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चेन्नई मंडल का शासन वंदना पर भायंदर में कार्यक्रम आज

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दीपक आर जैन भायंदर -चेन्नई मैं पिछले 25 वर्षो से कार्यरत ऋषभ बालिका मंडल की और से आज भायंदर(वेस्ट) के सीमंधर स्वामी जैन मंदिर,90 फ़ीट रोड पर शासन वंदना के कार्यक्रम का आयोजन रविवार 27 सितम्बर को सुबह 09 बजे से गच्छाधिपति आचार्य श्री धर्मधुरन्धर सूरीस्वरजी म. सा. की उपस्थिति में किया गया हैं. अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा 300 से ज्यादा महिलाओं व बालिकाओं का मंडल देशभर का भ्रमण कर जैन धर्म के प्रति जागरूकता फैलाएगा. मंडल  के सदस्यों  ने आज गच्छाधिपति के दर्शन कर विभिन्न कार्यों की जानकारी उन्हें दी. मंडल की रमिला जैन ने बताया की मंडल का मुख्या उद्देश्य रजत जयंती वर्ष मैं 24 तीर्थंकर व वर्त्तमान मैं विचरण कर रहे सीमंधर स्वामी भगवन का जन्मकल्याणक मनाना,पालीताणा,गिरनार जैसे स्थावर तीर्थों की पवित्रता व रक्षा,जैन धर्म के प्रति चुस्त रहना,धर्म की बदनामी न हो इसके लिए लोगों को समझाना,साधु संतो की रक्षा जैसे कई कार्यो हेतु लोगों मैं जागरूकता लाने का प्रयास,2500 से ज्यादा साधु साध्वियों को वंदन,25 लाख नवकार मंत्र आलेखन,250 मंदिरों के दर्शन,25 हजार सामायिक के अलावा अनेक धार्मिक अनुष्ठान,जीव

पदमश्री पंडित के बर्तनो की प्रदर्शनी 28 से

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  मुंबई- भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित ऐसे मिटटी को बर्तनो का आधुनिक रूप देनेवाले कलाकार ब्रह्मदेव पंडित द्वारा निर्मित गमलो की प्रदर्शनी मुंबई की प्रख्यात सीमरोजा आर्ट गैलरी में 28 सितम्बर से शुरू हो रही हें जिसमे मुंबई के नामांकित लोगो को आमंत्रित किया गया हैं. बिहार के मूल निवासी पंडितजी का पूरा परिवार इस कला से जुड़ा हैं और समय समय पर अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर अपनी कला के माध्यम से देश का गौरव बढ़ता रहा हैं.  भूलाभाई देसाई रोड पर स्थित इस गैलरी में प्रदर्शनी 11 सितम्बर तक चलेगी जिसमे उनके परिवार के देवकी पंडित,अभय पंडित,खुशबू पंडित व शैलेश पंडित के काम भी प्रदर्शित होंगे. प्रदर्शनी सुबह 11 से शाम 07 बजे तक चलेगी. पांच साल के अंतराल के बाद इस आयोजन के होने में सिरेमिक्स के कलाकारों व कला प्रेमियों में प्रदर्शनी को लेकर उत्सुकता हैं. ज्ञात हो सिरेमिक्स में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया हैं. पंडितजी ने अँधेरी स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए भी काम किया हैं. मीरा भायंदर महानगरपालिका की महापौर गीता जैन,सामाजिक स

अंत समय में की जाने वाली विशिष्ट आराधना साधना का नाम है संथारा-

                   अंत समय में की जाने वाली विशिष्ट आराधना साधना का नाम है संथारा                                                         आचार्य धर्म धुरंधरसूरीस्वरजी  ❝आणाए धम्मो❞ जिनेन्द्र परमात्मा की आज्ञा ही धर्म है; इस सत्य  को मानने वाला कोई भी जैन व्यक्ति संथारा-प्रथा का विरोध नहीं कर सकता, और विरोध में जुड़ना भी पसंद नहीं करेगा; क्योंकि संथारा स्वयं जिनेन्द्र परमात्मा द्वारा आचरित और उपदिष्ट विधान है, अगणित मुनियों एवं श्रावकों द्वारा सुविहित अनुष्ठान है ।अंत समय में की जाने वाली विशिष्ट आराधना और साधना का नाम है संथारा । नश्वर देह, आहार, उपधि आदि जीवननिर्वाहोपयोगी सर्व संसाधनों के प्रति ममत्व और अपनत्व के सर्वथा त्याग पूर्वक संथारा किया जाता है । संथारा विधान के पर्यायवाची शब्द हैं--संलेखना, पंडित-मरण, समाधि-मरण, आदि । अहोरात्र में बोले जाने वाले कई-कई सूत्रों के पद साक्षी हैं कि  हम जिनेन्द्र परमात्मा से प्रार्थना के रूप में कितनी-कितनी बार समाधि-मरण की चाहना अभिव्यक्त करते हैं । संथारे का उपदेश क्यों ? परमात्मा ने जीवन जीने की तो व्यवस्था दी ही है मगर मृत्यु के समय के

एक लाख बच्चो की दंत चिकित्सा का लक्ष्य

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                                                                  एक लाख बच्चो की दंत चिकित्सा का लक्ष्य  दीपक आर जैन भायंदर -लायन डिस्ट्रिक्ट 323-A 3 के तत्वावधान मे लायंस क्लब ऑफ़ भायंदर,लायंस क्लब ऑफ़ कांदिवली ठाकुर काम्प्लेक्स व लायंस क्लब ऑफ़ सोल,लायंस क्लब ऑफ़ वसई पर्ल्स के सहयोग से संजीवनी-वॉइस ऑर्फन के 48 बच्चो की निशुल्क दन्त चिकित्सा  गयी. भायंदर(पश्चिम) के खुसी डेंटल केयर  क्लिनिक मे  कार्यक्रम गच्छाधिपति आचार्य श्री विजय धर्म धुरंधरसूरिस्वरजी म. सा. व मुनिराज श्री धर्मकिर्ति विजयजी म. सा. की उपस्थिति व आशीरवचन से शुरू हुए शिविर  का उदघाटन गोल्डन ग्रुप सांचोर के अध्यक्ष पीरचंदजी भंसाली ने किया. मुख्य अतिथि मीरा-भायंदर की महापौर गीता भरत जैन थी. अतिथि विषेश लायन डिस्ट्रिक्ट 323-A 3 के गवर्नर लायन के एल परमार व वाईस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन सुनील पटोदिया थे. धर्म धुरंधरसूरिस्वरजी ने कहा की हर धर्म ने मानव सेवा को सर्वोपरी बताया है. उन्होंने कहा की व्यक्ति जब सर्व संपन्न हो जाये तो समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करना चाहिए और समाज से जो मिला उसे लौट