जिनशासन में सभी समुदाय भक्तामर स्तोत्र का सम्मान करते है :- यशोवर्म सूरीश्वरजी
श्री गिरधर नगर जैन संघ में त्रिदिवसीय भक्तामर महापूजन का शुभारंभ अहमदाबाद :- आर्हन्त्य शक्ति की निष्काम भक्ति का वास्तविक स्वरूप भक्तामर स्तोत्र में है। यह स्तोत्र भक्ति का अपूर्व खजाना है, जिसे जैन धर्म के सभी प्रमुख संप्रदायों – दिगंबर, श्वेतांबर, स्थानकवासी और तेरापंथी – में समान रूप से मान्यता प्राप्त है। इसकी प्रत्येक गाथा में चमत्कार छिपा हुआ है, और अत्यंत प्रभावशाली हैं। यह मंत्र, तंत्र और यंत्र का अद्वितीय संगम है, जो साधक को असीम आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। उपरोक्त विचार प्रवचन प्रभावक परम पूज्य आचार्य श्री यशोवर्म सूरीश्वरजी म.सा.ने श्री गिरधर नगर जैन संघ में त्रिदिवसीय भक्तामर महापूजन के शुभारंभ में कही। यह आयोजन भगवान महावीर स्वामी के 2550वें निर्वाण कल्याणक दिवस, गुरु गौतम स्वामी के केवलज्ञान कल्याणक तथा पूज्य गुरुदेव विक्रम सूरीश्वरजी महाराज की 38वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में किया गया।इसका आयोजन वीर विक्रम स्मृति महोत्सव के उपलक्ष्य में किया गया। आचार्यश्री ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भक्तामर स्तोत्र का स्मरण मात्र रोग, शोक, संकट और ग्रह पीड़ा जैसी समस