संत और सैनिक दोनों ही रक्षा करते हैं
वैभवरत्नजी का आरपीएफ को मार्गदर्शन मुंबई -संत और सैनिक संत और सैनिक दोनों ही रक्षा का काम करते हैं. एक धर्म की रक्षा करता हैं तो दूसरा देश की रक्षा में 24 घंटे कार्यरत रहता हैं. देश की एकता अखंडता को बनाए रखने में संत की जितनी भूमिका होती हैं उतनी ही जिम्मेदारी सैनिक की भी होती हे. सिपाही को देश की रक्षा के लिए तो संत को धर्म की रक्षा के लिए 24 घंटे चौकन्ना रहना पड़ता हैं. उपरोक्त विचारगच्छाधिपति आचार्य श्री जयंतसेनसूरीस्वरजी म.सा. के शिष्य रत्न प्रखर प्रवचनकार मुनिराज श्री वैभवरत्नविजयजी म.सा. ने पश्चिम रेल्वे के सुरक्षा आयुक्त अनुपकुमार शुक्ला के मार्गदर्शन में वीडीजे ग्रुप व रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की और से आयोजित 'चलो शांति की औंर 'विषय पर आयोजित सेमिनार में व्यक्त किये. भारत नगर जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ के तत्वावधान में हुए कार्यक्रम में गुरुदेव ने मंगलाचरण के बाद उपस्थित अधिकारीयों को संबोधित करते हुए उन्होंने एकता अखंडता,व्यसन मुक्ति,दायित्व,देश भक्ति आदि विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने जैन पद्धति से जीवन जीने की कल पर भी अपने विचार व्यक्त किये