कब तक जाने जाएगी साधु साध्वियों की ऐसे
साध्वी रत्नदर्शिताश्रीजी का रोड दुर्घटना में निधन विनम्र श्रद्धांजलि परम पूज्य पंजाब केसरी आचार्य विजय वल्लभसूरिस्वरजी म.सा. समुदाय की व वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य विजय नित्यानंदसूरिस्वरजी म.सा. का लोढ़ा धाम के पास दुर्घटना में निधन हो गया. जीवन परिचय : सांडेराव (राजस्थान) निवासी हीराचन्दजी चोपड़ा की धर्मपत्नी बादामी बेन की कुक्षि से कुल 7 पुत्र-पुत्रियों का जन्म हुआ था जिसमें से 4 ने दीक्षा ग्रहण कर संसार से विरागी हुए थे। उसमें से एक थी - *रंजना यानि साध्वी रत्नदर्शिता श्री जी म. उनका जन्म 20 नवम्बर 1965 को हुआ था। उनका नाम रंजना रखा गया था। बचपन से ही धर्मसंस्कारों से वे पोषित हुए.जीवन में कभी कंदमूल भक्षण, रात्रि भोजन उन्होंने किया ही नहीं था. मात्र 22 वर्ष की युवावस्था में गुरुदेवों के सामीप्य से उनके अंतर्मन में वैराग्य के बीज को नूतन आयाम देते हुए 30 नवम्बर 1987 को उनकी भागवती दीक्षा सम्पन्न हुई.वे महत्तरा साध्वी सुमंगला श्रीजी की प्रशिष्या अपनी सांसारिक बहन साध्वी रत्नशीला श्रीजी की शिष्या बनी. वे निरंतर स्वाध्याय में लीन रहते थे। कोई भी नया विषय लेते तो उसे गूढ़