खरतरगच्छ संघ के साधु साध्वियों का सम्मलेन 01 मार्च से पालिताना में 60 वर्षों बाद हो रहा है सम्मलेन


दीपक आर.जैन  भायंदर 
खरतरगच्छाधिपति श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के आदेश से श्री सिद्धाचल की पावन भूमि पालिताना पर खरतरगच्छ साधु साध्वी एवं श्रावक सम्मेलन की भव्य तैयारियां की जा रही है।यह सम्मेलन 1 से 12 मार्च तक चलेगा।जिसमे साधु साध्वी सम्मेलन 1 से 9 मार्च और 10 से 12 मार्च तक श्रावक सम्मेलन होगा। इस सम्मेलन के सफल संचालन के लिये पूरे देश में रह रहे खरतरगच्छ के साधार्मिक बंधुओ के अग्रणियों की एक विशाल समिति का गठन किया गया है।खरतरगच्छ महा सम्मेलन में भाग लेने के लिए खरतरगच्छ के साधू साध्वी जी का धर्मनगरी में प्रवेश का सिलसिला जारी हो चुका है। 
 समिति द्वारा खरतरगच्छ के प्रायः समस्त साधु साध्वियों को इसमें उपस्थित रहने की विनंती की जा चुकी है।बडी संख्या में साधु साध्वी इस सम्मेलन में पधार रहे हैं।उनके विहार आदि की व्यवस्था में अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद् सक्रियता के साथ तैयारियां कर रहा है।
समस्त खरतरगच्छ संघ के परम आराध्य दादा गुरुदेव श्री जिनकुशलसूरि के पुण्य दर्शन धाम मालपुरा तीर्थ पर इस सम्मेलन की सफलता के लिये अखण्ड ज्योति प्रज्ज्वलित की गई है।दादा गुरुदेव की कृपा से लगभग 60 वर्षों के बाद हो रहे इस महासम्मेलन का आयोजन पूर्ण रूप से सफल होगा।
सम्मलेन के एजेंडा अनुसार 2 मार्च को सभी साधू साध्वी मिलकर पदों का निर्णय करेंगे और उस निर्णयानुसार सभी पदों का पदारोहण भी सम्मलेन के दौरान 12 मार्च को होगा। सम्मलेन में एक विशेष बैठक खरतरगच्छ प्रतिनिधि सभा की होगी। इस प्रतिनिधि सभा में समस्त भारत के खरतरगच्छ संघो के अध्यक्ष अथवा अधिकृत प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे।इस सभा में गच्छ के विकास आदि विषयों पर विचार विमर्श किया जायेगा।समिति ने भारत व विदेशों में चल रहे सभी खरतरगच्छ संघो से विनंती की हैं की सम्मलेन में उनके संघ के प्रतिनिधित्व करनेवाले की जानकारी भी सम्मलेन समिति को भेजे. 
सम्मलेन को लेकर लोगों में जबरजस्त उत्साह देखने को मिल रहा हैं और उम्मीद की जा रही हैं की इस सम्मलेन में गच्छ के विकास हेतू ठोस निर्णय लिए जायेंगे. ज्ञात हो मणिप्रभसागरजी म. सा. के मार्गदर्शन व प्रेरणा से देशभर में अनेक कार्य चल रहे हैं.महाकाल की नगरी उज्जैन के प्रसिद्ध तीर्थ अवंतिका पार्श्वनाथ का जीणोद्धार भी आपके मार्गदर्शन में शुरू हैं. यह तीर्थ श्री पार्श्वनाथ भगवान के 108 तीर्थों में से एक हैं. 

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