पढाई के साथ जीवन मैं खेल भी जरुरी
पढाई के साथ जीवन मैं खेल भी जरुरी
दीपक आर जैन /मुंबई
मुम्बईं। जीवन मैं हर काम को खेल की तरह ले क्यूंकि खेलते समय खिलाडी का जीतने का लक्ष्य तय होता है इससे आपके काम करने की राह भी आसान हो जाएगी क्यूंकि आप उसी लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ेंगे।उपरोक्त विचार सामाजिक सांस्कृतिक संगठन युथ फोरम के तत्वावधान मैं दयानंद विद्यालय व दि प्रताप को-ऑपरेटिव बैंक द्वारा आयोजित लाइफ चेंजिंग सेमिनार मैं एम.जे.एफ लायन राधेश्याम मौर्या ने व्यक्त किये।
कांदिवली(पश्चिम) मैं स्थित विद्यालय प्रांगण मैं 600 के आसपास विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देते हुए उन्होंने कहा की जीवन मैं जो व्यक्ति सपने नहीं देखता वह अधूरा हैं। सपने देखने के बाद ही हम अपने कार्यों को पूरा करने के लिए काम करते हैं.उन्होंने कहा की सोने ऐसे देखो जो आपको सोने न दे तभी आपकी सफलता संभव हैं.मौर्या ने कहा की मात्र किताबी ज्ञान पर आप निर्भर न रहे क्यूंकि किताबी ज्ञान आपको बड़ा अधिकारी या धनवान तो बना सकता हैं लेकिन लक्ष्य को तय करने के लिए पढाई के साथ साथ खेल को भी महत्व दे यह आपके लक्ष्यों को तय करने मैं और आसान राह बनाएगा।लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं की आप सिर्फ खेल पर ध्यान देने लगे और किताबों पर नहीं।
उन्होंने कहा की अच्छे का सत्संग हमेशा आप में संस्कारों का जागरण करेगा क्यूंकि जिस तरह घर के वातावरण से आचे संस्कार मिलते हैं उसी तरह अच्छे लोगो के सानिध्य से हमारा विकास होता हैं और हमारे लक्ष्य से हम कभ भटकते नहीं।सेमिनार मैं मौर्या ने सकारात्मक सोच पर भी विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला तथा वहां उपस्थित पद्मश्री ब्रह्मदेव पंडित, सी.ए .सुनील पाटोदिया,सी.ए.सी.एस माणक डागा आदि सफल लोगों के बारे मैं फिल्म के माध्यम से बताया। कार्यक्रम मैं विशेष रूप से उपस्थित मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री पारस जैन ने कहा की मैं इससे काफी प्रभावित हूँ और हमारा प्रयास रहेगा की मध्यप्रदेश मैं विद्यार्थियों के लिए इस तरह के सेमिनार का आयोजन हो.उन्होंने कहा की जीवन मैं लक्ष्य निर्धारित करने की वजह से वे आज इस मुक्काम पर हैं. उत्तर भारतीय संघ के पूर्व अध्यक्ष मिठाईलाल सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये।फोरम के अध्यक्ष दीपक रमेश जैन ने सेमिनार के बारे मैं जानकारी दी तथा आभार लियो मितेश गाला ने व्यक्त किया।
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