।। श्री महालक्ष्मी माताजी की आरती ॥
।। श्री महालक्ष्मी माताजी की आरती ॥
प्रस्तुति :- श्री विश्वोदय सागरजी म.सा.
जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु धाता ओम.. उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जय माता सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता। ओम... दुर्गा रूप निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता। ओम रुम तुम पाताल निवासीनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशिनी, भवनिधी की त्राता ओम... जिस घर में तुम रहती, सब सदगुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ओम..,,
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता। खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॐ..
शुभ गुण मंदिर सुन्दर, शिरोदधि जाता रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता। ॐ रुम्..
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन माता
उर आनन्द समाता, पाप उत्तर जाता। ॐ रुम्
श्री लक्ष्मी वंदना
।। ॐ महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरे हरिप्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे ।।
श्री सरस्वती बन्दना
।। ॐ बटू बंटू बाग वादिनी माँ भगवती सरस्वती ममः
जिव्हा गृहे वासम् कुरु कुरु स्वाहा :।।
।। माताजीनो छंद ।।
रिद्धि दे सिद्धी दे अष्ट नवनिधि दे, वंशमा वृद्धि दे बाकबानी, हृदयमा ज्ञान दे, चितमां ध्यान दे, अभय वरदान दे शंभुरानी दुःखने दूर कर, सुख भरपूर कर, आशा संपूर्ण कर दास जाणी, कुटुंबसे प्रित दे, सज्जनसे हित दे, जगम जीत दे मां भवानी।। माताजी तारो जय जयकार, अंबे माँ तारो जय जयकार बोल माडी अंबे, जय जय अंबे जय जगदंबे
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