जिनशासन में अपूरणीय क्षति, सदैव याद रहेंगे कलप्रभसूरी


जैन समाज में शोक की लहर

संगीता बागरेचा (संगी)

मस्त भारतवर्ष के श्वेतांबर जैन समाज के तीसरे नम्बर के सबसे बड़े वागड़ समुदाय के गच्छाधिपति 800 से भी ज्यादा साधु साध्वीजी भगवन्तों के सिरक्षत्र नायक सरल सहज मृदुभाषी श्री कलाप्रभसूरीश्वरजी महाराज का आज देवलोक गमन हुआ.

मूल राजस्थान के मारवाड़  फलोदी रत्न एवं कच्छ वागड़ के विरलविभूति म.सा ने मात्र 11 वर्ष की उम्र में संयम ग्रहण कर क्रियाचुस्त संयम जीवन की पालना करते आज रोज महाप्रयाण किया

पूज्यश्री सिर्फ साधु थे इसलिए ही अंदर के पात्र थे बल्कि पूज्यश्री के सम्पर्क में आने वालो को स्वयम ही पूज्यश्री के प्रति मान उत्पन्न हो इतना सरल ही नही उत्तमोत्तम व्यक्तित्व के सतपुरूष थे

परम पूज्य अध्यात्मयोगी श्रीमद विजय कलापूर्णसूरीश्वरजी की पात परम्परा को ना सिर्फ सम्भाला वरन सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र की तेजोमय स्फुरणाओं देदीप्यमान बनाया

भूकम्प के बाद तहस नहस हुए कच्छ वागड़ के नगर गाँवमें घूम घूम कर  जिनालयों और उपाश्रयों और सामाजिक प्रतिष्ठानों को पुनः प्रतिष्ठित करवा कर नव निर्माण में अन्योन्य भूमिका का निर्वहन किया जो वंदनीय हैं।।

ऐसे तो अगणित उपकार चतुर्विघ् संघ पर पूज्यश्री के है। 

पूज्यश्री की उपस्थिति मात्र से कोई भी शासन का कार्य सहजता से पूर्ण हो जाता था।।

पूज्यश्री के अगणित उपकारी जीवन और संयमनिष्ठत्ता सदा सर्व के प्रेरणा का पाथेय बनेगा

आज जब पूज्यश्री का कालधर्म हुआ है तो सर्वत्र पूज्यश्री की कमी और खालीपन व्याप्त हुआ है।।

बस इतना ही 

है गुरुवर 

पुष्पांजलि भावाजंलि हे शासन चंदन 

गुरुवर आपको नम नयनों से नमन वंदन

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