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श्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म.सा. का 150 वां जन्मोत्सव वर्ष

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तीन दिवसीय भव्य महोत्सव 15 नवंबर से    मुंबई- भायखला स्थित गुरु पुण्यभूमि पर श्री मोतीशा चेरिटेबल रिलीजियस ट्रस्ट के तत्वावधान में पंजाब केसरी परम पूज्य आचार्य श्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म.सा. का 150 वां जन्मोत्सव वर्ष श्रुत भास्कर ,वर्तमान गच्छाधिपति परम पूज्य आचार्य श्री विजय धर्मधुरंधर सूरीस्वरजी म.सा.आदि ठाणा की निश्रा में प्रारंभ हुआ. गुरुदेव के 150 वे जन्म वर्ष प्रारंभ की खुशी में  साधर्मिकों को अनुकंपा दान /250 किट का  वितरण हुआ जिसका लाभ मुंडारा निवासी शांताबाई गजराजजी राणावत परिवार ने लिया. गुरु वल्लभ समाधि स्थल मंदिर,श्री मोतीशा आदिनाथ जिनालय,भायखला मुबई में  पंजाब केशरी आचार्य श्री वल्लभ सूरि 150 जन्म वर्ष समिति की और से होनेवाले 15 से 17नवंबर तक होनेवाले कार्यक्रम हेतू मीटिंग में   नगीन रांका,बाबूलाल मीठीमा,कनकराज परमार,प्रवीण मेहता,सुकनराज परमार,विमल रांका,धनशुखभाई,  रमेश राणावत, महेंद्र मुठलिया, महेंद्र भाई, सज्जनराज रांका, जगदीश मेहता, फुटरमलजी,  चांदमलजी,बस्तीमलजी,संदीप कोठारी, रमेशभाई...

" गुरु गौतम ध्यान धरे "

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 कौन थे अनंत लब्धिनिधान गुरु गौतमस्वामी  केवलज्ञान हो जाने पर भगवान महावीर की प्रथम धर्म देशना ऋजुवालिका नदी के किनारे हुई थी और दूसरी देशना मध्यम पावा में देवताओं द्वारा रचित समवसरण में हुई थी। प्रभु की वाणी से प्रभावित होकर इन्द्रभूति सहित ११ महापंडितों ने अपने ४४०० शिष्यों के साथ दीक्षा लेकर भगवान महावीर के शिष्य बन गये. ७२ वर्ष की उम्र में प्रभु ने अपना अन्तिम चातुर्मास पावापुरी में किया.निर्वाण के समय पर गौतम अत्यधिक रागग्रस्त न हो इस कारण से प्रभु ने उन्हें अपने से दूर सोम शर्मा ब्राम्हण को प्रतिबोध देने के लिए भेज दिया.कार्तिक वदि अमावस्या को प्रभु ने १६ प्रहर की धर्म देशना दी और समस्त कर्मों का क्षय कर, देह त्यागकर निर्वाण प्राप्त किया। देवताओं ने मणिरत्नों का प्रकाश किया.मनुष्यों ने दीपक जलाकर अंधकार दूर किया और प्रभु के अंतिम दर्शन किए। तब से यह दीपोत्सव दीपावली बन गया। अपने गुरु महावीर के निर्वाण के समाचार सुनते ही मोहग्रस्त गणधर गौतम भाव-विव्हल हो गये किन्तु शीघ्र ही वे वीतराग चिन्तन में आरुढ़ हो गये.आत्मोन्नति की श्रेणियाँ पारकर उन्हें प्रातःकाल यानी...

परमात्मा का सानिध्य प्राप्त होता हैं धर्मचक्र तप से

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शांतिनाथ  जैन मंदिर में पंचान्हिका महोत्सव दीपक आर.जैन  मुंबई- दादर स्थित श्री शांतिनाथजी जैन मंदिर में श्री आगरतड श्री राजस्थान जैन देरासर ट्रस्ट में 82 दिवसीय धर्मचक्र तप की आराधना विधि विधान से चल रही हैं. इस तप में रिकॉर्डतोड़ संख्या में भाई बहन जुड़े व एक स्वर्णिम इतिहास बना. संघ में इसी तप की पूर्णाहुति के उपलक्ष में ऐतिहासिक पंचान्हिका (पांच दिन)के भव्य महोत्सव का आयोजन किया गया हैं. यह आयोजन आगमोद्धारक श्री आनदसागर सूरीस्वरजी म.सा. समुदाय के आचार्य श्री अपूर्वमंगलरत्न सूरीश्वरजी म.सा के कृपापात्र बंधू त्रिपुटी,सरल स्वभावी मुनि श्री आगमरत्न सागरजी,मुनि प्रशमरत्न सागरजी व प्रखर प्रवचनकार श्री वज्ररत्न सागरजी म.सा. व गाच्छादिपति केसरसुरिस्वरजी म.सा. समुदाय की साध्वी श्री श्रेयस्करश्रीजी व साध्वी श्री भाग्योदयश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में संपन्न होगा. मुनि श्री वज्ररत्न सागरजी म.सा. ने बताया की 10 से 14 अक्टूबर तक चलनेवाले महोत्सव में विभिन्न महापुजनों के अलावा रात्रि भक्ति सहित अनेक आयोजन होंगे गांव सांझी व मेहंदी वितरण 10 अक्टूबर तथा तपस्वियों का पार...

जब एक छिपकली कर सकती है, तो हम क्यों नहीं ?

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 [यह जापान में घटी, एक सच्ची घटना है ।] प्रस्तुति-अरिहंतचंद्र  विजयजी म.सा.                                                   ➖ अपने घर का नवीनीकरण करने के लिये, एक जापानी अपने मकान की दीवारों को तोड़ रहा था.जापान में लकड़ी की दीवारों के बीच ख़ाली जगह होती हैं, यानी दीवारें अंदर से पोली होती हैं.जब वह लकड़ी की दीवारों को चीर-तोड़ रहा था, तभी उसने देखा कि दीवार के अंदर की तरफ लकड़ी पर एक छिपकली, बाहर से उसके पैर पर ठुकी कील के कारण, एक ही जगह पर जमी पड़ी है.जब उसने यह दृश्य देखा तो उसे बहुत दया आई पर साथ ही वह जिज्ञासु भी हो गया । जब उसने आगे जाँच की तो पाया कि वह कील तो उसके मकान बनते समय पाँच साल पहले ठोंका गई थी.एक छिपकली इस स्थिति में पाँच साल तक जीवित थी ! दीवार के अँधेरे पार्टीशन के बीच, बिना हिले-डुले ? यह अविश्वसनीय, असंभव और चौंका देने वाला था !उसकी समझ से यह परे था कि एक छिपकली, जिसका एक पैर, एक ही स्थान पर पिछले पाँच साल से कील के कारण...