीओ तक पहुचाया व पंहुचा रहा है.बल,युवा,परिवार व प्रौढ़ संस्कार योजना  आयोजित शिविरो मैं उपदेश,योग खेल,देश भक्ति एवं धार्मिक गीतों के माध्यम से संस्कार प्रदान किये जाते है.. गुरु तेग बहादुर  दिवस का आयोजन हर साल होता हैं।

सेवा के तहत विकलांग सहायता  एवं पुनर्वास,वनवासी सहायता,ग्राम बस्ती विकास,पर्यावरण के प्रति जागरूकता,स्वास्थ्य,सामूहिक सरल विवाह,जरूरतमंद महिलाओ व बच्चो के लिए क़ानूनी सहायता तथा प्राकर्तिक आपदाओ  समय राहत कार्य किये जाते हैं.देश मैं परिषद  शाखाओ द्वारा 1457 स्थाई प्रकल्प  रहे हैं,  जिनके द्वारा समाज के सभी वर्गों को वर्ष भर सेवाए उपलब्ध रहती हैं.  प्रकल्पों मैं अनेक सेवाओ का समवेश है. जनसम्पर्क के  तहत संस्कृति सप्ताह,अलग अलग विषयो पर सेमीनार,साहित्य प्रकाशन के अलावा परिषद की द्विभाषी पत्रिका  नीति व त्रेमासिक पत्रिका ज्ञान-प्रभा  हैं।

कॉरपस फण्ड-परिषद के प्रकल्पों एव सहायता कार्यो को आर्थिक आधार मजबूत करने के लिए ,कोष की स्थापना की गयी हैं जिसकी  लिए  विकास रत्न/विकास मित्र योजना शुरू की हैं,जिसके लिए क्रमश:एक लाख एव ग्यारह हजार रुपये की राशि दान दी जाती हैं. अधिक जानकारी के लिए www.bvpindiacom देखे।       
                   







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